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SPECIAL: खाद्य तेल की कीमतों में उबाल से बढ़ेगा जनता पर बोझ !

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Published : Feb 6, 2021, 4:14 PM IST

बजट 2021 में केंद्र सरकार ने आयातित सामानों पर सेस (अधिभार) लगाने का फैसला किया है. क्रूड पाम ऑयल पर 17.5%, क्रूड सोयाबीन और सनफ्लावर आयल पर 20% सेस प्रस्तावित है. ऐसे में आने वाले दिनों में तेल की कीमतों में वृद्धि की संभावना है.

expected to rise edible oil prices in Chhattisgarh
खाद्य तेल की कीमतों में इजाफा संभव

रायपुर: खाना बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले तेल की कीमतों में बजट के बाद बढ़ोत्तरी की संभावना जताई जा रही थी. पाम आयल समेत सनफ्लावर, सोयाबीन और सरसों के तेल की कीमत फिलहाल स्थिर है. लेकिन सेस बढ़ने के बाद से दोबारा खाद्य तेलों की कीमत के बढ़ने के आसार बन गए हैं. बजट 2021 में केंद्र सरकार ने आयतित सामानों पर सेस (अधिभार) लगाने का फैसला किया है.

खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि संभव

प्रमुख सामान क्रूड पाम ऑयल पर 17.5%, क्रूड सोयाबीन और सनफ्लावर ऑयल पर 20% सेस प्रस्तावित है. ऐसे में आने वाले दिनों में तेल कीमत में उबाल आने की संभावना है. तेल महंगा होने का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा. कुछ हफ्ते पहले भी तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला था.

पढ़ें: किसानों ने तैयार किया खाद्य तेल, खरीदने दूर-दूर से आते हैं लोग

तेल की खपत बढ़ी

अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही बाजार में रौनक बढ़ गई है. होटल, चौपाटी और गृह उद्योग दोबारा अपनी रफ्तार में हैं. ऐसे में तेल खपत भी तेजी से बढ़ी है. गृह उद्योग, होटल और ठेलों में पाम ऑयल का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर होता है. इसलिए इसकी कीमत में बढ़ोतरी हुई है. रायपुर में जनवरी महीने में 1700-1750 रुपए में मिलने वाला पाम आयल फरवरी के पहले हफ्ते में 1820 रुपए तक बिक रहा था.

सनफ्लावर, सोयाबीन और राइस ऑयल का ज्यादा इस्तेमाल घरों में होता है. इसकी कीमतों में भी बढ़त देखी जा रही है. रायपुर थोक बाजार से छत्तीसगढ़ के साथ ही उड़ीसा के बड़े इलाकों में सप्लाई होती है. ऐसे में थोक बाजार में कीमत में बढ़ोतरी का असर निचले स्तर तक जाना स्वभाविक है.

पढ़ें: आलू, प्याज के बाद खाद्य तेल में लगा महंगाई का तड़का

खपत के कारण कीमत में इजाफा

थोक व्यापारी ने बताया कि भारत में तेल का उत्पादन से अधिक खपत होता है. ऐसे में बाहर से तेल आयात किया जा रहा है. ऐसे में कीमतों में तेजी बने रहने की बात सामने आई है. थोक व्यापारी ने बताया कि सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सेस लगाया है. ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें.

व्यापारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राइस ब्रांड तेल का उत्पादन होता है. सोयाबीन और सनफ्लावर जैसे तेलों की खपत काफी अधिक है. अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़े हुए कीमत के कारण पाम ऑयल की कीमत बढ़ रही है.

क्या होता है सेस का मतलब ?

सेस एक प्रकार का टैक्स होता है जो सामानों पर एक विशेष उद्देश्य के लिए लगाया जाता है. उद्देश्य पूरा हो जाने पर इसे समाप्त भी कर दिया जाता है. सेस से मिलने वाली रकम को केंद्र सरकार अन्य राज्य सरकारों के साथ बांटती नहीं है. इससे मिलने वाले फायदे को अपने पास रख लेती है. सेस को लगाने का उद्देश्य केवल किसी विशेष उद्देश्य, सेवा और क्षेत्र को विकसित करने का होता है. किसी जनकल्याणकारी कार्य के लिए कोष की व्यवस्था भी इसके जरिए की जाती है.

