रायपुर : छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिले कई वर्ष गुजर चुके हैं. बावजूद इसके सरकारी दफ्तरों सहित शिक्षा में छत्तीसगढ़ी राजभाषा को विशेष महत्व नहीं मिल रहा है. राजभाषा कागजों तक सिमट कर रह गई. स्थानीय तीज त्योहारों को भी राज्य सरकार महत्व दे रही है. छुट्टी तक का ऐलान राज्य सरकार ने किया है. लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा, तीज त्यौहार सहित अन्य स्थानीय जानकारी किताबों से गायब है. शिक्षा से छत्तीसगढ़ की संस्कृति तीज त्यौहार अब तक दूर हैं.
छत्तीसगढ़ी भाषा होना चाहिए शिक्षा का माध्यम : वहीं प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी भाषा को भी जल्द शुरू किए जाने की मांग छत्तीसगढ़ी भाषा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने की है . यदि शुरुआती शिक्षा के दौरान छत्तीसगढ़ी भाषा में बच्चों को पढ़ाया जाएगा तो बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे. यहां तक कि उन्होंने शिक्षा का माध्यम भी छत्तीसगढ़ी भाषा में किए जाने कि मांग राज्य सरकार से की (There is no knowledge of language in Chhattisgarhi books)है.
राजाभाषा आयोग कितना हुआ कामयाब : इन सवालों को लेकर जब हमने छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अनिल कुमार भतपहरी से बात की तो उनका भी कहना था कि ''छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन के बाद से ही लगातार छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए आयोग काम कर रहा है . छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृध्द करने, लोगों में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार करने सहित छत्तीसगढ़ी भाषा को कई क्षेत्रों में जाकर उसके स्वरूप स्थापित करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है.अध्ययन अध्यापन भी छत्तीसगढ़ी भाषा मे किया जा रहा है. एमए, बीए छत्तीसगढ़ी भाषा से की जा रही है. लेकिन शुरुआती स्कूल शिक्षा की बात की जाए तो वहां पर मिक्स पाठ्यक्रम है. विशेष रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा में स्कूलों में अध्ययन अध्यापन का कार्य नहीं हो रहा है. लेकिन उम्मीद है कि सरकार जल्द इस ओर ठोस कदम उठाएगी.''
स्कूलों में छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम लागू करने की मांग : अनिल ने कहा कि ' एक भाषा प्रेमी और छत्तीसगढ़ी होने के नाते मेरा आग्रह है कि यह छत्तीसगढ़ राज्य है और छत्तीसगढ़ी बोलने वाले लोग यहां हैं. छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम जल्दी से जल्दी बनाकर लागू किया जाए जिससे बच्चों में मातृभाषा के प्रति लगाव आ सके और उनमे आत्मविश्वास बढ़ सके.
छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर हो रही राजनीति : बीजेपी नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि ''पिछले 4 साल से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और राजभाषा के नाम पर धोखा दिया जा रहा है. गुमराह किया जा रहा है. जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके सिर्फ अपनी ब्रांडिंग की जा रही है. छत्तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में किसी प्रकार से राजभाषा का प्रयोग नहीं किया जा रहा है और तो और मंत्रालय में भी राजभाषा का कहीं कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है, जो इस बात का सूचक है कि सरकार महज अपनी लोकप्रियता हासिल करने के लिए प्रदेश के संस्कृति और राजभाषा के इस्तेमाल कर रही है.''
कांग्रेस का राजभाषा को लेकर अपना तर्क : वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि ''भूपेश सरकार बनने के बाद से ही लगातार छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए काम किया जा रहा है, लगातार सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से तीज त्यौहार परंपरा के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा को विश्व में पहचान दिलाया जा रहा है छत्तीसगढ़ी भाषा में डिक्शनरी तैयार की जा रही है. सिनेमाघरों में छत्तीसगढ़ी फिल्म लगाई जा रही है .सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए काम कर रही है. देश के बाहर अमेरिका जैसे शहर में भी छत्तीसगढ़ी भाषा की पूछ परख है.''
छत्तीसगढ़ी भाषा का भविष्य क्या : सत्ता पक्ष और विपक्ष छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर अपने-अपने दावे कर रहा है. लेकिन यह सच है कि जिस तरह से प्रदेश में छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास होना चाहिए शायद अब तक नहीं हो सका है. यही वजह है कि अब छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए कही न कही राज्य सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी आगे आना होगा. तभी छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ में जन-जन की भाषा बन (future of chhattisgarhi language) सकेगी.