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तो क्या गिरिराज लेकर आए थे छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल? बाबा के इस्तीफा पत्र में है केंद्रीय पंचायत मंत्री के शब्द!

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के कोरबा दौरे से छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल आ गया. बयान देते हैं कि "पीएम आवास के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार फेल है. राज्य की लापरवाही के कारण गरीबों को आवास से वंचित होना पड़ा." जिस दिन वह गए ठीक उसी दिन शाम को टीएस सिंह देव राज्य के पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं.

political earthquake in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल
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Published : Jul 17, 2022, 9:33 AM IST

Updated : Jul 17, 2022, 11:59 AM IST

कोरबा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल उनके बेहद करीबी केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह 4 दिनों के छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए. राजधानी रायपुर से 200 किलोमीटर दूर कांग्रेस के दबदबे वाली प्रदेश की ऊर्जाधानी कोरबा में गांव-गांव घूमते हैं. बयान देते हैं कि "पीएम आवास के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार फेल है. राज्य की लापरवाही के कारण गरीबों को आवास से वंचित होना पड़ा." जिस दिन वह गए ठीक उसी दिन शाम को राज्य के पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं. अब इन्हें दोनों ही घटनाक्रमों के तार जुड़ना लाजमी है. बातों को बल इसलिए भी मिल रहा है, क्योंकि कोरबा में रहते जिन बातों का जिक्र गिरिराज ने किया. वही बातें पंचायत मंत्री की टीएस सिंहदेव के इस्तीफा पत्र में है. जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंप दिया है.

छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल

यह भी पढ़ें: कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री पद से दिया इस्तीफा

जाने क्यों जुड़ रहे हैं तार, क्या कह गए गिरिराज: केंद्रीय मंत्री गिरिराज 13 जुलाई को छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुंचे. 16 जुलाई को वापस लौटे. पहले वह रायपुर पहुंचे जिसके बाद सड़क मार्ग से रात 9:30 बजे कोरबा आये. 15 जुलाई से उन्होंने धुआंधार दौरे की शुरुआत की. गांव के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक संगठनों को संबोधित किया. परिचर्चा में शामिल हुए, कार्यकर्ताओं को रिचार्ज किया. सभी से कहा, "आराम हराम है, बूथ स्तर पर काम दिखना चाहिए." जहां भी गए सरकार की फ्लैगशिप योजना 'नरवा गरवा' उनके टारगेट पर रही. राज्य शासन को जमकर कोसा, खासतौर पर इस बात का प्रचार किया है कि कैसे छत्तीसगढ़ में लाखों गरीब अपने आवास से वंचित रह गए.

फिर चाहे गांव का दौरा हो, समीक्षा बैठक या अलग-अलग स्थानों पर मीडिया से चर्चा की. सभी जगह इस बात को जोर देकर कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग 11 लाख गरीब परिवार अपने आवास से वंचित रह गए. क्योंकि राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. वह केंद्र और राज्य के बीच के अपने अंशदान को देने में नाकाम रही. केंद्र सरकार ने पैसे देकर मजबूरी में वापस ले लिए. छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने पैसे नहीं दिए, जिसके कारण गरीबों को आवास नहीं मिला.

गिरिराज ने बातों बातों में एक रहस्यमई बात भी कह दी. उन्होंने कहा कि "वर्षों से राज्य और केंद्र के बीच भागीदारी से लोगों के आवास बन रहे हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के पास अपने हिस्से के पैसे देने के लिए फंड ही नहीं है. वह दिवालियापन की स्थिति में पहुंच चुके है. मंत्री ने इस फंड की व्यवस्था बैंक से कर्ज लेकर पूरी करने की बात कही. लेकिन कैबिनेट ने इसकी मंजूरी नहीं दी." गिरिराज ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस मंत्री ने पीएम आवास में पैसे लगाने के लिए बैंक से उधार लेने की बात कही थी? और आखिर क्यों कैबिनेट से अनुमति नहीं मिली? यह अंदर की बात थी. जो गिरिराज ने बातों बातों में मीडिया के सामने कह डाली.



अब बाबा ने यह लिखकर दे दिया पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा: गिरिराज 16 जुलाई की सुबह कोरबा से रायपुर होते हुए दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए. इसी दिन शाम को खबर आती है कि पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा पत्र में बाबा ने उल्लेख किया कि "प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवासविहीन लोगों को आवास बना कर दिया जाना था. जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया. लेकिन योजना में राशि उपलब्ध नहीं हो सकी. फलस्वरुप प्रदेश के 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके. केंद्र से जो 10 हजार करोड़ मिलते, वह प्रदेश के अर्थव्यवस्था में सहायक होते. हमारे घोषणा पत्र के तहत ग्रामीण आवास के अधिकार का भी उल्लेख है. लेकिन यह पूर्ण नहीं हो सका. इस योजना का लाभ प्रदेश के आवासविहीन लोगों को नहीं मिला." इसके अलावा बाबा ने और भी कई बातें लिखी हैं, लेकिन पीएम आवास वाली बात एक दिन पहले ही गिरिराज कह गए थे. जिससे अब कड़ियां जुड़ रही हैं.

