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Chaitra Navratri 2022: मिट्टी और तांबे के पात्र में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करना है शुभ

नवरात्र पर मिट्टी और तांबे के पात्र में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करना शुभ माना गया है.

Chaitra Navratri 2022
चैत्र नवरात्रि 2022
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Published : Apr 1, 2022, 2:39 PM IST

रायपुर: राजधानी समेत पूरे देश में 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र का पावन पर्व शुरू हो रहा है. इस दौरान सभी देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं. खास तौर पर शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के दौरान देवी मंदिरों में मिट्टी और तांबे के पात्र को शुद्ध माना गया है. मिट्टी के पात्र में ही प्राचीन समय से ज्योति कलश को प्रज्वलित किया जाता है. ज्योतिष की दृष्टिकोण से बात करें तो तांबा सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. श्वेत बाती और श्वेत घी चंद्रमा का प्रतीक होता है. दोनों मिलकर जब जलते है तो यह मंगल का प्रतीक होता है.

चैत्र नवरात्रि 2022

पुराने समय में मिट्टी के पात्र में ही देवी मंदिरों में दीप प्रज्वलित किया जाता रहा है. समय के साथ अब तांबे के पात्र में भी दीप प्रज्वलित होने लगे हैं. मिट्टी और तांबे के पात्र शुद्ध माने गए हैं. लेकिन मिट्टी के पात्र में ज्योति कलश प्रज्वलित होने के बाद इन्हें विसर्जित कर दिया जाता है. लेकिन तांबे के पात्र को अच्छी तरह से साफ सफाई करके सालों तक दीप प्रज्वलित किया जा सकता है. तांबे के पात्र को कई सालों तक उपयोग करने के बाद भी उसकी शुद्धता वैसे की वैसी ही बनी रहती है.

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मिट्टी और तांबे के बर्तन में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने को लेकर महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि 'वर्तमान परिवेश में शहर का विस्तार होने के कारण कच्ची सामग्री की कमी के चलते कुमार परिवार मिट्टी से बने कलश की आपूर्ति मंदिरों में नहीं कर पा रहे हैं. जिसके कारण कई मंदिरों में मिट्टी से बने पात्र की जगह तांबे से बने पात्र का उपयोग दीप प्रज्वलित करने में किया जा रहा है. महामाया मंदिर में लगभग 8 सालों से मिट्टी के बने कलश की जगह अब तांबे से बने कलश या पात्र का उपयोग दीप प्रज्वलित करने में किया जा रहा है.

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देवी मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्वलित करने को लेकर काली मंदिर के पुजारी पंडित मामाजी बताते हैं कि 'मिट्टी के बने पात्र तांबे के बने पात्र या काँसे से बने पात्र शुद्ध माने जाते हैं. श्रद्धालु अपने घरों में ज्योति कलश की स्थापना नहीं करा पाते. इसलिए भक्त नवरात्र के दौरान देवी मंदिरों में अपनी मनोकामना ज्योत प्रज्वलित कराते हैं.


तांबे और मिट्टी से बने पात्र में ज्योति कलश प्रज्वलित कराए जाने को लेकर ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि 'तांबा सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. श्वेत बाती और श्वेत घी चंद्रमा का प्रतीक होता है. दोनों मिलकर जब जलते है तो यह मंगल का प्रतीक होता है.सूर्य हमारे जीवन को उल्लास, प्रकाश, आलोक और तेजस्विता प्रदान करता है'.


रायपुर: राजधानी समेत पूरे देश में 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र का पावन पर्व शुरू हो रहा है. इस दौरान सभी देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं. खास तौर पर शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के दौरान देवी मंदिरों में मिट्टी और तांबे के पात्र को शुद्ध माना गया है. मिट्टी के पात्र में ही प्राचीन समय से ज्योति कलश को प्रज्वलित किया जाता है. ज्योतिष की दृष्टिकोण से बात करें तो तांबा सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. श्वेत बाती और श्वेत घी चंद्रमा का प्रतीक होता है. दोनों मिलकर जब जलते है तो यह मंगल का प्रतीक होता है.

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पुराने समय में मिट्टी के पात्र में ही देवी मंदिरों में दीप प्रज्वलित किया जाता रहा है. समय के साथ अब तांबे के पात्र में भी दीप प्रज्वलित होने लगे हैं. मिट्टी और तांबे के पात्र शुद्ध माने गए हैं. लेकिन मिट्टी के पात्र में ज्योति कलश प्रज्वलित होने के बाद इन्हें विसर्जित कर दिया जाता है. लेकिन तांबे के पात्र को अच्छी तरह से साफ सफाई करके सालों तक दीप प्रज्वलित किया जा सकता है. तांबे के पात्र को कई सालों तक उपयोग करने के बाद भी उसकी शुद्धता वैसे की वैसी ही बनी रहती है.

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मिट्टी और तांबे के बर्तन में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने को लेकर महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि 'वर्तमान परिवेश में शहर का विस्तार होने के कारण कच्ची सामग्री की कमी के चलते कुमार परिवार मिट्टी से बने कलश की आपूर्ति मंदिरों में नहीं कर पा रहे हैं. जिसके कारण कई मंदिरों में मिट्टी से बने पात्र की जगह तांबे से बने पात्र का उपयोग दीप प्रज्वलित करने में किया जा रहा है. महामाया मंदिर में लगभग 8 सालों से मिट्टी के बने कलश की जगह अब तांबे से बने कलश या पात्र का उपयोग दीप प्रज्वलित करने में किया जा रहा है.

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तांबे और मिट्टी से बने पात्र में ज्योति कलश प्रज्वलित कराए जाने को लेकर ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि 'तांबा सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. श्वेत बाती और श्वेत घी चंद्रमा का प्रतीक होता है. दोनों मिलकर जब जलते है तो यह मंगल का प्रतीक होता है.सूर्य हमारे जीवन को उल्लास, प्रकाश, आलोक और तेजस्विता प्रदान करता है'.


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