रायपुर : प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. मरीजों की बढ़ती संख्या जहां एक ओर सरकार की चिंता का विषय बनी हुई है, तो वहीं लोगों में अब डर का माहौल भी पैदा कर रहा है. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना से लड़ने के लिए गाइडलाइन का पालन करना बेहद जरूरी है. कोरोना वायरस लोगों के शरीर में नाक के जरिए पहुंचता है. इस समय इनका विशेष ध्यान रखना चाहिए. ETV भारत ने ENT स्पेशलिस्ट डॉक्टर राकेश गुप्ता से इस विषय में चर्चा की.
सवाल : इस बार कोरोना के क्या नए लक्षण देखने को मिले हैं ?
जवाब : इस बार कोरोना का लक्षण काफी अलग है. इन लक्षण को पहचान पाना बड़ा मुश्किल हो गया है. इस बार मरीजों को दस्त लग रहे हैं. हाथ, पैर में दर्द हो रहा है. मरीज को थकान जल्दी लगती है. देखने में तो यह बदलते मौसम में वायरल फीवर के लक्षण लगते हैं, लेकिन यह वायरल फीवर ना होकर कोरोना का रूप ले रहा है. इस तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर तत्काल मरीजों को कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दे रहे हैं.
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सवाल : इस तरह के लक्षण दिखने पर मरीज दो-तीन दिन बाद डॉक्टर से संपर्क करते हैं यह कितना घातक है ?
जवाब : इस तरह के कोई भी लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिएकई बार मरीज 3- 4 दिन इंतजार करते हैं. इस दौरान मरीजों को सांस लेने में दिक्कत शुरू हो जाती है. उनके सीने में इन्फेक्शन होना शुरू हो जाता है. इस वजह से मरीज को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है. उपचार में देरी की वजह से भी कोरोना मरीजों के के मृत्यु के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.
सवाल : डर की वजह से मरीज कोरोना टेस्ट नहीं करा रहे हैं. उन्हें लगता है कि यदि कोरोना पॉजिटिव हो गए तो 15 दिन के लिए होम आइसोलेट रहना पड़ेगा.
जवाब : सबसे ज्यादा लोगों को जागरूक होना होगा. यदि लोग एक-दो दिन के इन लक्षण के बाद ही टेस्ट करा लें. यदि वे पॉजिटिव पाए गए तो दवाई शुरू कर देनी चाहिए. इलाज जल्दी होने पर वे जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे. लेकिन जो लोग चार-पांच दिन इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में उनकी स्थिति खतरनाक हो जा रही है. उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ता है.
सवाल : सिम्टम्स आने पर तत्काल टेस्ट करवाते हैं और यदि वे कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं तो उपचार के बाद जल्द ठीक हो पाएंगे?
जवाब : पहले से कोई बीमारी नहीं है यदि वे एक-दो दिन के सिम्टम्स में ही टेस्ट करवाने पर कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं और उनका उपचार सही समय पर किया जाता है तो वह जल्दी ठीक हो रहे हैं. लेकिन जिन्हें पहले से शुगर, बीपी, अस्थमा सहित अन्य बीमारी है तो ऐसे मरीजों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें कोरोना होने की स्थिति में अस्पतालों में शिफ्ट किया जा सकता है. डॉ गुप्ता ने बताया कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है. इस बार कोरोना के लक्षण जरूर कुछ अलग हैं, लेकिन ज्यादातर मरीज शुरुआती दौर में ही थोड़ी दवाइयों से ही ठीक हो जा रहे हैं.
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सवाल : कोरोना से नाक-कान ओर गला कैसे बचाया जा सकता है ?
जवाब : कोरोना से नाक-कान और गला के बचाव के लिए गाइडलाइन का पालन करना चाहिए. मुंह पर मास्क लगाना है. हाथ धोना है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है. लोग इस गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं. वैक्सीनेशन के बाद भी लोगों को इन गाइडलाइन का पालन करना है. क्योंकि पिछले अनुभव बताते हैं कि रोगों से बचाव का सबसे बड़ा उपाय गाइडलाइन है.
सवाल : आंख, कान और गले पर कोरोना का किस तरह से असर पड़ता है ?
जवाब : कोरोना वायरस नाक और गले से शरीर में जाता है. यह सिद्ध हो चुका है. बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों को भी कोरोना संक्रमण हो रहा है. इसमें यह बात तो साबित होती है कि वायु से भी कोरोना संक्रमण फैल रहा है. इसलिए गाइडलाइन का पालन करना बहुत जरूरी है. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें.
सवाल : यदि परिवार का कोई सदस्य कोरोना संक्रमित हो जाए तो उसका किस तरह से ख्याल रखना चाहिए ?
जवाब : कोरोना संक्रमित व्यक्ति को एक अलग कमरे में रखा जाए. परिवार के सदस्यों से कम संपर्क में रहें और एक साथ भोजन भी ना करें. परिवार के सदस्य संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखते हैं तो कोरोना संक्रमण उनमें नहीं होगा. यदि इस बीच उन्हें किसी तरह का लक्षण दिखता है. जैसे बुखार, सांस लेने में तकलीफ या अन्य कोई लक्षण तो तत्काल कोरोना टेस्ट करना चाहिए.