यह भी पढ़ें: आखिर टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्रीपद से क्यों दिया इस्तीफा, पढ़िए सिंहदेव का इस्तीफानामा..

कोरबा में केंद्रीय मंत्रियों का दौरा, कांग्रेस खेमे में हलचल: राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को मिलाकर लोकसभा की कुल 65 सीटें हैं. इस पर 3 में ही कांग्रेस का कब्जा है. इनमें से दो छत्तीसगढ़ की है. पहली कोरबा और दूसरी बस्तर. चर्चा यह भी है कि केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह को कोरबा और बस्तर लोकसभा सीट के लिए प्रभारी बनाया गया है. इस किला को फतह करने की जवाबदेही उनके कंधों पर है. गिरिराज ने भी कोरबा में मीडिया से चर्चा के दौरान चुटकी लेते हुए कहा कि "अब तो आना जाना लगा रहेगा, अगली बार आऊंगा तो पॉलिटिकल चर्चा भी करूंगा." गिरिराज ने संकेत दे दिए हैं.

कोरबा लोकसभा सीट पर फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत सांसद हैं. लेकिन भाजपा के पास चेहरों की कमी है. अब खास तौर पर कोरबा में साल 2022 की शुरुआत से लेकर अब तक केंद्रीय मंत्रियों ने धुआंधार दौरा किया है. सबसे पहले केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी आए खदानों का दौरा किया और लौट गए. इसके बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे आये. उन्होंने भी कोरबा जिले और खास तौर पर कोरबा लोकसभा को साधने का प्रयास किया. इसके बाद बिहार के कैबिनेट मंत्री पथ निर्माण विभाग नितिन नवीन भी पिछले महीने कोरबा पहुंचे थे. इन्हें छत्तीसगढ़ में संगठन प्रभारी भी बनाया गया है. इन मंत्रियों के बाद बीजेपी के कद्दावर नेता केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह कोरबा आये. उनके लौटते ही राज्य के पंचायत मंत्री ने इस्तीफा दे दिया.

यह भी पढ़ें: टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में लाया भूचाल

विधानसभा अध्यक्ष ने पहले ही कहा कि सांसद पत्नी का टिकट काटने में लगे हैं लोग: केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह के दौरे के कुछ दिन पहले ही कोरबा में महिला सशक्तिकरण पर आयोजित एक कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने भी काफी बोझिल शब्दों का उपयोग किया था. उन्होंने कहा था कि मेरी पत्नी 65 लोकसभा सीटों में अकेली महिला सांसद है. अब लोग इसका भी टिकट काटना चाहते हैं. हालांकि यह बात अब भी राज ही है कि आखिर वह कौन है जो सांसद का टिकट कटना चाहता है. हाल फिलहाल में हुए घटनाक्रमों से एक बात तो स्पष्ट है कि चुनाव के पहले ही छत्तीसगढ़ में सियासी पारा अपने पूरे शबाब पर है.

कोरबा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल उनके बेहद करीबी केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह 4 दिनों के छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए. राजधानी रायपुर से 200 किलोमीटर दूर कांग्रेस के दबदबे वाली प्रदेश की ऊर्जाधानी कोरबा में गांव-गांव घूमते हैं. बयान देते हैं कि "पीएम आवास के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार फेल है. राज्य की लापरवाही के कारण गरीबों को आवास से वंचित होना पड़ा." जिस दिन वह गए ठीक उसी दिन शाम को राज्य के पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं. अब इन्हें दोनों ही घटनाक्रमों के तार जुड़ना लाजमी है. बातों को बल इसलिए भी मिल रहा है, क्योंकि कोरबा में रहते जिन बातों का जिक्र गिरिराज ने किया. वही बातें पंचायत मंत्री की टीएस सिंहदेव के इस्तीफा पत्र में है. जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंप दिया है.

छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल

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जाने क्यों जुड़ रहे हैं तार, क्या कह गए गिरिराज: केंद्रीय मंत्री गिरिराज 13 जुलाई को छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुंचे. 16 जुलाई को वापस लौटे. पहले वह रायपुर पहुंचे जिसके बाद सड़क मार्ग से रात 9:30 बजे कोरबा आये. 15 जुलाई से उन्होंने धुआंधार दौरे की शुरुआत की. गांव के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक संगठनों को संबोधित किया. परिचर्चा में शामिल हुए, कार्यकर्ताओं को रिचार्ज किया. सभी से कहा, "आराम हराम है, बूथ स्तर पर काम दिखना चाहिए." जहां भी गए सरकार की फ्लैगशिप योजना 'नरवा गरवा' उनके टारगेट पर रही. राज्य शासन को जमकर कोसा, खासतौर पर इस बात का प्रचार किया है कि कैसे छत्तीसगढ़ में लाखों गरीब अपने आवास से वंचित रह गए.

