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जैतुसाव मठ में रामनवमी : श्रीराम को लगेगा मालपुआ का विशेष भोग - श्रीराम को लगता है विशेष भोग

रायपुर के जैतूसाव मठ (Jaitusav Math of Raipur) में रामनवमी की विशेष तैयारी की जा रही है. तैयारियों में इस बार मालपुआ का प्रसाद बनाया जा रहा है.

Malpua offering in Raipur Jaitusav Math
जैतुसाव मठ में रामनवमी के अवसर बटेगा मालपुआ
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Published : Apr 9, 2022, 6:17 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 8:03 PM IST

रायपुर : राजधानी के पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ (Jaitusav Math of Raipur ) में रामनवमी अवसर पर हर साल मालपुआ बनाया जाता है. मालपुआ को भगवान को अर्पित करने के बाद इसको प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरण किया जाता है. लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से मालपुआ नहीं बनाया जा रहा था. लेकिन इस साल कोरोना की रफ्तार कम होने के कारण रामनवमी पर्व में मालपुआ बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, मालपुआ बनाने का काम 10 अप्रैल तक होगा.

श्रीराम को लगेगा मालपुआ का विशेष भोग
106 साल पुरानी परंपरा : पुरानी बस्ती स्थित जैतुसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय सन 1916 में रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने का काम शुरू किया गया था. जो आज तक निरंतर चल रहा है. वर्तमान में महंत के रूप में जैतूसाव मठ में राम सुंदर दास जी हैं. राम नवमी के अवसर पर इस साल 11 क्विंटल की सामग्री का मालपुआ बनाने का कार्य किया जा रहा है. इस काम में शुक्रवार से लेकर रविवार तक 15 मजदूर लगातार काम करेंगे. रामनवमी के दिन रविवार को भगवान श्रीराम को राजभोग आरती के बाद सोमवार की दोपहर भक्तों को प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण(Malpua offering in Raipur Jaitusav Math ) होगा.

ये भी पढ़े- दूधाधारी मठ में भगवान राम की निशानियां: यहां मौजूद है रामसेतु का पत्थर, जो पानी में नहीं डूबता

कैसे बनता है मालपुआ : मालपुआ बनाने में शक्कर, गेहूं का आटा, सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सौफ का उपयोग किया जाता है. मालपुआ को बनाने के लिए लगभग 15 कर्मचारी लगे हुए हैं. जो भट्टी काम करने के साथ ही दूसरे काम कर रहे हैं . मालपुआ को तेल और घी में छाना जाता है. मालपुआ छनने के बाद उसे सुखाया जाता है. सूखने के बाद रविवार की देर रात भगवान श्रीराम को भोग लगाने और अर्पित करने के बाद ही इसका वितरण होगा.

रायपुर : राजधानी के पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ (Jaitusav Math of Raipur ) में रामनवमी अवसर पर हर साल मालपुआ बनाया जाता है. मालपुआ को भगवान को अर्पित करने के बाद इसको प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरण किया जाता है. लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से मालपुआ नहीं बनाया जा रहा था. लेकिन इस साल कोरोना की रफ्तार कम होने के कारण रामनवमी पर्व में मालपुआ बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, मालपुआ बनाने का काम 10 अप्रैल तक होगा.

श्रीराम को लगेगा मालपुआ का विशेष भोग
106 साल पुरानी परंपरा : पुरानी बस्ती स्थित जैतुसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय सन 1916 में रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने का काम शुरू किया गया था. जो आज तक निरंतर चल रहा है. वर्तमान में महंत के रूप में जैतूसाव मठ में राम सुंदर दास जी हैं. राम नवमी के अवसर पर इस साल 11 क्विंटल की सामग्री का मालपुआ बनाने का कार्य किया जा रहा है. इस काम में शुक्रवार से लेकर रविवार तक 15 मजदूर लगातार काम करेंगे. रामनवमी के दिन रविवार को भगवान श्रीराम को राजभोग आरती के बाद सोमवार की दोपहर भक्तों को प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण(Malpua offering in Raipur Jaitusav Math ) होगा.

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कैसे बनता है मालपुआ : मालपुआ बनाने में शक्कर, गेहूं का आटा, सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सौफ का उपयोग किया जाता है. मालपुआ को बनाने के लिए लगभग 15 कर्मचारी लगे हुए हैं. जो भट्टी काम करने के साथ ही दूसरे काम कर रहे हैं . मालपुआ को तेल और घी में छाना जाता है. मालपुआ छनने के बाद उसे सुखाया जाता है. सूखने के बाद रविवार की देर रात भगवान श्रीराम को भोग लगाने और अर्पित करने के बाद ही इसका वितरण होगा.

Last Updated : Apr 9, 2022, 8:03 PM IST
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