रायपुर: भारतीय संविधान के रचयिता और समाज सुधारक डॉ भीम राव अंबेडकर (Dr Bhim Rao Ambedkar) की आज (6 दिसंबर) पुण्यतिथि (Ambedkar Death Anniversary 2021) हैं. राष्ट्र आज बाबा साहब की पुण्यतिथि मना रहा है. 6 दिसंबर, 1956 को बाबा साहब का निधन हुआ था. उनका जन्म 14, अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था. डॉक्टर अंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है.
भीम राव अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया. बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे. आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने.
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आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें.
- अंबेडकर स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल थे लेकिन तत्कालीन समाज में उन्हें जाति के आधार पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
- वे सिर्फ राजनीतिक विज्ञान के ही महारथी नहीं थे बल्कि इकोनॉमिक्स का भी काफी ज्ञान था. वो इसमें डॉक्टरेट हासिल करना चाहते थे लेकिन स्कॉलरशिप खत्म हो जाने की वजह से यह उपलब्धि हासिल नहीं कर सके. कुछ समय बाद वे मुंबई के एक कॉलेज में प्रोफेसर हो गए.
- डॉ. अंबेडकर ने अपने संघर्षों और शिक्षा से सामाजिक मूल्यों को विकसित किया. उनका व्यक्तित्व विराट था. भारतीय संविधान के निर्माण में उनका चिंतन, अध्ययन और विद्वता की स्पष्ट छाप झलकती हैं.
- अंबेडकर शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन के एक बड़े 'हथियार' के रूप में देखते थे. वे कहते थे कि सामाजिक गुलामी से अगर व्यक्ति को मुक्त होना है तो उसे शिक्षित होना होगा.
- जाति प्रथा के उन्मूलन के लिए डॉ. अंबेडकर हमेशा मुखर रहे. इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए उन्होंने अभियान चलाया. सामाजिक न्याय और समान अधिकारों की लड़ाई में उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया.
- दलित समाज को प्रेरित और उनमें जनजागृति लाने के लिए उन्होंने कई काम किए. उनके प्रयासों की वजह से ही देश के दलित समाज की मुख्यधारा से जुड़े.