कोरबा : बीते 2 साल से कोरोना के प्रकोप की वजह से गणेशोत्सव की रंगत फीकी थी. लेकिन इस साल तैयारियां जोरों पर हैं. हाल ही में देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मनाया गया. अब इसी थीम पर गणेशोत्सव की भी तैयारियां सार्वजनिक समिति के सदस्य कर रहे (Ganeshotsav celebration in korba ) हैं. मूर्तिकार भी इसी थीम पर गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं. गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से शुरू होगी. प्रथम पूजनीय लंबोदर महाराज, इस बार तिरंगा ओढ़कर जगह जगह विराजेंगे. इसकी भव्य तैयारियां शुरू हो चुकी (theme of independence in Korba Ganeshotsav ) हैं.
आजादी की थीम वाली गणपति की डिमांड : सार्वजनिक गणेशोत्सव समिति सीएसईबी के सदस्य संतोष शहर के सीतामणि में गणेश प्रतिमा की बुकिंग कराने पहुंचे थे. संतोष कहते हैं कि "देशभर में आजाद भारत के अमृत महोत्सव का जश्न मनाया जा रहा है. अब हम गणेशोत्सव को भी इसी थीम पर सेलिब्रेट करने की तैयारियां कर रहे हैं. हम बाजार में ऐसी मूर्ति ढूंढ रहे हैं. जो आजादी के थीम पर आधारित हो, कम से कम तिरंगा का रंग चढ़ा हो. मूर्तिकार ने भी हमें आश्वस्त किया है, कि वह इसी थीम पर हमें मूर्ति बनाकर (korba ganpati news) देंगे".
तिरंगा थीम वाली मूर्तियों से सजा बाजार : कोलकाता से गणेश प्रतिमा बनाकर इसका व्यवसाय करने पहुंचे गोविंद कुमार पाल इन दिनों काफी व्यस्त हैं. गोविंद गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कर अब उनमें रंग चढ़ाने का काम कर रहे हैं. गोविंद का कहना है कि "इस बार समिति के सदस्य आजादी की थीम पर आधारित मूर्तियों की डिमांड कर रहे हैं.वह चाहते हैं कि आजाद भारत के अमृत महोत्सव की छाप गणेश प्रतिमा पर भी दिखे. इसलिए हम उसी के अनुसार मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. मैंने ज्यादातर मूर्तियों में देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा रंग चढ़ाया है. कोरोना वायरस आने के दो साल बाद इस बार धूमधाम से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. हालांकि लोगों के पास पैसों की कमी भी है. जिसके कारण वह बजट में फिट होने वाली मूर्तियों की डिमांड कर रहे हैं".
2 साल बाद गणेशोत्सव में दिखेगा उत्साह, लेकिन चंदे की भी टेंशन : गणेशोत्सव का पर्व सार्वजनिक तौर पर मनाया जाता है. युवाओं के समितियां इसके आयोजन के लिए जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेती हैं. रोज की आरती, भोग, प्रसाद वितरण के साथ ही पंडाल और मूर्ति का खर्चा उठाना होता है. कोरोना के प्रकोप के कारण 2 साल तक गणेश चतुर्थी की रंगत फीकी थी. इस बार जब धूमधाम से यह पर्व मनाने की तैयारी चल रही है, तब समितियों को बजट का भी टेंशन है. समिति के सदस्य बताते हैं कि "गणेश उत्सव का आयोजन पूरी तरह से लोगों के चंदे पर आधारित होता है, लेकिन कोरोना काल के बाद बाजार में कुछ मंदी है. लोग खुलकर चंदा नहीं दे रहे हैं, इससे कुछ परेशानी जरूर हुई है. लेकिन इस वर्ष गणेश उत्सव का आयोजन पूरे जोर शोर से करेंगे.''
बाजार में कितनी कीमत की मूर्तियां : शहर में अलग-अलग स्थानों पर फिर चाहे वह मुख्यालय हो या उपनगरीय क्षेत्र. मूर्तिकार दीगर प्रांतों से पहुंच चुके हैं. उन्होंने मूर्तियां बनाने का काम शुरू कर दिया है, अब वह मूर्तियों में रंग भरने की तैयारी कर रहे हैं. इस बार बाजार में 500 से लेकर 25000 तक की मूर्तियां उपलब्ध हैं. इस बार प्रशासन की ओर से गणेश प्रतिमाओं को लेकर किसी भी तरह की गाइडलाइन जारी होने की सूचना नहीं (Guidelines for Ganeshotsav)है. इसलिए मूर्तिकार शहर में अधिकतम 8 फीट ऊंचाई तक की मूर्तियां बाजारों में उपलब्ध करा रहे हैं. हालांकि सभी मूर्तियों का निर्माण मिट्टी से किया जा रहा है. जो इको फ्रेंडली भी होंगे.