रायपुर: बुधवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा के विभागों के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 417.23 करोड़ रुपये की अनुदान मांग पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया. अनुदान मांगों पर चर्चा में मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि 'सरकार की तरफ से वर्तमान औद्योगिक नीति 2019-24 को 1 नवम्बर 2019 से लागू किया गया है. पिछले तीन सालों में कुल एक हजार 751 औद्योगिक इकाईयां स्थापित हुई है, जिनका कुल पूंजी निवेश 19550.72 करोड़ रुपये है. 32 हजार 912 लोगों को रोजगार मिला है. सरकार का लक्ष्य राज्य में 200 फूड पार्क स्थापित करने का है ताकि कृषि प्रधान राज्य में किसानों के उपजों का मूल्य संवर्धन राज्य में ही हो और स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिले. इसकी शुरूआत अति पिछड़े बस्तर संभाग से हो चुकी है. सुकमा जिले के ग्राम सुकमा और पाकेला में फूडपार्क की स्थापना के लिए अधोसंरचना विकास का काम शुरू कर दिया गया है'.
छत्तीसगढ़ में फूड पार्क के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान
मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि 'वर्तमान में राज्य के 146 विकासखंडों में से 110 विकासखंड में नए फूडपार्क की स्थापना के लिए भूमि का चिन्हांकन किया जा चुका है. 53 विकासखंडों में 626.616 हेक्टेयर शासकीय भूमि का रकबा राजस्व विभाग से उद्योग विभाग को हस्तांतरण हुआ है. जिसमें से 51 विकासखंडों में भूमि कुल रकबा 610.546 हेक्टेयर का आधिपत्य मिल चुका है. दो विकासखंडों में आधिपत्य लेने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में फूडपार्क के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पिछले तीन वर्षों में राज्य में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित 478 इकाईयां स्थापित हुई हैं, जिसमें कुल 1167.28 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ है. 6319 लोगों को रोजगार मिला है.
विधानसभा में अकबर ने कहा कि 'छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य प्रसंस्करण योजनांतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सहायता अनुदान के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 14 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य प्रसंस्करण योजना में खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों का तकनीकी उन्नयन, स्थापना, आधुनिकीकरण, उद्यानिकी एवं गैर उद्यानिकी, दोनों क्षेत्रों में कोल्ड चेन, मूल्य संवर्धन और परिरक्षण अधोसंरचना का विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्र, संग्रहण केन्द्र की स्थापना और रीफर वाहन योजना सम्मिलित है. इस योजना में निजी निवेशक डेयरी उत्पादक, प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्र, संग्रहण केन्द्र, कोल्ड स्टोरेज उद्योग स्थापित कर सकते हैं.
'राज्य में स्थापित होने वाले औद्योगिक इकाईयों को औद्योगिक नीति 2019-24 अंतर्गत विभिन्न अनुदान, छूट, रियायतें प्रदान की जा रही है, जिसमें औद्योगिक इकाईयों को प्रमुख रूप से लागत पूंजी अनुदान एवं ब्याज अनुदान आर्थिक सहायता दिया जाना सम्मिलित है. राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला वर्ग के उद्यमियों के लिए स्वयं का उद्योग स्थापित करने के लिए अंश पूंजी सहायता के रूप में मार्जिन मनी अनुदान योजना लागू है. जिससे इस वर्ग के उद्यमियों को आर्थिक सहायता मिल रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण उद्यमी प्रशिक्षण विकास योजना लागू है. औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग स्थापना के लिए पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों को बढ़ावा देना 10 प्रतिशत भूमि आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है. इसे 9 फरवरी 2022 से लागू किया गया है'.
'औद्योगिक नीति 2019-24 के अंतर्गत 16 प्रमुख एमएसएमई सेवा श्रेणी उद्यमों जैसे- इलेक्ट्रिक वाहन, चार्जिंग स्टेशन सेवा केन्द्र, बीपीओ, 3-डी प्रिन्टिंग, बीज ग्रेडिंग आदि सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है. राज्य के महिला स्व-सहायता समूह एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूशर आर्गेनाईजेशन) एवं तृतीय लिंग के उद्यमियों को औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन के लिए अलग से वर्गीकृत किया गया है. मेडिकल एवं लेबोरेटरी उपकरण, मेडिकल ऑक्सीजन गैस, ऑक्सीजन गैस सेलेण्डर, ऑक्सीटन कन्सनट्रेटर, क्रायोजेनिक गैस टैंकर, फेस मास्क, कोविड व अन्य संक्रमण बीमारियां के टेस्ट में लाए जाने वाले उपकरण एवं टीका बनाने के उपकरणों को उच्च प्राथमिकता उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है'.
