रायपुर: कोरोना काल में लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि लोग अपने बच्चों की फीस भी नहीं पटा पा रहे थे. बहुत से परिजन ऐसे हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाया है. बच्चों के स्कूल छोड़ने और फीस नहीं मिलने के कारण इसका असर छोटे प्राइवेट स्कूलों पर पड़ा है. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण प्रदेश में अब तक लगभग 350 प्राइवेट स्कूल बंद हो चुके हैं. अकेले रायपुर में ही 55 प्राइवेट स्कूल बंद हुए हैं.
छत्तीसगढ़ में कई प्राइवेट स्कूल बंद: स्कूल बंद होने को लेकर छत्तीसगढ़ प्राइवेट मैनेजमेंट एसोसिएशन अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि,''प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 350 से 400 प्राइवेट स्कूल बंद हुए हैं लेकिन वास्त में 800 स्कूल हैं, जो पिछले 2 सालों में बंद हुए हैं. प्राइवेट स्कूल बंद होने का कारण यह है कि लोगों को आर्थिक समस्या के कारण फीस नहीं पटा पा रहे हैं. ऑफलाइन पढ़ाई पूरी तरह से बंद थी. जब ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई तब पेरेंट्स को लगा कि प्राइवेट स्कूल के जरिए बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवा लेंगे.
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छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूल की हालत खराब: राजीव गुप्ता ने बताया कि सरकारी स्कूलों की जो व्यवस्थाएं हैं, वह इतनी अच्छी नहीं है कि वे सारे लोगों को पढ़ा सकें इसलिए लोग प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख करते हैं. अगर निजी स्कूल भी बंद होने लगे तो शिक्षा की स्थिति में गिरावट होती जाएगी. शिक्षा महंगी होती जाएगी. बंद होने वाली प्राइवेट स्कूलों में छोटे स्कूल ज्यादा हैं. छोटे स्कूल बंद होंगे तो पालकों को मजबूरन महंगे स्कूल जाना पड़ेगा. ऐसे में स्थिति और खराब होगी.
शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020-21 से 2021-22 में हिंदी और अंगेजी माध्यमों के 333 प्राइवेट स्कूल बंद हुए हैं. साल 2020-21 में 202 स्कूल और 2021-22 में 131 में प्राइवेट बंद हुए हैं. इनमें रायपुर में 55 स्कूल, राजनांदगांव-43, दुर्ग-42, महासमुंद-19, रायगढ़-17, बिलासपुर-16, कवर्धा-15, बस्तर-11, धमतरी-11, जांजगीर-10, बलौदा बाजार-10 स्कूल शामिल हैं.