कोरबा: शहर के खरमोरा इलाके में रहने वाले व्यापारी सुरजीत सिंह के किचन में मादा कोबरा के साथ 25 सपोले मिले हैं. घटना 21 जुलाई की रात की है. आधी रात को जब परिवार के लोगों ने अपने किचन में दो सपोलों को घूमते देखा तो वो घबरा गए. आनन-फानन में उन्होंने जिले में सांपों को रेस्क्यू करने वाले दल को बुलाया. जिसके बाद सर्पमित्र अविनाश मौके पर पहुंचे और उन्होंने दोनों सपोलों का रेस्क्यू किया.
सर्पमित्र को लगा जब सपोले यहां मौजूद हैं, तो इनका परिवार भी आसपास ही होगा. संदेह के आधार पर अविनाश ने किचन की टाइल्स को तोड़ कर देखा, तो टाइल्स के नीचे 25 सपोले मादा कोबरा से लिपटे हुए थे.
स्पेक्टिकल प्रजाति का कोरबा
अविनाश ने बताया कि ये कोबरा स्पेक्टिकल प्रजाति का है. स्थानीय स्तर पर इसे डोमी भी कहा जाता है. इनका रंग काला और गेहूंआ होता है. घटना की सूचना डीएफओ गुरुनाथन एन को दी गई. उन्हीं के दिशा निर्देश में सांप रेस्क्यू दल के सदस्य अविनाश, गौरव, निकेश, प्रमोद, हिमांशु, राहुल, अंजलि आदि ने सभी सांप को रजगामार के जंगलों में सुरक्षित तरीके से आजाद छोड़ दिया.
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घंटे भर में जा सकती है जान
जानकारों ने बताया कि इस प्रजाति के कोबरा के बच्चे जहर के साथ ही जन्म लेते हैं. जिसे डोमी नाजा-नाजा कहते हैं. काटने के बाद जहर सीधे तंत्रिका तंत्र (nervous system) पर असर करता है. जिससे पीड़ित व्यक्ति ज्यादा डरे तो धड़कनें तेज हो जाती है. साथ ही बमुश्किल घंटे भर के भीतर ही उसकी मौत हो सकती है. मौजूदा मामले में मादा कोबरा चूहे की महक से किचन में पहुंची और अनुकूल माहौल देखकर यही अंडे दे दिए.
45 दिन से घर में थी मादा कोरबा
सर्पमित्र अविनाश ने बताया कि इस प्रजाति की मादा एक बार में 10 से लेकर 30 अंडे दे सकती है. इस प्रजाति के कोबरा अप्रैल से जुलाई के बीच ही अंडे से बाहर आते हैं. प्रक्रिया में 40 से 70 दिनों का वक्त लगता है. इस दौरान फीमेल कोबरा बिना कुछ खाए पिए भूखी प्यासी रहकर ही अंडों की देखभाल करती है और एक ही जगह पर कुंडली मारकर बैठी रहती है.