छत्तीसगढ़ में फरवरी 2022 तक 167 एमओयू
'राज्य में जनवरी 2019 से फरवरी 2022 तक 167 एमओयू किए गए हैं, जिनमें लगभग 78 हजार करोड़ रूपए का निवेश प्रस्तावित है. लगभग 90 इकाईयों में उद्योग स्थापना के लिए कार्यवाही शुरू कर दी है, जिनमें अब तक 2750 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जा चुका है. 5 इकाईयों में व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है. पूरे प्रदेश में उद्योगों के पक्ष में माहौल बना हुआ है. अब तो जहां सुकमा जैसे जिले में ग्रेनाइट पर आधारित उद्योग के लिए निवेशक आ रहे है, तो जशपुर में भी खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित उद्योग स्थापना में निवेशक रूचि दिखा रहे हैं'.
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छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्टअप पैकेज लागू
मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक नीति के अंतर्गत स्टार्टअप इकाईयों को प्रोत्साहित करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्टअप पैकेज लागू की गई है. वर्तमान में राज्य में भारत सरकार को मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इकाईयों की संख्या 688 है. जिसमें विगत तीन सालों में 508 स्टार्टअप इकाईयां पंजीकृत हुई है. भारत सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त इकाईयों को छत्तीसगढ़ में स्थापित होने पर विशेष प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया गया है. पैकेज के तहत ब्याज अनुदान अधिकतम 70 प्रतिशत अधिकतम 11 वर्ष के लिए, स्थायी पूंजी निवेश अनुदान अधिकतम 55 प्रतिशत, नेट एसजीएसटी प्रतिपूर्ति अधिकतम 15 वर्ष तक, विद्युत शुल्क छूट अधिकतम 10 वर्ष तक और पात्रता अनुसार औद्योगिक नीति 2019-24 में उल्लेखित अन्य अनुदान जैसी भू-प्रब्याजी में छूट, स्टाम्प शुल्क छूट, परियोजना प्रतिवेदन में छूट आदि की सुविधा प्रदान की जाती है. स्टार्टअप को तीन सालों तक भवन किराए का 40 प्रतिशत, जिसकी अधिकतम सीमा 8 हजार रुपये प्रति माह प्रतिपूर्ति दी जा रही है. स्टार्टअप इकाईयों द्वारा सेमिनार, वर्कशॉप, संगोष्ठी, प्रदर्शनी में भाग लिए जाने पर 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति, जिसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपये प्रति वर्ष दी जा रही है. राज्य में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने इन्क्यूबेटर की स्थापना के लिए किए जाने वाले व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि 50 लाख रुपये संचालन के लिए 3 लाख रुपये प्रति वर्ष अनुदान के रूप में दिया जा रहा है.
मंत्री अकबर ने कहा कि उद्योग विभाग द्वारा औद्योगिक भूमि को लीज पर आबंटन किया गया है. ऐसी औद्योगिक इकाईयों को छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम-2015 के अंतर्गत ‘लीज होल्ड भूमि से फ्री होल्ड भूमि करने के लिए नियम-2019 जारी किए गए हैं. जिसके अंतर्गत 10 साल या उससे अधिक समय से उत्पादरत औद्योगिक इकाईयों को लीज पर दी गई भूमि हो फ्री होल्ड किया गया है. जिससे औद्योगिक इकाईयों को आबंटित भूमि जो कि लीज पर थी, का मालिकाना हक निवेशकों को मिला है, ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ भारत का दूसरा राज्य है. उन्होंने कहा कि राज्य में अधोसंरचना विकास के लिए नये औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना और निजी क्षेत्रों में निजी औद्योगिक क्षेत्र, पार्क की स्थापना की जा रही है. औद्योगिक क्षेत्रों में अधोसंरचना उन्नयन कार्य और जीर्णोंद्धार किए जा रहे हैं.