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ऑनलाइन गेम से बच्चे हो रहे हैं मानसिक बीमारी के शिकार, वर्चुअल वर्ल्ड की तरफ हो रहा झुकाव

ऑनलाइन गेम बच्चों की मानसिक परेशानी (children's mental problems) का कारण बनते जा रहे हैं. बच्चे ऑनलाइन खेल के लिए आपराधिक गतिविधि का सहारा (Recourse to criminal activity for sport) ले रहे हैं. वह जाने अनजाने कई बार आपराधिक गतिविधियों को भी अंजाम दे जा रहे हैं. ऐसे में ऑनलाइन मोबाइल गेम से बच्चों में उत्पन्न बीमारियों पर साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत...

Children are victims of mental illness due to online games
ऑनलाइन गेम से बच्चे हो रहे हैं मानसिक बीमारी के शिकार
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Published : Dec 16, 2021, 9:32 PM IST

Updated : Dec 16, 2021, 10:32 PM IST

रायपुरः पिछले 2 सालों से कोविड की वजह से लगातार इंटरनेट का यूसेज देश में बढ़ता चला जा रहा है. आज लगभग सभी के हाथों में स्मार्टफोन है और पिछले 2 साल से घरों में रहने की वजह से बच्चे, बड़े सभी अपना ज्यादातर समय मोबाइल और इंटरनेट में बिता रहे हैं. कहीं ना कहीं यह बच्चों के दिमाग पर असर कर रहा है और लगातार बच्चे इसके आदी होते जा रहे हैं. कहीं ना कहीं से बच्चों की आदतें बदल रही हैं (changing habits of children). वह चिड़चिड़ा हो रहे हैं.

ऑनलाइन गेम से बच्चे हो रहे हैं मानसिक बीमारी के शिकार

छोटी-छोटी बात पर गुस्सा कर रहे हैं और जिस हिसाब वो वर्चुअल वर्ल्ड में एक्टिविटी कर रहे हैं. कहीं ना कहीं इसका फर्क रियल वर्ल्ड में भी पड़ रहा है और बच्चे एग्रेसिव हो रहे हैं (kids are getting aggressive) और क्रिमिनल एक्टिविटी की तरफ बढ़ रहे हैं. आखिर ज्यादा मोबाइल और इंटरनेट यूसेज (High mobile and internet usage) से दिमाग पर क्या असर पड़ता है और आखिर बच्चे क्यों अपराधिक गतिविधियों की तरफ बढ़ रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत में साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?

पेरेंट्स को रखना होगा बच्चों क ध्यान

साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया कि पिछले 2 सालों से बच्चे कोविड के वजह से घरों में है. ऑनलाइन पढ़ाई भी हो रही है. इस वजह से पेरेंट्स बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल करने से नहीं रोक पा रहे हैं. ऐसे में पेरेंट्स को रखना होगा बच्चों का ध्यान (Parents have to take care of children). उन्होंने कहा कि पेरेंट्स का सोचना यह रहता है कि बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल (children use mobile) कर रहे हैं. मतलब वह घर के अंदर हैं और सेफ हैं लेकिन पेरेंट्स यह कंट्रोल नहीं कर पाते कि बच्चे मोबाइल में क्या-क्या देख रहे हैं.

कहीं ना कहीं इस वजह से बच्चे मोबाइल और इंटरनेट के आदी होते जा रहे हैं हमारे दिमाग में एक रिवॉर्ड सर्किट होता है. इस वजह से हमें वह काम बार-बार करने का मन करता है. आजकल कई ऐसा गेम हैं जो पहले बच्चों को फ्री में खिलाते हैं. उसके बाद वह उसमें इन्वेस्ट करने को कहते हैं. धीरे-धीरे जो गेमिंग के लेवल होते हैं, वह बढ़ते जाते हैं. बच्चे को उसमें और मजा आता है. नोवेल्टी सीकिंग जिसको हम बोलते हैं. जैसे कोई बच्चा पार्क में चलता है तो कुछ समय बाद वह बोर हो जाता है लेकिन मोबाइल में नए-नए गेमिंग नए-नए चैलेंज एस आते हैं. जिससे बच्चों को मजा आता है. जिसे कहीं ना कहीं बच्चे मोबाइल और गेमिंग के आदी होते जाते हैं.


