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Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा में 16 कलाओं से युक्त है चंद्रमा

Sharad Purnima 2022 इस साल शरद पूर्णिमा का त्यौहार 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 8 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 2:24 से शुरू होकर 9 अक्टूबर रविवार की रात्रि 3:40 तक रहेगी. इस पूर्णिमा को खीर वाली पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा या नवान्य पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है.

Sharad Purnima 2022
शरद पूर्णिमा का त्यौहार
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Published : Oct 4, 2022, 4:51 PM IST

Updated : Oct 9, 2022, 7:42 AM IST

रायपुर: अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रूप में जानी जाती है. इस साल यह त्यौहार 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 8 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 2:24 से शुरू होकर 9 अक्टूबर रविवार की रात्रि 3:40 तक रहेगी. इस पूर्णिमा को खीर वाली पूर्णिमा और कोजागिरी पूर्णिमा या नवान्य पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि के पश्चात मनाई जाने वाली यह प्रथम पूर्णिमा होती है. इस पूर्णिमा का विशेष महत्व रहता है. इस दिन भगवान लक्ष्मी, इंद्र और भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है.

शरद पूर्णिमा में खीर का महत्व जानिए
मान्यता है कि इस दिन 16 कलाओं से युक्त होता है चंद्रमा: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "ऐसी मान्यता है कि भगवान लक्ष्मी और कृष्ण भगवान की पूजा करने पर वे शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस पूर्णिमा में खीर खाने का भी विधान है. आज के दिन खीर को भलीभांति शुद्ध रूप से पकाकर बनाया और सजाया जाता है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के प्रभाव में इसे रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है. जिसमें चंद्रमा की किरणें पड़ने के कारण इस खीर में अमृत की वर्षा होती है." आज के दिन ऐसी मान्यता है कि "चंद्रमा की किरणें फूलों पर आती है और अमृतमय किरणें स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है. इससे शरीर को भी लाभ मिलता है. अनेक रोगों से शरीर को लड़ने में सहायता मिलती है. यह किरणें शरीर में पहुंचकर शरीर को असाध्य रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है."

यह भी पढ़ें: Girls Ramlila: छत्तीसगढ़ की ऐसी रामलीला मंडली जिसमें सिर्फ बेटियां करती हैं अभिनय


रात्रि में चंद्रमा की किरणें पड़ने से खीर हो जाती है अमृतमय: यह अमृतमय खीर चंद्रमा के आशीर्वाद से प्रतापी सिद्ध होती है. संपूर्ण चंद्रमा मन को शांत करता है. इस दिन खीर खाने से बहुत लाभ मिलता है. श्वेत चंद्रमा की किरणों से बनी हुई श्वेत खीर सुबह की बेला में अर्थात शरद पूर्णिमा के दूसरे दिन ग्रहण करनी चाहिए. जिससे शरीर को नवीन ऊर्जा शक्ति और धन प्राप्त होता है. इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कोजागिरी पूर्णिमा में नए आए हुए चावल के दानों से यह खीर बनाई जाती है. खीर बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दूध और खीर के साथ ही शक्कर की मात्रा संतुलित होनी चाहिए. इस खीर में पंचमेवा बादाम काजू मुनक्का खजूर किशमिश और अखरोट का संतुलित रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए.

शरद पूर्णिमा के दिन शुद्ध सात्विक चीजों का करना चाहिए उपयोग: इस दिन फलाहार के रूप में साबूदाना वाली खिचड़ी और शुद्ध सात्विक चीजों का भरपूर उपयोग करना चाहिए. शुद्ध सात्विक चीजों से मन प्रसन्न और प्रफुल्लित होता है. जिससे सकारात्मक विचारों के साथ शुभ कार्य करता है. यह पूर्णिमा जीवन में नई ऊर्जा, नई चेतना, नए मनोयोग और नूतन विचारों को लेकर आती है. मानसिक रूप से कमजोर या विक्षिप्त व्यक्तियों को आज के दिन रात्रि में जल्दी शयन करना चाहिए. आज के दिन तनाव, दबाव, मामले, मुकदमों से दूर रहना चाहिए. आज के दिन क्रोध गुस्सा व्यक्त करने पर हानि होने की आशंका बनी रहती है. इसके साथ ही आज के शुभ दिन श्वेत चीजों का दान करना चाहिए. जैसे दूध, पनीर, रबड़ी, चावल सभी चीजों को शुभ माना गया है.

