कोरबाः जिले के शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 7 साल पहले बेटियों के हॉस्टल का निर्माण पूरा कर लिया गया था. इसमें से एक 100 सीटर हॉस्टल का निर्माण 2018 में पूरा किया गया. कॉलेज के कैम्पस में 150 सीट की क्षमता वाले दोनों हॉस्टल (Hostel) बनकर तैयार हैं, जिनका निर्माण कार्य सालों पहले पूरा हो चुका है.
निर्माण पर 3 करोड़ से अधिक राशि खर्च किया जा चुका है. लेकिन आज तक इनका संचालन शुरू नहीं किया जा सका है. दोनों ही हॉस्टल छात्राओं के लिए है. हॉस्टल सेटअप (Hostel Setup) के साथ फर्नीचर आदि की व्यवस्था नहीं की गई. जिसकी वजह से करोड़ों खर्च के बाद भी छात्राओं को निजी मकानों में रहना पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि निर्माण कार्य एजेंसी (Construction Agency) ने पूरा कर दिया जिसके बाद ठेकेदार को भुगतान भी मिल गया, लेकिन कॉलेज में जिन छात्राओं के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया, वह उद्देश्य अब भी अधूरा है. ग्रामीण क्षेत्र से शहर आकर उच्च शिक्षा (Higher Education) हासिल करने वाली छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
शासन स्तर पर फंसा है पेंच
देखा जाय तो पीजी कॉलेज के एक ही परिसर में 7 वर्ष पहले हॉस्टल बन कर तैयार हुआ. पहले 50 सीटर हॉस्टल का निर्माण कार्य 90 लाख की लागत से पूरा हुआ. इसके बाद इसी हॉस्टल के ठीक बगल में 100 सीटर एक अन्य हॉस्टल को मंजूरी मिली. जिसकी लागत 2 करोड़ 72 लाख रुपये है. हॉस्टल के साथ ही एनटीपीसी (NTPC) ने सीएसआर (CSR) मद से बाउंड्री वॉल (Boundary Wall) के लिए भी पैसे स्वीकृत किए थे. कुछ समय पहले बाउंड्री वॉल का काम भी पूर्ण हो चुका है. एनटीपीसी प्रबंधन (NTPC Management) ने बाउंड्री वॉल निर्माण के लिए 80 लाख रुपये कॉलेज प्रबंधन (College Management) को दिए थे.
बाउंड्री वॉल का निर्माण किया जा चुका है. हॉस्टल के संचालन का पेंच शासन स्तर से ही फंसा हुआ है. सेटअप नहीं मिलने के कारण संचालन शुरू नहीं हो सका है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह परिस्थितियां निर्मित हुई हैं. शासन स्तर से दोनों ही हॉस्टल के लिए एक हॉस्टल अधीक्षक का पद जरूर सैंक्शन किया गया है. पीजी कॉलेज में उसकी नियुक्ति भी हो चुकी है, लेकिन हॉस्टल का संचालन शुरू नहीं होने के कारण हॉस्टल वार्डन से क्लर्क का काम लिया जा रहा है.
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जिले के सभी हॉस्टलों का खस्ताहाल
इसे विडंबना ही कह सकते हैं कि जिले के सरकारी कॉलेजों में पीजी कॉलेज को छोड़कर मिनीमाता और शासकीय कॉलेज कटघोरा में हॉस्टल की बिल्डिंग उपलब्ध है. तीनों स्थानों पर हॉस्टल बनकर तैयार है. लेकिन किसी का भी संचालन शुरू नहीं किया गया है. शासन स्तर पर हॉस्टलों के संचालन (Hostels Operation) को लेकर कोई भी ठोस पहल नहीं की गई. कॉलेज प्रबंधन पत्राचार करते रहते हैं और फाइलें मोटी होती चली जा रही हैं. हॉस्टल का संचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है.
पीजी कॉलेज में पढ़ते हैं 3 हजार छात्र
पीजी कॉलेज जिले का लीड कॉलेज होने के साथ ही सबसे बड़ा कॉलेज है. यहां लगभग 3 हजार नियमित छात्र अध्ययनरत हैं. कॉलेज परिसर में 150 सीटर गर्ल्स हॉस्टल मौजूद है लेकिन संचालन नहीं शुरु होने के कारण बेटियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण खासतौर पर ग्रामीण अंचल से शहर आकर उच्च शिक्षा हासिल करने का सपना देखने वाली बेटियों को मायूस होना पड़ता है.