कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में औद्योगिक स्क्रैप या कबाड़ का गोरखधंधा फल-फूल रहा है. इसका पुष्टि दर्री थाना पुलिस के पकड़े गए एक वाहन से मिले ओवरलोड कबाड़ से हो रही है. बीती रात दर्री पुलिस ने NTPC की तरफ से की गई नीलामी से मिले औद्योगिक स्क्रैप से भरे एक ट्रक को पकड़ा. संदेह के आधार पर इसकी जांच की गई. जब वाहन का कोरबा ले जाकर वजन कराया गया, तब इसमें पेश किए गए दस्तावेजों से 6 टन स्क्रैप ज्यादा मिला. वाहन के ओवरलोड होने पर प्रकरण ट्रैफिक पुलिस को सौंपा गया. जहां से गाड़ी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.
कोरबा में ओवरलोड गाड़ी पर जुर्माना, अतिरिक्त स्क्रैप कहां से आया इसकी जांच नहीं : औद्योगिक जिला होने के कारण SECL, बालको, एनटीपीसी सहित अन्य औद्योगिक उपक्रमों से बड़े पैमाने पर स्क्रैप निकलता है. इसकी कीमत भी दूसरे प्रदेशों में बेहद ज्यादा है. अक्सर जितने स्क्रैप की अनुमति होती है, उसकी आड़ में कई बार गाड़ियों में अतिरिक्त अवैध स्क्रैप लोड कर परिवहन किया जाता है. औद्योगिक उपक्रमों से लोहे से बने कीमती सामानों की चोरी भी होती है. इसे भी अवैध तरीके से खपाया जाता है. ताजा मामले में भी इसी तरह की बात सामने आई है.
कोरबा के दर्री पुलिस की कार्रवाई: दर्री थाना के टीआई विवेक शर्मा ने बताया कि संदेह के आधार पर ट्रक क्रमांक CG 12 AT 9099 पकड़ा गया था. उसका वजन करने पर स्क्रैप ओवरलोड मिला. ओवरलोड स्क्रेप मिलने पर ट्रैफिक पुलिस के माध्यम से गाड़ी पर 20 हजार के जुर्माने की कार्रवाई की गई है. हालांकि ओवरलोडेड अतिरिक्त स्क्रैप आया कहां से, और क्या यह चोरी का स्क्रैप है? इन सवालों के जवाब नहीं मिल सके हैं.
कोरबा में अवैध कबाड़ का गोरखधंधा: इस कार्रवाई से पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं. पुलिस ने वाहन में अतिरिक्त स्क्रैप लोड होने पर ओवरलोड की करवाई तो की है. लेकिन यह स्क्रेप आया कहां से इस विषय में कोई जानकारी नहीं दी गई है. औद्योगिक उपक्रमों की ओर से लगातार शिकायत बनी रहती है कि चोरी की घटनाएं हो रही हैं. हाल ही में मानिकपुर खदान में चोरों ने गार्ड को बंधक बनाकर सामानों की चोरी कर ली थी.
कोरबा में अवैध कबाड़ का गोरखधंधा: जिले में कबाड़ का अवैध कारोबार सालों से बंद था. लेकिन हाल फिलहाल में यह फिर से शुरू हो चुका है. सुनियोजित तरीके से औद्योगिक उपक्रमों से चोरी हुए कबाड़ को ऊंची कीमत पर दीगर प्रांतों में खपाया आ जा रहा है. कबाड़ माफियाओं द्वारा रैकेट संचालित किया जा रहा है. पावर प्लांट या औद्योगिक उपक्रमों से कबाड़ को सुनियोजित ढंग से माफियाओं द्वारा दीगर प्रांतों में बेचा जा रहा है.