रायपुर : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं.जिसमें 4 राज्यों की सत्ता पर बीजेपी काबिज हुई है. लेकिन पंजाब विधानसभा का चुनाव परिणाम काफी चौंकाने वाला रहा. जहां दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस बीजेपी को हराकर आम आदमी पार्टी (Aam aadmi party) ने सत्ता हासिल की. पंजाब में आप ने भारी जीत हासिल की है. जिसका असर अब पूरे देश में दिखने लगा है. जहां एक ओर इस जीत से आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है तो वहीं अब क्षेत्रीय पार्टी देश के उन राज्यों में भी सक्रिय होती नजर आ रही है, जहां आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं.
जनता कांग्रेस में बिखराव की स्थिति,लेकिन दावे अलग
स्थानीय पार्टी की बात की जाए तो पिछले चुनाव में प्रदेश में 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)' तेजी से उभरी थी. इस पार्टी के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे. उनके उपस्थिति में पिछले विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस 5 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. लेकिन उनके निधन के बाद कहीं ना कहीं पार्टी में बिखराव की स्थिति देखने को मिल रही है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में पिछली बार की अपेक्षा इस बार और बेहतर प्रदर्शन करने के दावे कर रही है.
ये भी पढ़ें-छत्तीसगढ़ मॉडल फेल ! कांग्रेस खेमे में चिंता, भाजपा का तंज-नाम बदलकर भूपेश मॉडल कर लें
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता भगवानु नायक का कहना है कि जिस तरह से पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी उभरी है, उसी तर्ज पर आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी और सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. इसके पहले विधानसभा चुनाव में 14 प्रतिशत वोट पार्टी को मिले थे. 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. गठबंधन के साथ-साथ 7 सीटें थी. इसलिए कहा जा सकता कि आने वाले समय क्षेत्रीय दलों का है. बिसेन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर हमने अभियान तेज कर दिया है. वर्तमान में सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है इसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.
बीजेपी को अपनी जीत की उम्मीद
वहीं विपक्ष में बैठी भाजपा ने भी प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक बार फिर चुनावी भिड़ंत होने की बात कही है. इसके अलावा अन्य किसी दल के चुनाव में सक्रिय होने को नकार रही है. भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि पिछले 20 साल में बहुत सारे छोटे-मोटे दलों ने प्रदेश में पैर जमाने का प्रयास किया. लेकिन वह सफल नहीं हो सके. छत्तीसगढ़ की राजनीति की तासीर बिल्कुल अलग है. यहां पर आमतौर पर कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर होती है. सभी को चुनाव लड़ने और अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने का अधिकार है. लेकिन फिलहाल मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए वर्तमान में यह स्थति नजर नहीं आ रही है. विधानसभा चुनाव में लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही होगी.
ये भी पढ़ें-जब रमन सिंह सीएम थे, तब उन्हें किसानों की सुध नहीं आई- सीएम बघेल
कांग्रेस ने भी तीसरे मोर्चे को नकारा
कांग्रेस का भी यही कहना है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है. अन्य कोई राजनीतिक दल यहां पैठ जमाने में अब तक नाकाम रहे हैं. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि अभी तक का जो रिकॉर्ड रहा है छत्तीसगढ़ में तीसरे दल का कोई भी अस्तित्व अब तक नहीं दिखा है. इसके पहले विद्याचरण शुक्ल ने कोशिश की थी, लेकिन चुनाव के बाद में पार्टी नहीं थी. उसके बाद अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने भी पिछले चुनाव में प्रयास किया लेकिन धरातल पर आज वह कहां पर है सभी जानते हैं. बहुजन समाजवादी पार्टी भी बहुत दिनों से यहां पर प्रयासरत है, लेकिन एक या दो सीट से अधिक सीटें हासिल नहीं कर पा रही है.
छग में क्षेत्रीय मोर्चे का अस्तित्व नहीं- रामावतार तिवारी
वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा की दलीय स्थिति की बात की जाए तो कांग्रेस के पास 90 में से 70 सीटे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी 14 सीटों पर काबिज है जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे )3 सीटों पर और बहुजन समाज पार्टी 2 सीटों पर है. वर्तमान में 1 सीट अभी खाली है. वहीं राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी कहना है कि छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व नहीं रहा है. इसके पहले क्षेत्रीय पार्टी के रूप में बसपा आई थी, विद्याचरण शुक्ल (vidyacharan shukla) भी चुनाव लड़े, अजीत जोगी (Ajit jogi) भी चुनाव लड़े, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (Gondwana gantantra party) भी चुनाव लड़ती रही. अनेक दल छत्तीसगढ़ में आए लेकिन छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय पार्टियों के प्रति जनता का समर्थन ओर रुझान रहा है. क्योंकि यहां पर राष्ट्रीय विचारधारा से ओतप्रोत जनता है प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी के आने पर इतना फायदा नहीं मिलता जितना राष्ट्रीय पार्टी के आने पर मिलता है.
वहीं प्रदेश में आम आदमी पार्टी के बारे में रामावतार ने कहा कि उन्होंने पिछली बार मेहनत की लेकिन सफलता नहीं मिली. क्योंकि यहां पर उस समय उनके पास ऐसा नेतृत्व संगठन नहीं था. इसलिए वर्तमान में परिस्थिति को देखते हुए आप पार्टी को काफी मेहनत करनी पड़ेगी,तब उनकी स्थिति बन सकती है. तब भी क्षेत्रीय पार्टी को जनता ज्यादा तवज्जो नहीं देती है. मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही होता रहा है.