कोरबा: कोरबा के सरकारी धान खरीद केंद्रों पर अपनी धान बेचने वाले किसान अब अवैध वसूली के शिकार हो रहे हैं. आरोप है कि उन्हें उनकी फसल का समर्थन मूल्य देने के लिए भी लंबी कतारों में खड़ा किया जा रहा है. परेशान किसानों से 500 से 1000 तक अवैध वसूली का आरोप है.
कोरबा जिला मुख्यालय के पुराने शहर में सहकारी बैंक की मुख्य शाखा में किसान आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं. यहां हजारों किसानों के खाते संचालित हैं. जहां दूर-दराज के किसान पैसा निकलवाने पहुंच रहे हैं।. धान खरीदी के बाद सरकार ने उनकी मेहनत के बदले में पैसे खातों में हस्तांतरित करना शुरू कर दिया है. किसान अपनी जरूरत के अनुसार पैसे निकालने यहां पहुंच रहे हैं.
गड्डी में ही पैसे कम मिलने की बात
बैंक प्रबंधन से जब किसानों से अवैध वसूली की बात कही गई तब उन्होंने इसे सिरे से खारिज किया. लेकिन प्रबंधन की ओर से एक बेहद गंभीर बात कही गई. प्रबंधक अजय सोनी की मानें तो गड्डी में ही पैसे कम आ रहे हैं. चूंकि नोटों की गड्डियां बैंक के चेस्ट से बैंकों को प्रदान की जाती है और कार्य का बोझ अधिक होने के कारण इसे बैंक में दोबारा गिना नहीं जाता.
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25000 तक काउंटर से सीधा आहरण
बैंकिंग सिस्टम के अनुसार 25000 तक की राशि सीधे काउंटर से किसानों को दी जाती है. लेकिन राशि इससे अधिक होने पर इसे क्यू में डाल दिया जाता है. जिसके बाद प्रबंधक द्वारा इसे क्लियर करने के पश्चात ही किसानों को राशि दी जाती है.
किसान भी स्वीकार रहे कम पैसे की बात
कोरबा जिले में ज्यादातर किसान आदिवासी वर्ग से आते हैं. वह बेहद सीधे और सरल स्वभाव के हैं. वह पैसे कम मिलने की बात कहते हैं और जब बैंक प्रबंधन द्वारा उन्हें कहा जाता है कि इतना ही मिलेगा तब वह चुपचाप वापस लौट जाते हैं. हमने भी कुछ किसानों से बात की. उन्होंने सीधे तौर पर पैसे कम होने की बात कही, लेकिन इसकी शिकायत कहीं नहीं की.