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Bhishma Ashtami 2022: माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इस वजह से मनाई जाती है भीष्म अष्टमी

Auspicious Ashtami date of Gupt Navratri: मंगलवार को भीष्म अष्टमी, दुर्गा अष्टमी मनाई जा रही है.

Bhishma Ashtami Durga Ashtami 2022
भीष्म अष्टमी 2022
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Published : Feb 8, 2022, 7:53 AM IST

Updated : Feb 8, 2022, 11:48 AM IST

रायपुर: माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि भीष्म अष्टमी, दुर्गा अष्टमी, खोडियार जयंती के रूप में मनाई जाती है. इस दिन हस्तिनापुर के महान सेनापति भीष्म ने अपने प्राण त्याग दिए थे. तब से इसे भीष्म अष्टमी और भीष्म पुण्यतिथि (Bhishma Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है. देवव्रत ने अपने पिता के लिए यह संकल्प लिया कि वे आजीवन विवाह नहीं करेंगे और हमेशा हस्तिनापुर के लिए ही जीवन अर्पण करेंगे. तब से ही वे भीष्म के रूप में प्रसिद्ध हुए. भीष्म का संकल्प अविचल संकल्प और हिमालय से ऊंचा संकल्प माना गया है. यह गुप्त नवरात्रि की शुभ अष्टमी तिथि (Auspicious Ashtami date of Gupt Navratri) भी है. जिससे इसे दुर्गा अष्टमी, खोडियार जयंती के रूप में भी जाना जाता है.

भीष्म अष्टमी 2022
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा (Astrologer and Vastu Shastri Pandit Vineet Sharma) ने बताया कि ऐसे विकल्प रहित संकल्प के धनी भीष्म ने यह भी संकल्प लिया था कि वे सत्य के पक्षधारी पांडवों की हत्या नहीं करेंगे और इस प्रतिज्ञा का भी उन्होंने पूरा पालन किया. उन्होंने मृत्यु शैया पर बैठे-बैठे यह संकल्प लिया था कि वे अपने प्राणों को उत्तरायण के आने पर त्याग देंगे. इस प्राण का भी उन्होंने पूर्ण निष्ठा से पालन किया और वे भीष्म प्रतिज्ञा के महान सारथी कहलाए. तब से ही यह तिथि भीष्म अष्टमी के रूप में जानी जाती है. माघ शुक्ल अष्टमी को ही भीष्म जी ने अपने प्राणों को त्यागा था यह तिथि अविचल संकल्प लेने के लिए प्रेरित करती है. जीवन को उन्नतिशील प्रगतिशील होकर जीने के लिए संकल्प बंद होने के लिए प्रेरित करती है. आज के युवाओं को भीष्म की प्रतिज्ञा से सीख लेने की जरूरत है. Gold and Silver Rate of Chhattisgarh: जानिए आज सोने चांदी के दाम

माता खोडियार की होती है पूजा

गुजरात में अष्टमी तिथि माता खोडियार की जयंती के रूप में मनाई जाती है. इस दिन माता खोडियार की पूजा अर्चना (Worship of Mata Khodiyar) प्रार्थना और आरती की जाती हैं.माता खोडियार को वस्त्र, खाद्य पदार्थ, फल, फूल और विभिन्न फूलों की माला चढ़ाई जाती हैं, इसके साथ ही माता खोडियार की जय जय कार का उद्घोष लगाकर उनके नाम पर भंडारा भी किया जाता है. माता खोडियार सर्प योनि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है.

माघ शुक्ल पक्ष सूक्ष्म और गुप्त नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन का पर्व दुर्गा अष्टमी के रूप में हवन, यज्ञ और विवाह के लिए भी प्रसिद्ध है, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग के रतनपुर के महामाया मंदिर में इस दिन अष्टमी का हवन होता है. यह हवन विधानपूर्वक किया जाता है. इस शुभ दिन सभी भक्तों को अपने घरों में श्रद्धा पूर्वक माता दुर्गा के लिए यज्ञ, हवन करना चाहिए.

रायपुर: माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि भीष्म अष्टमी, दुर्गा अष्टमी, खोडियार जयंती के रूप में मनाई जाती है. इस दिन हस्तिनापुर के महान सेनापति भीष्म ने अपने प्राण त्याग दिए थे. तब से इसे भीष्म अष्टमी और भीष्म पुण्यतिथि (Bhishma Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है. देवव्रत ने अपने पिता के लिए यह संकल्प लिया कि वे आजीवन विवाह नहीं करेंगे और हमेशा हस्तिनापुर के लिए ही जीवन अर्पण करेंगे. तब से ही वे भीष्म के रूप में प्रसिद्ध हुए. भीष्म का संकल्प अविचल संकल्प और हिमालय से ऊंचा संकल्प माना गया है. यह गुप्त नवरात्रि की शुभ अष्टमी तिथि (Auspicious Ashtami date of Gupt Navratri) भी है. जिससे इसे दुर्गा अष्टमी, खोडियार जयंती के रूप में भी जाना जाता है.

भीष्म अष्टमी 2022
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा (Astrologer and Vastu Shastri Pandit Vineet Sharma) ने बताया कि ऐसे विकल्प रहित संकल्प के धनी भीष्म ने यह भी संकल्प लिया था कि वे सत्य के पक्षधारी पांडवों की हत्या नहीं करेंगे और इस प्रतिज्ञा का भी उन्होंने पूरा पालन किया. उन्होंने मृत्यु शैया पर बैठे-बैठे यह संकल्प लिया था कि वे अपने प्राणों को उत्तरायण के आने पर त्याग देंगे. इस प्राण का भी उन्होंने पूर्ण निष्ठा से पालन किया और वे भीष्म प्रतिज्ञा के महान सारथी कहलाए. तब से ही यह तिथि भीष्म अष्टमी के रूप में जानी जाती है. माघ शुक्ल अष्टमी को ही भीष्म जी ने अपने प्राणों को त्यागा था यह तिथि अविचल संकल्प लेने के लिए प्रेरित करती है. जीवन को उन्नतिशील प्रगतिशील होकर जीने के लिए संकल्प बंद होने के लिए प्रेरित करती है. आज के युवाओं को भीष्म की प्रतिज्ञा से सीख लेने की जरूरत है. Gold and Silver Rate of Chhattisgarh: जानिए आज सोने चांदी के दाम

माता खोडियार की होती है पूजा

गुजरात में अष्टमी तिथि माता खोडियार की जयंती के रूप में मनाई जाती है. इस दिन माता खोडियार की पूजा अर्चना (Worship of Mata Khodiyar) प्रार्थना और आरती की जाती हैं.माता खोडियार को वस्त्र, खाद्य पदार्थ, फल, फूल और विभिन्न फूलों की माला चढ़ाई जाती हैं, इसके साथ ही माता खोडियार की जय जय कार का उद्घोष लगाकर उनके नाम पर भंडारा भी किया जाता है. माता खोडियार सर्प योनि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है.

माघ शुक्ल पक्ष सूक्ष्म और गुप्त नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन का पर्व दुर्गा अष्टमी के रूप में हवन, यज्ञ और विवाह के लिए भी प्रसिद्ध है, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग के रतनपुर के महामाया मंदिर में इस दिन अष्टमी का हवन होता है. यह हवन विधानपूर्वक किया जाता है. इस शुभ दिन सभी भक्तों को अपने घरों में श्रद्धा पूर्वक माता दुर्गा के लिए यज्ञ, हवन करना चाहिए.

Last Updated : Feb 8, 2022, 11:48 AM IST
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