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रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक - स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने दिए निर्देश

स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों और शासकीय मेडिकल कॉलेजों में सिकलसेल जांच और परामर्श केंद्र 2 अक्टूबर तक खोलने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने सिकल सेल बीमारी को कम करने के लिए संचालक मंडल की बैठक ली और जरुरी दिशा निर्देश दिए.

रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक
रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक
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Published : Sep 6, 2022, 2:38 PM IST

रायपुर : पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ सिकलसेल संस्थान के संचालक मंडल (CG Sickle Cell institute Board of Directors) की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सहित स्वास्थ्य विभाग के सचिव,आयुष के संचालक सहित अन्य सदस्य मौजूद (Sickle Cell Institute meet in Raipur) थे .स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बैठक में प्रदेश के सभी जिलों और शासकीय मेडिकल कॉलेजों में 2 अक्टूबर तक सिकलसेल जांच एवं परामर्श केंद्र शुरू करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने इन केंद्रों में काम करने वाले स्टॉफ को आवश्यक प्रशिक्षण देने को कहा. स्वास्थ्य मंत्री ने वॉक-इन-इंटरव्यु के माध्यम से इसके लिए डॉक्टरों की भर्ती करने के भी निर्देश दिए.

रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक
रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक
बैठक में संचालक मंडल को निर्देश : स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य सिकलसेल संस्थान के संचालक मंडल की 9वीं बैठक में आदिवासी जिलों में सिकलसेल के मरीजों की प्राथमिकता से स्क्रीनिंग करते हुए पीड़ितों के परिवार के सभी लोगों की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए. बैठक में सिकलसेल संस्थान में जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (GDMO) के तीन पदों, क्लर्क-कम-कम्प्यूटर ऑपरेटर के पांच पदों और रेसीडेंट डॉक्टर के पांच पदों पर भर्ती के लिए अनुमति प्रदान की गई. स्वास्थ्य मंत्री ने संचालक मंडल की बैठक हर 6 महीने में आयोजित करने के निर्देश (Minister TS Singhdev gave instructions ) दिए.

क्या है सिकल सेल बीमारी: प्रदेश में सिकल सेल एक बड़ी समस्या है.सिकल सेल खून की एक खतरनाक बीमारी है और छत्तीसगढ़ में इस बीमारी के बहुतायत मरीज पाए जाते हैं. रक्त में जींस के अनेक सेट होते हैं. जो जन्म देने वाले माता-पिता से प्राप्त करते हैं. प्रत्येक सेट आपके शरीर में खास भूमिका निभाता है. जैसे आपकी आंखों के रंग का निर्धारण या आपकी त्वचा के रंग को तय करना. जींस के एक अन्य सेट द्वारा यह भी निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसी बनी है और वह किस प्रकार से काम करती हैं और यह एक ऐसी विशेषता है जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते.

कितनी रफ्तार से बढ़ रहे सिकल सेल मरीज : सिकल सेल बीमारी रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है. जो सिकल हिमोग्लोबिन से होता है. सिकल सेल रोग होते हैं. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स यानी खून की लाल कोशिका विकृति का शिकार होती है.जो हंसिए के आकार की हो जाती है. ऐसे मरीजों की औसत उम्र 48 साल होती है. यह बीमारी अनुवांशिक है यानी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है.

रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक
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सिकल सेल बीमारी के लक्षण : सिकल सेल्स जब शरीर में बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द होना चालू हो जाता हैं. कभी जॉइंट में तो कभी पैर में दर्द होता है.बहुत सारे ऑर्गन में खून पहुंचना बंद हो जाता है. जैसे किडनी में दिल में क्योंकि सिकल सेल खून की छोटी धमनियों को ब्लॉक कर देता है. ऐसे में उस ऑर्गन का काम धीमा हो जाता है. जो शरीर के लिए काफी खतरनाक है. ऐसे में जल्दी ऑपरेशन करना बहुत जरूरी हो जाता है.

रायपुर : पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ सिकलसेल संस्थान के संचालक मंडल (CG Sickle Cell institute Board of Directors) की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सहित स्वास्थ्य विभाग के सचिव,आयुष के संचालक सहित अन्य सदस्य मौजूद (Sickle Cell Institute meet in Raipur) थे .स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बैठक में प्रदेश के सभी जिलों और शासकीय मेडिकल कॉलेजों में 2 अक्टूबर तक सिकलसेल जांच एवं परामर्श केंद्र शुरू करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने इन केंद्रों में काम करने वाले स्टॉफ को आवश्यक प्रशिक्षण देने को कहा. स्वास्थ्य मंत्री ने वॉक-इन-इंटरव्यु के माध्यम से इसके लिए डॉक्टरों की भर्ती करने के भी निर्देश दिए.

रायपुर में सिकलसेल संस्थान संचालक मंडल की हुई बैठक
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बैठक में संचालक मंडल को निर्देश : स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य सिकलसेल संस्थान के संचालक मंडल की 9वीं बैठक में आदिवासी जिलों में सिकलसेल के मरीजों की प्राथमिकता से स्क्रीनिंग करते हुए पीड़ितों के परिवार के सभी लोगों की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए. बैठक में सिकलसेल संस्थान में जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (GDMO) के तीन पदों, क्लर्क-कम-कम्प्यूटर ऑपरेटर के पांच पदों और रेसीडेंट डॉक्टर के पांच पदों पर भर्ती के लिए अनुमति प्रदान की गई. स्वास्थ्य मंत्री ने संचालक मंडल की बैठक हर 6 महीने में आयोजित करने के निर्देश (Minister TS Singhdev gave instructions ) दिए.

क्या है सिकल सेल बीमारी: प्रदेश में सिकल सेल एक बड़ी समस्या है.सिकल सेल खून की एक खतरनाक बीमारी है और छत्तीसगढ़ में इस बीमारी के बहुतायत मरीज पाए जाते हैं. रक्त में जींस के अनेक सेट होते हैं. जो जन्म देने वाले माता-पिता से प्राप्त करते हैं. प्रत्येक सेट आपके शरीर में खास भूमिका निभाता है. जैसे आपकी आंखों के रंग का निर्धारण या आपकी त्वचा के रंग को तय करना. जींस के एक अन्य सेट द्वारा यह भी निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसी बनी है और वह किस प्रकार से काम करती हैं और यह एक ऐसी विशेषता है जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते.

कितनी रफ्तार से बढ़ रहे सिकल सेल मरीज : सिकल सेल बीमारी रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है. जो सिकल हिमोग्लोबिन से होता है. सिकल सेल रोग होते हैं. इस बीमारी में रेड ब्लड सेल्स यानी खून की लाल कोशिका विकृति का शिकार होती है.जो हंसिए के आकार की हो जाती है. ऐसे मरीजों की औसत उम्र 48 साल होती है. यह बीमारी अनुवांशिक है यानी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है.

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सिकल सेल बीमारी के लक्षण : सिकल सेल्स जब शरीर में बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द होना चालू हो जाता हैं. कभी जॉइंट में तो कभी पैर में दर्द होता है.बहुत सारे ऑर्गन में खून पहुंचना बंद हो जाता है. जैसे किडनी में दिल में क्योंकि सिकल सेल खून की छोटी धमनियों को ब्लॉक कर देता है. ऐसे में उस ऑर्गन का काम धीमा हो जाता है. जो शरीर के लिए काफी खतरनाक है. ऐसे में जल्दी ऑपरेशन करना बहुत जरूरी हो जाता है.

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