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वर्चुअल वर्ल्ड में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं बच्चे


ज्यादा मोबाइल और इंटरनेट के स्माल करने की वजह से बच्चे रियल वर्ल्ड के बजाय वर्चुअल वर्ल्ड में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. क्योंकि वर्चुअल वर्ल्ड में उन्हें रिजेक्शन का डर नहीं रहता. प्रेशर वहां थोड़ा कम रहता है और नए-नए लोगों से मिलते हैं. नए-नए एडवेंचर होते हैं. जिससे उनको उसकी आदत हो जाती है और उन्हें यह अच्छा लगने लगता है. यह ट्रेंड अभी के जनरेशन में बहुत बड़ा रहा है. बच्चे जो चीजें वर्चुअल गेम्स में देखते हैं, उसको कहीं ना कहीं रियल वर्ल्ड में लाने की कोशिश करते हैं. इससे उनकी थिंकिंग थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है और वह क्रिमिनल एक्टिविटी के तरफ बढ़ने लगते हैं.

वर्चुअल वर्ल्ड में बच्चे तलाश कर रहे अपना वजूद


बच्चे आजकल अपना एक वर्चुअल वजूद बनाने में लगे हुए हैं. हम ऐसे सोसाइटी में रहते हैं जहां परिवार में मम्मी-पापा, दादा-दादी, भाई-बहन सब एक साथ रहते हैं लेकिन आज सबके साथ होने के बावजूद सब अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. इस वजह से बच्चे अकेले हो जाते हैं और वह वर्चुअल वर्ल्ड को ही अपनी दुनिया बना लेते हैं. वह यहां पर अपने आपको बोस रिप्रेजेंट कर सकते हैं और जब मन आए उसे स्विच ऑन या स्विच ऑफ कर सकते हैं, जो कि रियल लाइफ में पॉसिबल नहीं है.

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मोबाइल गेम्स के आदी बच्चों में देखने को मिलता है दुष्प्रभाव
बॉयज को अक्सर एक्शन गेम ज्यादा पसंद आते हैं और जो गेमिंग एप्लीकेशन होते हैं उसमें बच्चे आसानी से एक्सेस कर पाते हैं, जो रियल लाइफ में पॉसिबल नहीं है. इस वजह से बच्चे और गेमिंग की तरफ ज्यादा जाते हैं. इसके दुष्प्रभाव भी काफी है. बच्चे अग्रेसिव हो जाते हैं. चिड़चिडे हो जाते हैं और वह कोशिश करते हैं कि रियल वर्ल्ड में भी उसी तरह का वर्ताव करें.


ऐसे गेम्स पर बच्चे हो रहे हैं इंप्रेस

• पबजी

• डेथ टारगेट

• ब्लू व्हेल

• लास्ट डे ऑफ एअर्थ

• प्ले रमी

• फ्री फायर

• कॉल ऑफ दुइटी

• पोकर गेम्स

• बिंगो

यह कुछ ऐसे गेम्स है जिनमें अग्रेशन और गैंबलिंग की लत लोगों में बढ़ जाती है. खास करके बच्चों में जब वो ऐसे गेम्स खेलते हैं तो एक वर्चुअल वर्ल्ड में रहते हैं और अग्रेशन और एडवेंचर बच्चों को काफी पसंद रहता है. इसलिए वह ऐसे गेम खेलना पसंद करते हैं. जिसमें उन्हें रिवॉर्ड भी मिलता है. इस वजह से वह लगातार ऐसे गेम्स की तरफ अट्रेक्ट होते हैं और कहीं ना कहीं इन वर्चुअल वर्ल्ड को वह रियल वर्ल्ड में मिक्स कर लेते हैं. इससे अपराधिक गतिविधियां भी बच्चों में बढ़ने लगती है और बच्चे चोरी, चाकू बाजी, नशा जैसे तत्वों की तरफ बढ़ने लगते हैं.