रायपुर: खाना बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले तेल की कीमतों में बजट के बाद बढ़ोत्तरी की संभावना जताई जा रही थी. पाम आयल समेत सनफ्लावर, सोयाबीन और सरसों के तेल की कीमत फिलहाल स्थिर है. लेकिन सेस बढ़ने के बाद से दोबारा खाद्य तेलों की कीमत के बढ़ने के आसार बन गए हैं. बजट 2021 में केंद्र सरकार ने आयतित सामानों पर सेस (अधिभार) लगाने का फैसला किया है.

खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि संभव

प्रमुख सामान क्रूड पाम ऑयल पर 17.5%, क्रूड सोयाबीन और सनफ्लावर ऑयल पर 20% सेस प्रस्तावित है. ऐसे में आने वाले दिनों में तेल कीमत में उबाल आने की संभावना है. तेल महंगा होने का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा. कुछ हफ्ते पहले भी तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला था.

पढ़ें: किसानों ने तैयार किया खाद्य तेल, खरीदने दूर-दूर से आते हैं लोग

तेल की खपत बढ़ी

अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही बाजार में रौनक बढ़ गई है. होटल, चौपाटी और गृह उद्योग दोबारा अपनी रफ्तार में हैं. ऐसे में तेल खपत भी तेजी से बढ़ी है. गृह उद्योग, होटल और ठेलों में पाम ऑयल का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर होता है. इसलिए इसकी कीमत में बढ़ोतरी हुई है. रायपुर में जनवरी महीने में 1700-1750 रुपए में मिलने वाला पाम आयल फरवरी के पहले हफ्ते में 1820 रुपए तक बिक रहा था.

सनफ्लावर, सोयाबीन और राइस ऑयल का ज्यादा इस्तेमाल घरों में होता है. इसकी कीमतों में भी बढ़त देखी जा रही है. रायपुर थोक बाजार से छत्तीसगढ़ के साथ ही उड़ीसा के बड़े इलाकों में सप्लाई होती है. ऐसे में थोक बाजार में कीमत में बढ़ोतरी का असर निचले स्तर तक जाना स्वभाविक है.

पढ़ें: आलू, प्याज के बाद खाद्य तेल में लगा महंगाई का तड़का

खपत के कारण कीमत में इजाफा

थोक व्यापारी ने बताया कि भारत में तेल का उत्पादन से अधिक खपत होता है. ऐसे में बाहर से तेल आयात किया जा रहा है. ऐसे में कीमतों में तेजी बने रहने की बात सामने आई है. थोक व्यापारी ने बताया कि सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सेस लगाया है. ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें.

व्यापारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राइस ब्रांड तेल का उत्पादन होता है. सोयाबीन और सनफ्लावर जैसे तेलों की खपत काफी अधिक है. अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़े हुए कीमत के कारण पाम ऑयल की कीमत बढ़ रही है.

क्या होता है सेस का मतलब ?

सेस एक प्रकार का टैक्स होता है जो सामानों पर एक विशेष उद्देश्य के लिए लगाया जाता है. उद्देश्य पूरा हो जाने पर इसे समाप्त भी कर दिया जाता है. सेस से मिलने वाली रकम को केंद्र सरकार अन्य राज्य सरकारों के साथ बांटती नहीं है. इससे मिलने वाले फायदे को अपने पास रख लेती है. सेस को लगाने का उद्देश्य केवल किसी विशेष उद्देश्य, सेवा और क्षेत्र को विकसित करने का होता है. किसी जनकल्याणकारी कार्य के लिए कोष की व्यवस्था भी इसके जरिए की जाती है.

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