रायपुर : देश में छत्तीसगढ़ का लिंगानुपात काफी बेहतर है. देश में लिंग अनुपात के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है. लेकिन प्रदेश की बात की जाए तो यहां लगातार लिंगानुपात गिरता जा रहा है. पिछले एक दशक के दौरान इसमें काफी गिरावट दर्ज की गई है. कई जिलों की हालत चिंताजनक है. यह लिंगानुपात के आंकड़ें जनसंख्या के आधार पर जारी किए जाते हैं. धर्म विशेष के आधार पर आंकड़ें अब तक शासन प्रशासन की ओर से जारी नहीं किए गए हैं.
कितने स्थान पर है छत्तीसगढ़ : साल 2011 के आंकड़े के अनुसार छत्तीसगढ़ लिंगानुपात के मामले में देश में पांचवें स्थान पर रहा. जहां साल 2001 में छत्तीसगढ़ का लिंगानुपात 990 था. वहीं साल 2011 में यह 991 हो गया था. सबसे अच्छा लिंग अनुपात केरल का रहा, उसके बाद पांडिचेरी, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश रहे.
कब से गिर रहा लिंगानुपात : छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो साल 2011 में प्रति हजार पुरुषों में 960 महिलाएं थीं. जबकि साल 2022 में एक हजार पुरुष पर 938 महिलाएं हैं. यदि जिलों की बात की जाए तो कुछ जिलों में यह आंकड़ा 850 के आसपास पहुंच गया (sex ratio statistics in chhattisgarh) है.
छत्तीसगढ़ की आबादी - धर्म के अनुसार विवरण | |||
धर्म | 2011 | प्रतिशत | 2022 की अनुमानित जनसंख्या |
हिंदू | 23,819,789 | 93.25% | 30,024,844 |
मुसलमान | 514,998 | 2.02% | 649,155 |
ईसाई | 490,542 | 1.92% | 618,328 |
सिख | 70,036 | 0.27% | 88,280 |
बौद्ध | 70,467 | 0.28% | 88,824 |
जैन | 61,510 | 0.24% | 77,533 |
अघोषित | 23,262 | 0.09% | 29,322 |
अन्य | 494,594 | 1.94% | 623,436 |
कुल | 25,545,198 | 100.00% | 32,199,722 |
कब हुए थे आंकड़े जारी : भारत के रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर ने साल 2015 को जनगणना के आंकड़े जारी किए थे .जिसके मुताबिक 2001-2011 में हिंदुओं की आबादी में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी और मुसलिमों की जनसंख्या 0.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. आंकड़ों में यह बात भी सामने आई है कि 0.29 करोड़ आबादी ने अपना धर्म नहीं बताया था . जाति आधारित जनगणना 2011 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 93 फीसदी हिन्दू और 2 फीसदी मुसलमान रहते हैं. जाति आधारित जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 93.2 फीसदी हिन्दू, 2.01 फीसदी मुसलमान, 1.92 फीसदी ईसाई, 0.27 फीसदी सिक्ख, 0.27 फीसदी बौद्ध, 0.24 फीसदी जैन तथा 1.93 फीसदी अन्य धर्मों के अनुयाई रहते हैं.
प्रदेश में प्रसव की स्थिति : जानकारी के अनुसार प्रदेश में हर साल लगभग 7 लाख महिलाओं का प्रसव के लिए पंजीयन किया जाता है. लगभग 6 लाख बच्चे प्रतिवर्ष जन्म लेते हैं। वही निमोनिया सहित अन्य कारणों से लगभग 50 हजार बच्चों की मौत हो जाती (delivery status in chhattisgarh) है.