केस 1 :- हाल ही में सरगुजा में ऐसा मामला देखने को मिला था जहां 19 वर्षीय बालक ने अपने आप को किडनैप कर अपने ही माता-पिता से 4 लाख की डिमांड की. पुलिस ने जब आरोपी युवक को पकड़ा और पूछताछ की तो आरोपी ने बताया कि पब्जी गेम में उसे चार लाख लगाकर 1 करोड़ रुपए मिल रहे थे. इस वजह से उसने अपने आप को किडनैप करने की साजिश रची. पहले भी पैसे के लिए वह अपनी गाड़ी बेच चुका था.

केस 2 :- कांकेर के पंखाजूर में एक शिक्षक के खाते से 3 लाख 22 हजार की राशि निकाली गई. महिला ने ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत पुलिस से की तो जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. जांच में पता चला कि 12 साल के बेटे ने ही पूरी रकम ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान खर्च कर दी थी.

केस 3 :- ऑनलाइन गेम्स के दौरान दोस्त बनाकर ब्लैकमेल करने के भी कई मामले देखने को मिलते हैं. कुछ समय पहले अंबिकापुर में भी ऐसे ही एक मामला देखने को मिला था जहां ऑनलाइन गेम के दौरान युवक ने युवती से दोस्ती की उसके बाद उसकी अश्लील फोटो पोस्ट करने की धमकी देकर युवती को ब्लैकमेल करने लगा. एक लाख की डिमांड करने लगा. पुलिस ने जब युवक को गिरफ्तार किया तो पता चला कि युवक राजस्थान का रहने वाला है और गेम खेलने के दौरान युवती से दोस्ती हुई. दोस्ती इतनी आगे बढ़ गई कि व्हाट्सएप मैसेंजर पर बात होने लगी तथा फोटो और वीडियो शेयर होने लगे.

रायपुरः पिछले 2 सालों से कोविड की वजह से लगातार इंटरनेट का यूसेज देश में बढ़ता चला जा रहा है. आज लगभग सभी के हाथों में स्मार्टफोन है और पिछले 2 साल से घरों में रहने की वजह से बच्चे, बड़े सभी अपना ज्यादातर समय मोबाइल और इंटरनेट में बिता रहे हैं. कहीं ना कहीं यह बच्चों के दिमाग पर असर कर रहा है और लगातार बच्चे इसके आदी होते जा रहे हैं. कहीं ना कहीं से बच्चों की आदतें बदल रही हैं (changing habits of children). वह चिड़चिड़ा हो रहे हैं.

ऑनलाइन गेम से बच्चे हो रहे हैं मानसिक बीमारी के शिकार

छोटी-छोटी बात पर गुस्सा कर रहे हैं और जिस हिसाब वो वर्चुअल वर्ल्ड में एक्टिविटी कर रहे हैं. कहीं ना कहीं इसका फर्क रियल वर्ल्ड में भी पड़ रहा है और बच्चे एग्रेसिव हो रहे हैं (kids are getting aggressive) और क्रिमिनल एक्टिविटी की तरफ बढ़ रहे हैं. आखिर ज्यादा मोबाइल और इंटरनेट यूसेज (High mobile and internet usage) से दिमाग पर क्या असर पड़ता है और आखिर बच्चे क्यों अपराधिक गतिविधियों की तरफ बढ़ रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत में साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?

