रायपुर: अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रूप में जानी जाती है. इस साल यह त्यौहार 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 8 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 2:24 से शुरू होकर 9 अक्टूबर रविवार की रात्रि 3:40 तक रहेगी. इस पूर्णिमा को खीर वाली पूर्णिमा और कोजागिरी पूर्णिमा या नवान्य पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि के पश्चात मनाई जाने वाली यह प्रथम पूर्णिमा होती है. इस पूर्णिमा का विशेष महत्व रहता है. इस दिन भगवान लक्ष्मी, इंद्र और भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है.
यह भी पढ़ें: Girls Ramlila: छत्तीसगढ़ की ऐसी रामलीला मंडली जिसमें सिर्फ बेटियां करती हैं अभिनय
रात्रि में चंद्रमा की किरणें पड़ने से खीर हो जाती है अमृतमय: यह अमृतमय खीर चंद्रमा के आशीर्वाद से प्रतापी सिद्ध होती है. संपूर्ण चंद्रमा मन को शांत करता है. इस दिन खीर खाने से बहुत लाभ मिलता है. श्वेत चंद्रमा की किरणों से बनी हुई श्वेत खीर सुबह की बेला में अर्थात शरद पूर्णिमा के दूसरे दिन ग्रहण करनी चाहिए. जिससे शरीर को नवीन ऊर्जा शक्ति और धन प्राप्त होता है. इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कोजागिरी पूर्णिमा में नए आए हुए चावल के दानों से यह खीर बनाई जाती है. खीर बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दूध और खीर के साथ ही शक्कर की मात्रा संतुलित होनी चाहिए. इस खीर में पंचमेवा बादाम काजू मुनक्का खजूर किशमिश और अखरोट का संतुलित रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए.
शरद पूर्णिमा के दिन शुद्ध सात्विक चीजों का करना चाहिए उपयोग: इस दिन फलाहार के रूप में साबूदाना वाली खिचड़ी और शुद्ध सात्विक चीजों का भरपूर उपयोग करना चाहिए. शुद्ध सात्विक चीजों से मन प्रसन्न और प्रफुल्लित होता है. जिससे सकारात्मक विचारों के साथ शुभ कार्य करता है. यह पूर्णिमा जीवन में नई ऊर्जा, नई चेतना, नए मनोयोग और नूतन विचारों को लेकर आती है. मानसिक रूप से कमजोर या विक्षिप्त व्यक्तियों को आज के दिन रात्रि में जल्दी शयन करना चाहिए. आज के दिन तनाव, दबाव, मामले, मुकदमों से दूर रहना चाहिए. आज के दिन क्रोध गुस्सा व्यक्त करने पर हानि होने की आशंका बनी रहती है. इसके साथ ही आज के शुभ दिन श्वेत चीजों का दान करना चाहिए. जैसे दूध, पनीर, रबड़ी, चावल सभी चीजों को शुभ माना गया है.