महासमुंद : लाखों रुपये की लागत से हर साल पौधरोपण किया जाता है, लेकिन इसके बाद उन पौधों की देखभाल करने वाला कोई नहीं होता. हर साल करोड़ों पौधे सूखकर बेकार हो जाते हैं. ऐसे ही जिले के भलेसर में उद्यानिकी विभाग ने फलोधन रोपण कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसके तहत 5 हेक्टेयर शासकीय भूमि में मनरेगा के जरिए फलदार वृक्षों के पौधों का रोपण किया गया. इस उद्यान की हालत आज बंजर हो चुकी है.
8 फरवरी 2016 को फलोधन रोपण कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी. 5 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर 10 लाख की लागत से पौधरोपण किया गया था. यहां हजारों की संख्या में आम, अमरूद, सीताफल, नींबू, कटहल के पौधे लगाए गए थे. तीन साल बाद 2019 को उद्यानिकी विभाग का काम पूरा हुआ और अब 5 साल बाद इस जमीन पर केवल सूखे पौधे ही नजर आ रहे हैं. जमीन भी बंजर हो गई है.
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उद्यानिकी विभाग के अधिकारी इस विषय में कुछ और ही बात कहते नजर आए. अधिकारी उद्यान की इस हालत पर कर्मचारियों की कमी की बात कह रहें हैं. छत्तीसगढ़ में सरकार पौधरोपण के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. जो कुछ दिनों के बाद ही बर्बाद हो जाती है. हरिहर छत्तीसगढ़, ऑक्सीजोन, स्वच्छ पर्यावरण, फलोधन जैसे कई कार्यक्रम सरकार संचालित कर रही है.