रायपुर: अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रूप में जानी जाती है. इस साल यह त्यौहार 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 8 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 2:24 से शुरू होकर 9 अक्टूबर रविवार की रात्रि 3:40 तक रहेगी. इस पूर्णिमा को खीर वाली पूर्णिमा और कोजागिरी पूर्णिमा या नवान्य पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि के पश्चात मनाई जाने वाली यह प्रथम पूर्णिमा होती है. इस पूर्णिमा का विशेष महत्व रहता है. इस दिन भगवान लक्ष्मी, इंद्र और भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है.

शरद पूर्णिमा में खीर का महत्व जानिए
मान्यता है कि इस दिन 16 कलाओं से युक्त होता है चंद्रमा: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "ऐसी मान्यता है कि भगवान लक्ष्मी और कृष्ण भगवान की पूजा करने पर वे शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस पूर्णिमा में खीर खाने का भी विधान है. आज के दिन खीर को भलीभांति शुद्ध रूप से पकाकर बनाया और सजाया जाता है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के प्रभाव में इसे रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है. जिसमें चंद्रमा की किरणें पड़ने के कारण इस खीर में अमृत की वर्षा होती है." आज के दिन ऐसी मान्यता है कि "चंद्रमा की किरणें फूलों पर आती है और अमृतमय किरणें स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है. इससे शरीर को भी लाभ मिलता है. अनेक रोगों से शरीर को लड़ने में सहायता मिलती है. यह किरणें शरीर में पहुंचकर शरीर को असाध्य रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है."

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रात्रि में चंद्रमा की किरणें पड़ने से खीर हो जाती है अमृतमय: यह अमृतमय खीर चंद्रमा के आशीर्वाद से प्रतापी सिद्ध होती है. संपूर्ण चंद्रमा मन को शांत करता है. इस दिन खीर खाने से बहुत लाभ मिलता है. श्वेत चंद्रमा की किरणों से बनी हुई श्वेत खीर सुबह की बेला में अर्थात शरद पूर्णिमा के दूसरे दिन ग्रहण करनी चाहिए. जिससे शरीर को नवीन ऊर्जा शक्ति और धन प्राप्त होता है. इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कोजागिरी पूर्णिमा में नए आए हुए चावल के दानों से यह खीर बनाई जाती है. खीर बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दूध और खीर के साथ ही शक्कर की मात्रा संतुलित होनी चाहिए. इस खीर में पंचमेवा बादाम काजू मुनक्का खजूर किशमिश और अखरोट का संतुलित रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए.

शरद पूर्णिमा के दिन शुद्ध सात्विक चीजों का करना चाहिए उपयोग: इस दिन फलाहार के रूप में साबूदाना वाली खिचड़ी और शुद्ध सात्विक चीजों का भरपूर उपयोग करना चाहिए. शुद्ध सात्विक चीजों से मन प्रसन्न और प्रफुल्लित होता है. जिससे सकारात्मक विचारों के साथ शुभ कार्य करता है. यह पूर्णिमा जीवन में नई ऊर्जा, नई चेतना, नए मनोयोग और नूतन विचारों को लेकर आती है. मानसिक रूप से कमजोर या विक्षिप्त व्यक्तियों को आज के दिन रात्रि में जल्दी शयन करना चाहिए. आज के दिन तनाव, दबाव, मामले, मुकदमों से दूर रहना चाहिए. आज के दिन क्रोध गुस्सा व्यक्त करने पर हानि होने की आशंका बनी रहती है. इसके साथ ही आज के शुभ दिन श्वेत चीजों का दान करना चाहिए. जैसे दूध, पनीर, रबड़ी, चावल सभी चीजों को शुभ माना गया है.

Last Updated : Oct 9, 2022, 7:42 AM IST
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