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रैम्प वाक में डाउन सिंड्रोम बच्चों ने बिखेरा जलवा - डाउन सिंड्रोम बच्चों ने बिखेरा जलवा

Raipur news रायपुर में डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा मेफेयर लेक रिसॉर्ट में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है. जिसमें देश भर के अलग अलग राज्यों से 200 फैमिली शामिल हुई है. कांफ्रेंस के दूसरे दिन डाउन सिंड्रोम चिल्ड्रन का मिस्टर एंड मिस इंडिया कंपटीशन आयोजित किया गया.

Down syndrome children sparkle in ramp walk
रैम्प वाक में डाउन सिंड्रोम बच्चे
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Published : Sep 17, 2022, 10:51 PM IST

Updated : Sep 18, 2022, 5:08 PM IST

रायपुर: डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा मेफेयर लेक रिसॉर्ट में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन (Down syndrome children sparkle in ramp walk) किया गया है. जिसमें देश भर के अलग अलग राज्यों से 200 फैमिली शामिल हुई है. इस कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न राज्यों से आए परिवारों के बीच डाउन सिंड्रोम से रिलेटेड विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई. कांफ्रेंस के दूसरे दिन डाउन सिंड्रोम चिल्ड्रन का मिस्टर एंड मिस इंडिया कंपटीशन आयोजित किया गया. इस कंपटीशन में बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और रैंप वॉक पर जमकर जलवा बिखेरा.

रैम्प वाक में डाउन सिंड्रोम बच्चों ने बिखेरा जलवा
इसलिए हो रहा आयोजन: महेंद्र अग्रवाल अग्रवाल ने बताया इंडिया इंटरनेशनल डाउन सिंड्रोम का 6 वां कॉन्फ्रेंस रायपुर में आयोजित किया गया है. हर साल कांफ्रेंस का आयोजन अलग-अलग शहरों में किया जाता. इससे पहले पुणे और चंडीगढ़ में इस तरह का आयोजन हो चुका है. छत्तीसगढ़ में यह पहली बार आयोजित किया गया है. इस कॉन्फ्रेंस में देश भर से 200 फैमिली आई है. 3 दिन के सेमिनार में 2 दिन डाउन सिंड्रोम से रिलेटेड अलग-अलग विषयों पर चर्चा की जाती है. इसके साथ ही ऐसे बच्चे जो डाउन सिंड्रोम कंडीशन में है. ऐसे बच्चो के पेरेंट्स के लिए डॉक्टरों और थेरेपिस्ट इस अलग अलग सेशंस में पेरेंट्स को गाइड किया है.

मेन स्ट्रीम में लाने का प्रयास: डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए मिस्टर एंड मिस इंडिया का कॉम्पिटिशन करवाया गया. इसका उद्देश्य है बच्चों को प्रोत्साहित करना. ताकि इन बच्चों को भी लगे कि वह एक सामान्य बच्चे की तरह है. सामान्य देखा जाता है कि डाउन सिंड्रोम बच्चों को नॉर्मल चाइल्ड नहीं समझा जाता, उन्हें स्पेशल चाइल्ड कह दिया जाता है. ऐसे बच्चों को मेन स्ट्रीम में लाने के लिए इस तरह के आयोजन किए जाते है..

यह भी पढ़ें: रायपुर में सरपंचों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ धक्का मुक्की

क्या है डाउनसिंड्रोम ? डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़ी मनीषा दासे ने बताया " डाउन सिंड्रोम एक मेडिकल कंडीशन है. और इसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है. जब भी कोई बच्चा अपने मां के गर्भ में तैयार होता है. फर्टिलाइजेशन के टाइम में सेलुलर चेज होते है और सेल का निर्माण होता है. 21 गुणसूत्र में एक्स्ट्रा सेल की कॉपी हो जाती है वह ट्राइसोमिक डॉउन सिंड्रोम 21 कहलाता है, और इसमें अगर कोई एक सेल कम हो जाता है ऐसे बच्चों को बेहद परेशानी होती है और उनकी उम्र भी कम होती है. यह एक मेडिकल कंडीशन है यह कोई बीमारी नहीं है. ऐसे बच्चों का फेस थोड़ा लाभ होता है, इम्यूनिटी कमजोर होती है लेकिन पेरेंट्स बच्चे के खानपान का अच्छे से ध्यान दें तो इम्यूनिटी मजबूत होती है.

डॉक्टर को इसमें खास ध्यान देने की जरूरत: जब हमारे बच्चों को डाउन सिंड्रोम की जानकारी मिली, डॉक्टरों द्वारा बिना किसी डायग्नोसिस के कह दिया गया कि 1 साल का इंतजार करें. जब हमने पूरा डायग्नोसिस किया तो हमें पता चला ट्राइसोमिक 21 प्लस क्रोमोजोम है. हमें यह पता है कि बाकी लोगो से बच्चे में एक कि पावर ज्यादा है. यही उसे ताकत देगा. हम कॉन्फ्रेंस से पहुंचे हुए हैं और देख रहे है डाउन सिंड्रोम कंडीशन वाले 15 साल के बच्चे से लेकर साल से लेकर 45 साल की उम्र के लोग आगे बढ़ रहे हैं. समाज के लिए एक मैसेज है डाउन सिंड्रोम कंडीशन के बच्चों को स्वीकार करें और उन्हें मौका दें वह अपने आप को हर फील्ड में प्रूफ भी कर रहे हैं.

