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SPECIAL: खट्टी इमली ने दिया मेहनत का मीठा फल, लॉकडाउन में हुई बंपर कमाई

बस्तर इमली उत्पादन के लिए भी पहचाना जाता है. इस साल बस्तर से वनोपज संग्रहण के अंतर्गत इमली के लिए 31 हजार 800 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया, जिसमें अब तक लगभग 30 हजार 191 क्विंटल से अधिक की खरीदी भी हो गई है.

Bumper earnings from tamarind
इमली से कमाई
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Published : Jun 9, 2020, 7:52 PM IST

जगदलपुर: बस्तर वन संपदाओं से भरा हुआ है और यहां वनोपज का संग्रहण करना ग्रामीणों की जीवन शैली और आय के स्त्रोत का मुख्य हिस्सा है. यहां के ग्रामीणों ने लॉकडाउन में भी कमाल कर दिया है. इस साल बस्तर से वनोपज संग्रहण के अंतर्गत इमली के लिए 31 हजार 800 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया, जिसमें अब तक लगभग 30 हजार 191 क्विंटल से अधिक की खरीदी भी हो गई है.

इमली ने किया मालामाल

बस्तर इमली उत्पादन के लिए भी पहचाना जाता है. यहां की जलवायु इमली के लिए अनुकूल है. हर साल की तरह इस साल भी बस्तर में इमली से बंपर कमाई हुई है. लॉकडाउन के बाद भी गांववालों ने इमली फोड़ाई के काम में रुचि दिखाई, जिससे उनकी आमदनी भी हो रही है.

SPECIAL: यहां बना गर्भवती महिलाओं के लिए पहला क्वॉरेंटाइन सेंटर, रखा जा रहा खास ख्याल

2 करोड़ से अधिक की राशि का हुआ भुगतान

बस्तर के मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद ने बताया कि लघु वनोपज संग्रहण में बस्तर संभाग से 1 लाख 19 हजार 625 संग्राहक इस वर्ष शामिल हुए. इन संग्राहकों के मध्य 27 करोड़ 34 लाख से अधिक की राशि का भुगतान किया गया. इसके एवज में खरीदी करने वाले बस्तर के स्व सहायता समूह को 2 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया गया. 1 लाख 50 हजार से अधिक के इमली बीज की भी खरीदी की गई.

Tamarind Production
इमली उत्पादन

बस्तर की मुख्य वनोपज इमली

बस्तर के हर गांव में इमली के पेड़ अधिक होने के कारण ये मुख्य वनोपज में शामिल है. बस्तर संभाग में एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी स्थापित है. यहां की इमली अन्य राज्यों से होते हुए विदेशों तक जाती है. यहां कि इमली विदेश तक पहुंचाई जा सके, इसकी तैयारी वन विभाग कर रहा है. बस्तर की इमली थाईलैंड, अफगानिस्तान और श्रीलंका सहित कई देशों में सीधे पहुंचेगी जिससे यहां के लोगों की आय में इजाफा होगा. मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि 'यहां की इमली को सीधे विदेश ट्रांसपोर्ट करने की व्यवस्था की जाएगी. इसके जरिए वन विभाग, गांववालों की आय तो बढ़ेगी ही साथ ही रोजगार भी उपलब्ध होगा'.

इधर समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में वनोपज के संग्रहण का कार्य चलने से ग्रामीणों को रोजगार मिलने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो रही है और जिला प्रशासन के बिहान कार्यक्रम से बस्तर में समूहों का गठन किया जा रहा है जो काफी कारगर साबित हो रहा है.

जगदलपुर: बस्तर वन संपदाओं से भरा हुआ है और यहां वनोपज का संग्रहण करना ग्रामीणों की जीवन शैली और आय के स्त्रोत का मुख्य हिस्सा है. यहां के ग्रामीणों ने लॉकडाउन में भी कमाल कर दिया है. इस साल बस्तर से वनोपज संग्रहण के अंतर्गत इमली के लिए 31 हजार 800 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया, जिसमें अब तक लगभग 30 हजार 191 क्विंटल से अधिक की खरीदी भी हो गई है.

इमली ने किया मालामाल

बस्तर इमली उत्पादन के लिए भी पहचाना जाता है. यहां की जलवायु इमली के लिए अनुकूल है. हर साल की तरह इस साल भी बस्तर में इमली से बंपर कमाई हुई है. लॉकडाउन के बाद भी गांववालों ने इमली फोड़ाई के काम में रुचि दिखाई, जिससे उनकी आमदनी भी हो रही है.

SPECIAL: यहां बना गर्भवती महिलाओं के लिए पहला क्वॉरेंटाइन सेंटर, रखा जा रहा खास ख्याल

2 करोड़ से अधिक की राशि का हुआ भुगतान

बस्तर के मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद ने बताया कि लघु वनोपज संग्रहण में बस्तर संभाग से 1 लाख 19 हजार 625 संग्राहक इस वर्ष शामिल हुए. इन संग्राहकों के मध्य 27 करोड़ 34 लाख से अधिक की राशि का भुगतान किया गया. इसके एवज में खरीदी करने वाले बस्तर के स्व सहायता समूह को 2 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया गया. 1 लाख 50 हजार से अधिक के इमली बीज की भी खरीदी की गई.

Tamarind Production
इमली उत्पादन

बस्तर की मुख्य वनोपज इमली

बस्तर के हर गांव में इमली के पेड़ अधिक होने के कारण ये मुख्य वनोपज में शामिल है. बस्तर संभाग में एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी स्थापित है. यहां की इमली अन्य राज्यों से होते हुए विदेशों तक जाती है. यहां कि इमली विदेश तक पहुंचाई जा सके, इसकी तैयारी वन विभाग कर रहा है. बस्तर की इमली थाईलैंड, अफगानिस्तान और श्रीलंका सहित कई देशों में सीधे पहुंचेगी जिससे यहां के लोगों की आय में इजाफा होगा. मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि 'यहां की इमली को सीधे विदेश ट्रांसपोर्ट करने की व्यवस्था की जाएगी. इसके जरिए वन विभाग, गांववालों की आय तो बढ़ेगी ही साथ ही रोजगार भी उपलब्ध होगा'.

इधर समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में वनोपज के संग्रहण का कार्य चलने से ग्रामीणों को रोजगार मिलने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो रही है और जिला प्रशासन के बिहान कार्यक्रम से बस्तर में समूहों का गठन किया जा रहा है जो काफी कारगर साबित हो रहा है.

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