पेरेंट्स को रखना होगा बच्चों क ध्यान

साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सुरभि दुबे ने बताया कि पिछले 2 सालों से बच्चे कोविड के वजह से घरों में है. ऑनलाइन पढ़ाई भी हो रही है. इस वजह से पेरेंट्स बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल करने से नहीं रोक पा रहे हैं. ऐसे में पेरेंट्स को रखना होगा बच्चों का ध्यान (Parents have to take care of children). उन्होंने कहा कि पेरेंट्स का सोचना यह रहता है कि बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल (children use mobile) कर रहे हैं. मतलब वह घर के अंदर हैं और सेफ हैं लेकिन पेरेंट्स यह कंट्रोल नहीं कर पाते कि बच्चे मोबाइल में क्या-क्या देख रहे हैं.

कहीं ना कहीं इस वजह से बच्चे मोबाइल और इंटरनेट के आदी होते जा रहे हैं हमारे दिमाग में एक रिवॉर्ड सर्किट होता है. इस वजह से हमें वह काम बार-बार करने का मन करता है. आजकल कई ऐसा गेम हैं जो पहले बच्चों को फ्री में खिलाते हैं. उसके बाद वह उसमें इन्वेस्ट करने को कहते हैं. धीरे-धीरे जो गेमिंग के लेवल होते हैं, वह बढ़ते जाते हैं. बच्चे को उसमें और मजा आता है. नोवेल्टी सीकिंग जिसको हम बोलते हैं. जैसे कोई बच्चा पार्क में चलता है तो कुछ समय बाद वह बोर हो जाता है लेकिन मोबाइल में नए-नए गेमिंग नए-नए चैलेंज एस आते हैं. जिससे बच्चों को मजा आता है. जिसे कहीं ना कहीं बच्चे मोबाइल और गेमिंग के आदी होते जाते हैं.


नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान आखिर क्यों करते हैं आत्महत्या?

वर्चुअल वर्ल्ड में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं बच्चे


ज्यादा मोबाइल और इंटरनेट के स्माल करने की वजह से बच्चे रियल वर्ल्ड के बजाय वर्चुअल वर्ल्ड में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. क्योंकि वर्चुअल वर्ल्ड में उन्हें रिजेक्शन का डर नहीं रहता. प्रेशर वहां थोड़ा कम रहता है और नए-नए लोगों से मिलते हैं. नए-नए एडवेंचर होते हैं. जिससे उनको उसकी आदत हो जाती है और उन्हें यह अच्छा लगने लगता है. यह ट्रेंड अभी के जनरेशन में बहुत बड़ा रहा है. बच्चे जो चीजें वर्चुअल गेम्स में देखते हैं, उसको कहीं ना कहीं रियल वर्ल्ड में लाने की कोशिश करते हैं. इससे उनकी थिंकिंग थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है और वह क्रिमिनल एक्टिविटी के तरफ बढ़ने लगते हैं.

वर्चुअल वर्ल्ड में बच्चे तलाश कर रहे अपना वजूद


बच्चे आजकल अपना एक वर्चुअल वजूद बनाने में लगे हुए हैं. हम ऐसे सोसाइटी में रहते हैं जहां परिवार में मम्मी-पापा, दादा-दादी, भाई-बहन सब एक साथ रहते हैं लेकिन आज सबके साथ होने के बावजूद सब अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं. इस वजह से बच्चे अकेले हो जाते हैं और वह वर्चुअल वर्ल्ड को ही अपनी दुनिया बना लेते हैं. वह यहां पर अपने आपको बोस रिप्रेजेंट कर सकते हैं और जब मन आए उसे स्विच ऑन या स्विच ऑफ कर सकते हैं, जो कि रियल लाइफ में पॉसिबल नहीं है.

