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Karva Chauth 2021: पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है करवा चौथ का व्रत - Sankashti Chaturthi Shiva Puja

करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा उपासना करती हैं. इस बार 24 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा.

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करवा चौथ का व्रत
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Published : Oct 19, 2021, 7:08 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 10:34 PM IST

रायपुरः करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा उपासना करती हैं. करवा चौथ का पर्व प्रमुख रूप से सनातनी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य, श्री और ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए रखती हैं. इस बार 24 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा.

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करवा चौथ का पर्व बहुत ही विशिष्ट माना गया है. करवा चौथ के दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा उपासना की जाती है. आज के दिन भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय स्वामी की पूजा का विधान है. माता पार्वती ने ब्रह्मचारिणी रूप में शिव को पाने के लिए कठिन साधना और व्रत किया था.

होती है चंद्रदेव की पूजा

करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन (Clay Pot) और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा-उपासना (Worship) करती हैं. करवा चौथ का पर्व प्रमुख रूप से सनातनी महिलाएं (Sanatani Women) अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य, श्री और ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए रखती हैं. माता के इस निश्चल त्याग तप और महान श्रद्धा से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रकट हो जाते हैं और माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करते हैं.

इसी से प्रेरित होकर सौभाग्यवती महिलाएं (Lucky Ladies) आज के दिन निराहार निर्जला रहते हुए पति की आयुष्य की कामना करते हुए इस व्रत को धारण करती हैं और चंद्र दर्शन (Moon Sighting) के पश्चात ही इस व्रत को तोड़ती हैं. अनेक जगहों पर छन्नी के द्वारा चांद को देख कर इस व्रत को तोड़ा जाता है. उत्तर भारत में यह पर्व बहुत ही वृहद उत्सव के रूप में मनाया जाता है. संपूर्ण घर (Perfect House) परिवार में रौनक का वातावरण रहता है. महिलाएं मेहंदी (Mehndi) लगा कर इस व्रत को करती हैं.

करवा चौथ : अखंड सुहाग के लिए महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत

करें शीतकारी प्राणायाम

आज के दिन कुमकुम, शहद, रौली सामाग्री, हल्दी, दूध, शक्कर, मेहंदी आदि चीजों से भगवान की पूजा की जाती है. यह उपवास एक कठिन उपवास है. इसे श्रद्धा, आस्था, धीरज और संयम से किया जाना चाहिए. इस व्रत को करते समय कुशलतापूर्वक शीतकारी प्राणायाम का उपयोग किया जाना चाहिए. जिससे शरीर को बल और ऊर्जा मिलती है. रात के समय चंद्र देवता का दर्शन कर दूध आदि सामग्रियों से व्रत को तोड़ा जाता है. संकष्टी चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र वरीयान और प्रजापति योग (Prajapati Yoga) में मनाया जाएगा. इसे करक चतुर्थी या दासरथी चतुर्थी भी कहा जाता है. आज के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेगा. आज के शुभ दिन भद्र योग (Bhadra Yoga) शश योग नीच भंग राजयोग का सुखद संयोग बन रहा है. संकष्टी में भगवान श्री गणेश की पूजा, आराधना और साधना विधि पूर्वक की जाती है.

रायपुरः करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा उपासना करती हैं. करवा चौथ का पर्व प्रमुख रूप से सनातनी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य, श्री और ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए रखती हैं. इस बार 24 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा.

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करवा चौथ का पर्व बहुत ही विशिष्ट माना गया है. करवा चौथ के दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा उपासना की जाती है. आज के दिन भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय स्वामी की पूजा का विधान है. माता पार्वती ने ब्रह्मचारिणी रूप में शिव को पाने के लिए कठिन साधना और व्रत किया था.

होती है चंद्रदेव की पूजा

करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन (Clay Pot) और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा-उपासना (Worship) करती हैं. करवा चौथ का पर्व प्रमुख रूप से सनातनी महिलाएं (Sanatani Women) अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य, श्री और ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए रखती हैं. माता के इस निश्चल त्याग तप और महान श्रद्धा से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रकट हो जाते हैं और माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करते हैं.

इसी से प्रेरित होकर सौभाग्यवती महिलाएं (Lucky Ladies) आज के दिन निराहार निर्जला रहते हुए पति की आयुष्य की कामना करते हुए इस व्रत को धारण करती हैं और चंद्र दर्शन (Moon Sighting) के पश्चात ही इस व्रत को तोड़ती हैं. अनेक जगहों पर छन्नी के द्वारा चांद को देख कर इस व्रत को तोड़ा जाता है. उत्तर भारत में यह पर्व बहुत ही वृहद उत्सव के रूप में मनाया जाता है. संपूर्ण घर (Perfect House) परिवार में रौनक का वातावरण रहता है. महिलाएं मेहंदी (Mehndi) लगा कर इस व्रत को करती हैं.

करवा चौथ : अखंड सुहाग के लिए महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत

करें शीतकारी प्राणायाम

आज के दिन कुमकुम, शहद, रौली सामाग्री, हल्दी, दूध, शक्कर, मेहंदी आदि चीजों से भगवान की पूजा की जाती है. यह उपवास एक कठिन उपवास है. इसे श्रद्धा, आस्था, धीरज और संयम से किया जाना चाहिए. इस व्रत को करते समय कुशलतापूर्वक शीतकारी प्राणायाम का उपयोग किया जाना चाहिए. जिससे शरीर को बल और ऊर्जा मिलती है. रात के समय चंद्र देवता का दर्शन कर दूध आदि सामग्रियों से व्रत को तोड़ा जाता है. संकष्टी चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र वरीयान और प्रजापति योग (Prajapati Yoga) में मनाया जाएगा. इसे करक चतुर्थी या दासरथी चतुर्थी भी कहा जाता है. आज के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेगा. आज के शुभ दिन भद्र योग (Bhadra Yoga) शश योग नीच भंग राजयोग का सुखद संयोग बन रहा है. संकष्टी में भगवान श्री गणेश की पूजा, आराधना और साधना विधि पूर्वक की जाती है.

Last Updated : Oct 19, 2021, 10:34 PM IST
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