कोरबा: पिछले 5 से 7 सालों के भीतर जिले के भ्रूण हत्या के कई मामले प्रकाश में आए हैं. शहर से लेकर गांव तक विकसित या विकसित मानव भ्रूण मिलने के लगातार वारदातें (Korba became a resting place for the killers of the womb) हुईं. सबसे ताजा मामला मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है. जहां एक विकसित शिशु के शव को टॉयलेट की शीट में फेंक दिया गया था. हैरानी वाली बात यह है कि इन सभी मामलों में अब तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ना तो स्वास्थ्य विभाग और ना ही पुलिस द्वारा इस तरह के मामलों में किसी तरह का कोई अपडेट दिया गया है. मामले जरूर दर्ज होते हैं. फाइल बनती और खानापूर्ति करके केस रफा-दफा कर दिया जाता है.
कोख के हत्यारों के लिए आरामगाह बना कोरबा इन धाराओं के तहत होती है कार्रवाई : भ्रूण हत्या या नवजात की हत्या से जुड़े मामलों में कार्रवाई के लिए आईपीसी की धाराएं बनी हुई है. धारा 312 से 318 के तहत गर्भपात करने वाले व्यक्ति को भी 3 साल तक की जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों की सजा से दंडित किया जा सकता (Cases of feticide increased in Korba) है. यदि गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा भ्रूण है. ऐसे में उसका गर्भपात हो जाए तब अपराधी को 7 साल की जेल की सजा और जुर्माना से भी दंडित किया जा सकता है. इन धाराओं के तहत कोरबा जिले के रामपुर चौकी, मानिकपुर, हरदीबाजार से लेकर अलग-अलग थाना चौकी में मामले दर्ज है लेकिन कार्रवाई किसी में भी नहीं हुई ( killers of fetuses are not punished in Korba) है.
2015 के बाद बढ़े मामले : भ्रूण हत्या का सबसे ताजा मामला हाल ही में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सामने आया था. जब एक नवजात और पूर्ण रूप से विकसित शिशु का शव टॉयलेट में फेंक दिया गया था. इसमें कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है. कोरबा जिले की बात करें तो खासतौर पर 2014-15 से इस तरह के मामलों में तेजी आई है. तब से लेकर अब तक लगातार कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनकी संख्या 20 से अधिक है. लगातार मामलों के सामने आने के बाद भी कार्रवाी का ना होना कई सवालों को जन्म दे रहा खास तौर पर शहर के राताखार, सर्वमंगला पुल, मानिकपुर और सुनालिया पुल के पास मानव भ्रूण मिल चुके हैं.
टीआई के ट्रांसफर के बाद अटक गए थी जांच: 2017 में महीने भर के भीतर लगातार तीन से चार भ्रूण कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत ही बरामद हुए थे. तब टीआई के तौर पर यहां विवेक शर्मा पदस्थ हैं. जिन्होंने जांच शुरू की थी या संदेह भी जताया था कि अवैध गर्भपात या इस तरह के मामलों को अंजाम दिए जाने का एक रैकेट संचालित हो रहा है. लेकिन तब भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी थी. कुछ समय बाद टीआई विवेक शर्मा का दूसरे जिले में ट्रांसफर हो गया था. तब से लेकर अब तक अवैध भ्रूण मिलने के मामले में जांच आगे नहीं बढ़ी है.
पीसीपीएनडीटी एक्ट भी बने लेकिन विभाग संजीदा नहीं :भ्रूण हत्या को रोकने के लिए ही देश में गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक(लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम(pre conception and pre-natal-diagnostic techniques- PCPNDT) बने हैं. इसके तहत गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग परीक्षण या भ्रूण हत्या जैसे अपराधियों को रोकना है. इस एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति जो प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण के लिए विज्ञापन भी देगा उस पर भी 3 साल तक की कैद और 10000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन इस नियम के उल्लंघन होने की संभावना है. भ्रूण हत्या के पीछे लोग कन्या भ्रूण हत्या की बात कह रहे हैं.
केस 1 - सीसीटीवी का कैमरा था खराब नहीं मिल सका कोई भी सुराग : कुछ महीने पहले की बात है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पुरुष टॉयलेट में एक विकसित नवजात का शव मिला. जिसके बाद स्थानीय पुलिस चौकी में अपराध दर्ज किया गया. रामपुर पुलिस चौकी ने तफ्तीश की, मामला दर्ज किया. लेकिन जब अस्पताल प्रबंधन से सीसीटीवी कैमरे का फुटेज मांगा गया. तो कैमरा ही खराब निकला, अस्पताल में ही टॉयलेट में नवजात के शव को फेंक दिया गया. लेकिन किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई. ना ही जांच में किसी को दोषी पाया गया. फाइल अब भी कोतवाली में पड़ी है. इस मामले में किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
केस - 2 एसईसीएल कॉलोनी के नाले में फेंक दिया भ्रूण :शहर के समीप एसईसीएल मानिकपुर कॉलोनी में 17 मार्च 2020 को नाले में एक नवजात शिशु का शव मिला. गंदगी भरे इस नाली में शिशु को देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए थे. मौके पर काफी भीड़ लग गई थी. शव का पोस्टमार्टम किया गया, पंचनामा की कार्रवाई पूरी की गई थी. लेकिन इस मामले में भी कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी.
