कवर्धा : बिहान महिला स्व सहायता समूह की ओर से धान, चावल, गेंहू और लौकी के बीज से आकर्षक स्वदेशी राखियां तैयार की गई हैं. सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए आकर्षक राखियों के दाम 10 रूपए से लेकर 40 रूपए तक रखे गए हैं. इसके साथ ही इन राखियों के आकर्षक पैकेट भी तैयार किए गए हैं. इस पैकेट में कोरोना वायरस के बचाव को ध्यान में रखते हुए राखी के साथ-साथ हैंड सैनिटाइजर, मास्क, रूमाल, पीला चावल और मुंह मीठा करने के लिए चॉकलेट की भी पैकेजिंग की गई है. इसका मूल्य 110 से 150 रूपए तक रखा गया है.
![Stall of attractive swadeshi rakhiyan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-kwd-03-special-rakhi-foto-cg10015_24072020222659_2407f_1595609819_314.jpg)
महिलाओं ने तैयार की आकर्षक स्वदेशी राखियां
महिला समूह की अध्यक्ष सरोजनी कश्यप ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों ने बेहतर काम किया है. इस संकट की घड़ी में बड़ी संख्या में मास्क तैयार कर रोजगार के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी का सृजन किया गया है. उन्होंने बताया कि इस बार चाइना से आने वाली राखियां देश के शहरों और कस्बों तक नहीं पहुंच पाई हैं. रक्षाबंधन के पर्व पर बाजार की मांग को ध्यान रखते हुए बिहान की विभिन्न महिला स्व सहायता समूहों द्वारा आकर्षक राखियां तैयार की गई हैं.
![attractive swadeshi rakhiyan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-kwd-03-special-rakhi-foto-cg10015_24072020222659_2407f_1595609819_677.jpg)
स्वदेशी राखियां आय का एक नया स्त्रोत
जिला पंचायत के सीईओ विजय दयाराम ने बताया कि जिले के बोड़ला विकासखंड की जय गंगा मैय्या महिला स्व सहायता समूह, राजानवागांव का आंचल महिला स्व सहायता समूह पोडी, पंडरिया का वैष्णव देवी महिला स्व सहायता समूह पेंड्री खुर्द का लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह मैनपुरा गांव के साथ ही कवर्धा और सहसपुर लोहारा के महिला स्व सहायता समूहों की ओर से बड़ी मात्रा में स्वदेशी राखियां तैयार की गई हैं.
![Administrative officials bought swadeshi rakhiyan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-kwd-03-special-rakhi-foto-cg10015_24072020222659_2407f_1595609819_48.jpg)
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जिला प्रशासन की ओर से जिले की महिला समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत और उनके आय के स्त्रोत बढ़ाने के लिए सहायता किया गया है. वहीं महिला समूहों ने भी शासन के मंशानुसार सभी त्योहारों में प्रचलित और आवश्यक सामाग्रियों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए हर सीजन पर अलग-अलग सामाग्रियां तैयार की गई है. समूहों द्वारा इससे पहले होली पर्व पर हर्बल गुलाल तैयार किया गया था. समूहों ने डेढ़ लाख रूपए से अधिक हर्बल गुलाल बेंचकर आय का एक नया स्त्रोत तैयार किया है.