फिर चाहे गांव का दौरा हो, समीक्षा बैठक या अलग-अलग स्थानों पर मीडिया से चर्चा की. सभी जगह इस बात को जोर देकर कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग 11 लाख गरीब परिवार अपने आवास से वंचित रह गए. क्योंकि राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. वह केंद्र और राज्य के बीच के अपने अंशदान को देने में नाकाम रही. केंद्र सरकार ने पैसे देकर मजबूरी में वापस ले लिए. छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने पैसे नहीं दिए, जिसके कारण गरीबों को आवास नहीं मिला.

गिरिराज ने बातों बातों में एक रहस्यमई बात भी कह दी. उन्होंने कहा कि "वर्षों से राज्य और केंद्र के बीच भागीदारी से लोगों के आवास बन रहे हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के पास अपने हिस्से के पैसे देने के लिए फंड ही नहीं है. वह दिवालियापन की स्थिति में पहुंच चुके है. मंत्री ने इस फंड की व्यवस्था बैंक से कर्ज लेकर पूरी करने की बात कही. लेकिन कैबिनेट ने इसकी मंजूरी नहीं दी." गिरिराज ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस मंत्री ने पीएम आवास में पैसे लगाने के लिए बैंक से उधार लेने की बात कही थी? और आखिर क्यों कैबिनेट से अनुमति नहीं मिली? यह अंदर की बात थी. जो गिरिराज ने बातों बातों में मीडिया के सामने कह डाली.



अब बाबा ने यह लिखकर दे दिया पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा: गिरिराज 16 जुलाई की सुबह कोरबा से रायपुर होते हुए दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गए. इसी दिन शाम को खबर आती है कि पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा पत्र में बाबा ने उल्लेख किया कि "प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवासविहीन लोगों को आवास बना कर दिया जाना था. जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया. लेकिन योजना में राशि उपलब्ध नहीं हो सकी. फलस्वरुप प्रदेश के 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके. केंद्र से जो 10 हजार करोड़ मिलते, वह प्रदेश के अर्थव्यवस्था में सहायक होते. हमारे घोषणा पत्र के तहत ग्रामीण आवास के अधिकार का भी उल्लेख है. लेकिन यह पूर्ण नहीं हो सका. इस योजना का लाभ प्रदेश के आवासविहीन लोगों को नहीं मिला." इसके अलावा बाबा ने और भी कई बातें लिखी हैं, लेकिन पीएम आवास वाली बात एक दिन पहले ही गिरिराज कह गए थे. जिससे अब कड़ियां जुड़ रही हैं.

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कोरबा में केंद्रीय मंत्रियों का दौरा, कांग्रेस खेमे में हलचल: राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को मिलाकर लोकसभा की कुल 65 सीटें हैं. इस पर 3 में ही कांग्रेस का कब्जा है. इनमें से दो छत्तीसगढ़ की है. पहली कोरबा और दूसरी बस्तर. चर्चा यह भी है कि केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह को कोरबा और बस्तर लोकसभा सीट के लिए प्रभारी बनाया गया है. इस किला को फतह करने की जवाबदेही उनके कंधों पर है. गिरिराज ने भी कोरबा में मीडिया से चर्चा के दौरान चुटकी लेते हुए कहा कि "अब तो आना जाना लगा रहेगा, अगली बार आऊंगा तो पॉलिटिकल चर्चा भी करूंगा." गिरिराज ने संकेत दे दिए हैं.

कोरबा लोकसभा सीट पर फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत सांसद हैं. लेकिन भाजपा के पास चेहरों की कमी है. अब खास तौर पर कोरबा में साल 2022 की शुरुआत से लेकर अब तक केंद्रीय मंत्रियों ने धुआंधार दौरा किया है. सबसे पहले केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी आए खदानों का दौरा किया और लौट गए. इसके बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे आये. उन्होंने भी कोरबा जिले और खास तौर पर कोरबा लोकसभा को साधने का प्रयास किया. इसके बाद बिहार के कैबिनेट मंत्री पथ निर्माण विभाग नितिन नवीन भी पिछले महीने कोरबा पहुंचे थे. इन्हें छत्तीसगढ़ में संगठन प्रभारी भी बनाया गया है. इन मंत्रियों के बाद बीजेपी के कद्दावर नेता केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह कोरबा आये. उनके लौटते ही राज्य के पंचायत मंत्री ने इस्तीफा दे दिया.

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विधानसभा अध्यक्ष ने पहले ही कहा कि सांसद पत्नी का टिकट काटने में लगे हैं लोग: केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह के दौरे के कुछ दिन पहले ही कोरबा में महिला सशक्तिकरण पर आयोजित एक कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने भी काफी बोझिल शब्दों का उपयोग किया था. उन्होंने कहा था कि मेरी पत्नी 65 लोकसभा सीटों में अकेली महिला सांसद है. अब लोग इसका भी टिकट काटना चाहते हैं. हालांकि यह बात अब भी राज ही है कि आखिर वह कौन है जो सांसद का टिकट कटना चाहता है. हाल फिलहाल में हुए घटनाक्रमों से एक बात तो स्पष्ट है कि चुनाव के पहले ही छत्तीसगढ़ में सियासी पारा अपने पूरे शबाब पर है.

Last Updated : Jul 17, 2022, 11:59 AM IST
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