बौखलाए नक्सलियों के लिए IED बड़ा हथियार, साल 2020 में जवानों ने 200 से ज्यादा IED किया था डिफ्यूज


मोबाइल गेम्स के आदी बच्चों में देखने को मिलता है दुष्प्रभाव
बॉयज को अक्सर एक्शन गेम ज्यादा पसंद आते हैं और जो गेमिंग एप्लीकेशन होते हैं उसमें बच्चे आसानी से एक्सेस कर पाते हैं, जो रियल लाइफ में पॉसिबल नहीं है. इस वजह से बच्चे और गेमिंग की तरफ ज्यादा जाते हैं. इसके दुष्प्रभाव भी काफी है. बच्चे अग्रेसिव हो जाते हैं. चिड़चिडे हो जाते हैं और वह कोशिश करते हैं कि रियल वर्ल्ड में भी उसी तरह का वर्ताव करें.


ऐसे गेम्स पर बच्चे हो रहे हैं इंप्रेस

• पबजी

• डेथ टारगेट

• ब्लू व्हेल

• लास्ट डे ऑफ एअर्थ

• प्ले रमी

• फ्री फायर

• कॉल ऑफ दुइटी

• पोकर गेम्स

• बिंगो

यह कुछ ऐसे गेम्स है जिनमें अग्रेशन और गैंबलिंग की लत लोगों में बढ़ जाती है. खास करके बच्चों में जब वो ऐसे गेम्स खेलते हैं तो एक वर्चुअल वर्ल्ड में रहते हैं और अग्रेशन और एडवेंचर बच्चों को काफी पसंद रहता है. इसलिए वह ऐसे गेम खेलना पसंद करते हैं. जिसमें उन्हें रिवॉर्ड भी मिलता है. इस वजह से वह लगातार ऐसे गेम्स की तरफ अट्रेक्ट होते हैं और कहीं ना कहीं इन वर्चुअल वर्ल्ड को वह रियल वर्ल्ड में मिक्स कर लेते हैं. इससे अपराधिक गतिविधियां भी बच्चों में बढ़ने लगती है और बच्चे चोरी, चाकू बाजी, नशा जैसे तत्वों की तरफ बढ़ने लगते हैं.

केस 1 :- हाल ही में सरगुजा में ऐसा मामला देखने को मिला था जहां 19 वर्षीय बालक ने अपने आप को किडनैप कर अपने ही माता-पिता से 4 लाख की डिमांड की. पुलिस ने जब आरोपी युवक को पकड़ा और पूछताछ की तो आरोपी ने बताया कि पब्जी गेम में उसे चार लाख लगाकर 1 करोड़ रुपए मिल रहे थे. इस वजह से उसने अपने आप को किडनैप करने की साजिश रची. पहले भी पैसे के लिए वह अपनी गाड़ी बेच चुका था.

केस 2 :- कांकेर के पंखाजूर में एक शिक्षक के खाते से 3 लाख 22 हजार की राशि निकाली गई. महिला ने ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत पुलिस से की तो जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. जांच में पता चला कि 12 साल के बेटे ने ही पूरी रकम ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान खर्च कर दी थी.

केस 3 :- ऑनलाइन गेम्स के दौरान दोस्त बनाकर ब्लैकमेल करने के भी कई मामले देखने को मिलते हैं. कुछ समय पहले अंबिकापुर में भी ऐसे ही एक मामला देखने को मिला था जहां ऑनलाइन गेम के दौरान युवक ने युवती से दोस्ती की उसके बाद उसकी अश्लील फोटो पोस्ट करने की धमकी देकर युवती को ब्लैकमेल करने लगा. एक लाख की डिमांड करने लगा. पुलिस ने जब युवक को गिरफ्तार किया तो पता चला कि युवक राजस्थान का रहने वाला है और गेम खेलने के दौरान युवती से दोस्ती हुई. दोस्ती इतनी आगे बढ़ गई कि व्हाट्सएप मैसेंजर पर बात होने लगी तथा फोटो और वीडियो शेयर होने लगे.

Last Updated : Dec 16, 2021, 10:32 PM IST
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