केस- 3 कचरे में फेंक दिया मानव भ्रूण, रामपुर चौकी में मामला पेंडिंग : जुलाई 2016 में शहर के पोड़ीबहार क्षेत्र में कालीबाड़ी के समीप कचरे के ढेर में मानव भ्रूण मिला था. यह भी रामपुर चौकी क्षेत्र के अंतर्गत का मामला है. सबसे पहले सफाईकर्मी ने इस भ्रूण को देखा, फिर आसपास के लोगों को इसकी जानकारी दी. निरीक्षण के बाद मानव भ्रूण को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया.मामले में तब भी जांच हुई थी. भ्रूण के कन्या होने का भी पता चला था. तत्कालीन विवेचक व चौकी प्रभारी शरतचंद्र थे. जिन्होंने संभावना जताई गई थी कि कोख में बेटी होने के कारण उसका कत्ल किया गया था. लेकिन आगे चलकर इसका भी कुछ पता नहीं चला. मामला आज भी पेंडिंग है.
केस 4: गांव में भी मिला था भ्रूण, लेकिन आजतक कोई अपडेट नहीं : 1 अगस्त 2020 को हरदीबाजार चौकी अंतर्गत आने वाले गांव उतरदा में ग्रामीणों ने नवजात मानव भ्रूण देखा. इसकी सूचना हरदीबाजार चौकी प्रभारी रमेश पांडे को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने भ्रूण को जप्त करते हुए जांच शुरू की. पुलिस ने इस मामले में अलग-अलग धाराओं के तहत मर्ग इंटिमेशन के बाद मामला दर्ज किया था. भ्रूण को यहां फेंकने वाले की खोजबीन भी शुरू की. लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा.
केस 5: बांकीमोंगरा में भी मिला था एक भ्रूण : मार्च 2016 में बांकीमोंगरा क्षेत्र के गांव में एक ग्रामीण की बाड़ी में विकसित भ्रूण मिला. तब डिप्टी कलेक्टर बृजेश सिंह क्षत्री के नेतृत्व में बाड़ी में खुदाई की गई. भ्रूण बरामद किया गया. बाड़ी ग्रामीण राजाराम की थी. जहां से कन्या भ्रूण को बरामद करने के बाद जांच पड़ताल की गई थी. लेकिन इस मामले में भी कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ फाइल क्लोज है.
केस नंबर 6: पांच साल पहले 15 दिन के अंतराल में मिले थे 2 से 3 भ्रूण :शहर के सुनालिया पुल के पास नहर के किनारे एक भ्रूण मिला (feticide gang in korba) था.जिसके 15 दिन बाद ही राताखर बाईपास के पास हसदेव नदी के किनारे एक भ्रूण मिला. जिसे नए कपड़े में लपेट कर फेंका गया था.सर्वमंगला पुल के नीचे हसदेव नदी की ओर से लोगों की सूचना पर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची. भ्रूण विकसित था, जिसे 7 से 8 माह का होना बताया गया. इसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था. तत्कालीन टीआई विवेक शर्मा ने तब कहा था कि "सभी से जानकारी ली जा रही है. इस मामले में नर्सिंग होम अस्पताल में अवैध गर्भपात करवाने भी संदेह है. इस दिशा में भी कार्रवाई की जा रही है. क्या कहीं प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण भी हो रहा है". लेकिन इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी.
रामपुर चौकी सबसे संवेदनशील :भ्रूण हत्या और इससे जुड़े मामलों में खासतौर पर रामपुर चौकी की भूमिका सबसे संवेदनशील है. कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत है मानिकपुर और रामपुर की चौकी आती हैं. इस क्षेत्र में सर्वाधिक मानव भ्रूण पाए जाने के मामले प्रकाश में आए हैं.लेकिन इनमें कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई है. मामलों में अपराध भी दर्ज है. लेकिन कोई दोषी अब तक पकड़ा नहीं गया है.
सीएसपी ने कहा दर्ज करते हैं अपराध :भ्रूण हत्या पर इससे जुड़े पेंडिंग मामलों के सवाल पर कोरबा शहर के सीएसपी योगेश साहू का कहना है कि सभी मामले जांच में है. तब अपराध दर्ज कर कार्यवाही करते हैं.