रायपुर: डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा मेफेयर लेक रिसॉर्ट में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन (Down syndrome children sparkle in ramp walk) किया गया है. जिसमें देश भर के अलग अलग राज्यों से 200 फैमिली शामिल हुई है. इस कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न राज्यों से आए परिवारों के बीच डाउन सिंड्रोम से रिलेटेड विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई. कांफ्रेंस के दूसरे दिन डाउन सिंड्रोम चिल्ड्रन का मिस्टर एंड मिस इंडिया कंपटीशन आयोजित किया गया. इस कंपटीशन में बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और रैंप वॉक पर जमकर जलवा बिखेरा.

रैम्प वाक में डाउन सिंड्रोम बच्चों ने बिखेरा जलवा
इसलिए हो रहा आयोजन: महेंद्र अग्रवाल अग्रवाल ने बताया इंडिया इंटरनेशनल डाउन सिंड्रोम का 6 वां कॉन्फ्रेंस रायपुर में आयोजित किया गया है. हर साल कांफ्रेंस का आयोजन अलग-अलग शहरों में किया जाता. इससे पहले पुणे और चंडीगढ़ में इस तरह का आयोजन हो चुका है. छत्तीसगढ़ में यह पहली बार आयोजित किया गया है. इस कॉन्फ्रेंस में देश भर से 200 फैमिली आई है. 3 दिन के सेमिनार में 2 दिन डाउन सिंड्रोम से रिलेटेड अलग-अलग विषयों पर चर्चा की जाती है. इसके साथ ही ऐसे बच्चे जो डाउन सिंड्रोम कंडीशन में है. ऐसे बच्चो के पेरेंट्स के लिए डॉक्टरों और थेरेपिस्ट इस अलग अलग सेशंस में पेरेंट्स को गाइड किया है.

मेन स्ट्रीम में लाने का प्रयास: डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए मिस्टर एंड मिस इंडिया का कॉम्पिटिशन करवाया गया. इसका उद्देश्य है बच्चों को प्रोत्साहित करना. ताकि इन बच्चों को भी लगे कि वह एक सामान्य बच्चे की तरह है. सामान्य देखा जाता है कि डाउन सिंड्रोम बच्चों को नॉर्मल चाइल्ड नहीं समझा जाता, उन्हें स्पेशल चाइल्ड कह दिया जाता है. ऐसे बच्चों को मेन स्ट्रीम में लाने के लिए इस तरह के आयोजन किए जाते है..

यह भी पढ़ें: रायपुर में सरपंचों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ धक्का मुक्की

क्या है डाउनसिंड्रोम ? डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़ी मनीषा दासे ने बताया " डाउन सिंड्रोम एक मेडिकल कंडीशन है. और इसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है. जब भी कोई बच्चा अपने मां के गर्भ में तैयार होता है. फर्टिलाइजेशन के टाइम में सेलुलर चेज होते है और सेल का निर्माण होता है. 21 गुणसूत्र में एक्स्ट्रा सेल की कॉपी हो जाती है वह ट्राइसोमिक डॉउन सिंड्रोम 21 कहलाता है, और इसमें अगर कोई एक सेल कम हो जाता है ऐसे बच्चों को बेहद परेशानी होती है और उनकी उम्र भी कम होती है. यह एक मेडिकल कंडीशन है यह कोई बीमारी नहीं है. ऐसे बच्चों का फेस थोड़ा लाभ होता है, इम्यूनिटी कमजोर होती है लेकिन पेरेंट्स बच्चे के खानपान का अच्छे से ध्यान दें तो इम्यूनिटी मजबूत होती है.

डॉक्टर को इसमें खास ध्यान देने की जरूरत: जब हमारे बच्चों को डाउन सिंड्रोम की जानकारी मिली, डॉक्टरों द्वारा बिना किसी डायग्नोसिस के कह दिया गया कि 1 साल का इंतजार करें. जब हमने पूरा डायग्नोसिस किया तो हमें पता चला ट्राइसोमिक 21 प्लस क्रोमोजोम है. हमें यह पता है कि बाकी लोगो से बच्चे में एक कि पावर ज्यादा है. यही उसे ताकत देगा. हम कॉन्फ्रेंस से पहुंचे हुए हैं और देख रहे है डाउन सिंड्रोम कंडीशन वाले 15 साल के बच्चे से लेकर साल से लेकर 45 साल की उम्र के लोग आगे बढ़ रहे हैं. समाज के लिए एक मैसेज है डाउन सिंड्रोम कंडीशन के बच्चों को स्वीकार करें और उन्हें मौका दें वह अपने आप को हर फील्ड में प्रूफ भी कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 18, 2022, 5:08 PM IST
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