प्रदेश के जिलों में महिलाओं का लिंग अनुपात (प्रति एक हजार पुरुषों में महिलाओं के आंकड़े) | |||||||||||
जिला | 2011 | 2022 | जिला | 2011 | 2022 | जिला | 2011 | 2022 | जिला | 2011 | 2022 |
1. बीजापुर | 984 | 947 | 9. बेमेतरा | 909 | 17. नारायणपुर | 994 | 960 | 25.जशपुर | 1005 | ||
2. महासमुंद | 1017 | 947 | 10. दंतेवाड़ा | 1020 | 902 | 18. राजनांदगांव | 1015 | 959 | 26.रायगढ़ | 951 | |
3. दुर्ग | 988 | 946 | 11. बलरामपुर | 881 | 19. मुंगेली | 956 | |||||
4. रायपुर | 984 | 946 | 12. सरगुजा | 978 | 857 | 20. कांकेर | 1006 | 955 | |||
5. गरियाबंद | 934 | 13. धमतरी | 1010 | 963 | 21. कोंडागांव | 963 | |||||
6. कबीरधाम | 996 | 924 | 14. बस्तर | 1023 | 980 | 22. बालोद | 954 | ||||
7. बिलासपुर | 771 | 922 | 15. कोरबा | 969 | 967 | 23. कोरिया | 968 | 949 | |||
8. बलौदा बाजार | 910 | 16. सुकमा | 963 | 24. जांजगीर चांपा | 986 | 948 |
(नोट- साल 2011 में प्रदेश में 18 जिले थे)
क्यों गिर रहा है प्रदेश में महिलाओं का लिंग अनुपात: समाज सेविका ममता शर्मा का कहना है कि ''प्रदेश में लिंगानुपात गिरने के कई कारण है किसी एक वजह से लिंग अनुपात नही गिर रहा है. आज के समय ज्यादातर व्यापारी वर्ग में बच्चियों की संख्या कम हो रही है. क्योंकि प्रायः देखा जा रहा है कि व्यापारी वर्ग अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए लड़के की चाहत रखते हैं इस वजह से उन परिवारों में बच्चियां कम है. जागरूकता के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की जरूरत है हालांकि पहले की अपेक्षा अब लोग जागरूक हो रहे हैं. लेकिन उनकी संख्या काफी कम है .यही वजह है कि प्रदेश में लिंग अनुपात में थोड़ी कमी आई है. लिंग परीक्षण को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि लिंग परीक्षण कानूनी अपराध है. बावजूद इसके चोरी-छिपे या फिर अन्य किसी तरीके से लिंग परीक्षण कर भ्रूण हत्या जैसी घटना देखने को मिलती है.लिंग अनुपात में ज्यादा अंतर आएगा तो इसका समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. लोगों की शादियां नहीं होंगी. लोग मानसिक रूप से विकृत होंगे. जिसका असर कहीं ना कहीं समाज पर पड़ेगा.अप्राकृतिक कृत्य भी बढ़ (Impact on society due to falling sex ratio in Chhattisgarh) जाएंगे .इसलिए लिंग अनुपात संतुलन बना रहना चाहिए.
लिंग अनुपात का घटना है चिंताजनक : वहीं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का भी कहना है कि ''लिंग अनुपात का घटना चिंताजनक है. क्योंकि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं कि संख्या कम होती है. तो इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा. साथ ही समाज पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा. लिंग अनुपात का कम होना कई तरह से समाज के लिए भी घातक है. इसलिए लिंग अनुपात में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए.''
स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इसे रोकने उठाये जा रहे क्या कदम : स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ''भ्रूण हत्या रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट (PCPNDT Act in Chhattisgarh) के तहत नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच की जाती है. इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं.''
क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट : पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. इस अधिनियम के तहत प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण प्रतिबंधित है. प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक 'पीएनडीटी' एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में 794 अल्ट्रासाउंड केंद्रों को मान्यता दी गई है. 32 (आईवीएफ विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट) है. अल्ट्रासाउंड केंद्रों में प्रत्येक 3 माह में एक बार जांच जरूरी है.इसके उल्लंघन पर अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले या करने वाले डॉक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल की सजा और दस से 50 हजार रूपए जुर्माने का प्रावधान है.