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कोरोना ने छीना सिर से मां-बाप का साया, भाई को राखी बांध एक-दूसरे का सहारा बने बहन-भाई

रक्षाबंधन का त्योहार मनाने को देश ही नहीं पूरी दुनिया तैयार है. लेकिन कुछ ऐसे भी परिवार हैं जिनके यहां कोरोना के कारण मायूसी छाई हुई है.

Brother and sister help each other
भाई को राखी बांध एक-दूसरे का सहारा बने बहन-भाई
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Published : Aug 21, 2021, 7:47 PM IST

Updated : Aug 21, 2021, 8:02 PM IST

जगदलपुर : बस्तर में भी भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन (raksha bandhan) धूमधाम से मनाने की तैयारी कर ली गई है. हालांकि कोरोना ने कई परिवारों से अपनों को छीन लिया है, जिस वजह से इस वर्ष यह त्योहार अपनों को खोने के गम में फीका जरूर पड़ गया है. जगदलपुर में एक ऐसे भाई-बहन मानव और जानवी देवांगन हैं, जिनके सिर से बेहद कम उम्र में ही माता-पिता का साया उठ गया. अब वे दोनों एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों ने रक्षाबंधन के मौके पर एक-दूसरे की हिम्मत बनने का वचन लिया है.

भाई को राखी बांध एक-दूसरे का सहारा बने बहन-भाई

महज 10 दिन में पहले दादी, मां-पिता की भी हो गई मौत

दरअसल शहर के श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड की जानवी और उसके भाई मानव देवांगन का परिवार 2 महीने पहले कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में आ गए थे. महज 10 दिन के भीतर ही पहले दादी, फिर मां और पिता की भी मौत हो गई. जानवी की उम्र 22 साल है, जबकि मानव 21 साल का है. माता-पिता ने जानवी को सीए बनाने का सपना देखा था. मानव भी सिविल इंजीनियर की तैयारी कर रहा था, लेकिन कोरोना के कहर ने बीते मई में 10 दिन के भीतर ही उसकी जिंदगी तबाह कर दी. अब जानवी और मानव अपनी पढ़ाई छोड़ एक-दूसरे के सहारा बने हुए हैं.

रक्षाबंधन पर न भद्रा की झंझट न ग्रहण की छाया, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

त्योहार पर सूना पड़ा है घर

जानवी ने बताया कि कोरोना के कहर ने एक साथ उसके माता-पिता और दादी को छीन लिया. उसका कहना है कि हर साल रक्षाबंधन पर उसका पूरा परिवार शामिल होकर धूमधाम से रक्षाबंधन मनाते थे. लेकिन आज माता-पिता के नहीं होने से उसका घर इस त्योहार पर सूना है. जानवी का कहना है कि अब उसका भाई ही उसके माता-पिता हैं. जानवी ने बताया कि उसके माता-पिता और दादी के मौत के पीछे प्रशासन की लचर स्वास्थ व्यवस्था भी वजह बनी. सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से तीनों की मौत हो गई.

बड़ी बहन का हिम्मत बनकर साथ देगा मानव
इधर, रक्षाबंधन के मौके पर मानव ने कहा कि वह अपनी बड़ी बहन का हिम्मत बनकर साथ देगा. कोशिश करेगा कि जानवी सीए की तैयारी फिर से कर सके और उनके माता-पिता के सपने को साकार करे. अब वह सुपरवाइजर की नौकरी कर अपना घर चला रहा है. उसने कहा कि वह अपनी बहन को सीए बनाकर मां-पिता का सपना जरूर पूरा करेगा. वहीं बस्तर में जानवी और मानव की तरह ऐसे कई परिवार हैं, जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया. कोरोना ऐसे परिवारों पर काल बनकर टूटा और पल भर में उनका सब कुछ बिखर गया.

जगदलपुर : बस्तर में भी भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन (raksha bandhan) धूमधाम से मनाने की तैयारी कर ली गई है. हालांकि कोरोना ने कई परिवारों से अपनों को छीन लिया है, जिस वजह से इस वर्ष यह त्योहार अपनों को खोने के गम में फीका जरूर पड़ गया है. जगदलपुर में एक ऐसे भाई-बहन मानव और जानवी देवांगन हैं, जिनके सिर से बेहद कम उम्र में ही माता-पिता का साया उठ गया. अब वे दोनों एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों ने रक्षाबंधन के मौके पर एक-दूसरे की हिम्मत बनने का वचन लिया है.

भाई को राखी बांध एक-दूसरे का सहारा बने बहन-भाई

महज 10 दिन में पहले दादी, मां-पिता की भी हो गई मौत

दरअसल शहर के श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड की जानवी और उसके भाई मानव देवांगन का परिवार 2 महीने पहले कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में आ गए थे. महज 10 दिन के भीतर ही पहले दादी, फिर मां और पिता की भी मौत हो गई. जानवी की उम्र 22 साल है, जबकि मानव 21 साल का है. माता-पिता ने जानवी को सीए बनाने का सपना देखा था. मानव भी सिविल इंजीनियर की तैयारी कर रहा था, लेकिन कोरोना के कहर ने बीते मई में 10 दिन के भीतर ही उसकी जिंदगी तबाह कर दी. अब जानवी और मानव अपनी पढ़ाई छोड़ एक-दूसरे के सहारा बने हुए हैं.

रक्षाबंधन पर न भद्रा की झंझट न ग्रहण की छाया, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

त्योहार पर सूना पड़ा है घर

जानवी ने बताया कि कोरोना के कहर ने एक साथ उसके माता-पिता और दादी को छीन लिया. उसका कहना है कि हर साल रक्षाबंधन पर उसका पूरा परिवार शामिल होकर धूमधाम से रक्षाबंधन मनाते थे. लेकिन आज माता-पिता के नहीं होने से उसका घर इस त्योहार पर सूना है. जानवी का कहना है कि अब उसका भाई ही उसके माता-पिता हैं. जानवी ने बताया कि उसके माता-पिता और दादी के मौत के पीछे प्रशासन की लचर स्वास्थ व्यवस्था भी वजह बनी. सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से तीनों की मौत हो गई.

बड़ी बहन का हिम्मत बनकर साथ देगा मानव
इधर, रक्षाबंधन के मौके पर मानव ने कहा कि वह अपनी बड़ी बहन का हिम्मत बनकर साथ देगा. कोशिश करेगा कि जानवी सीए की तैयारी फिर से कर सके और उनके माता-पिता के सपने को साकार करे. अब वह सुपरवाइजर की नौकरी कर अपना घर चला रहा है. उसने कहा कि वह अपनी बहन को सीए बनाकर मां-पिता का सपना जरूर पूरा करेगा. वहीं बस्तर में जानवी और मानव की तरह ऐसे कई परिवार हैं, जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया. कोरोना ऐसे परिवारों पर काल बनकर टूटा और पल भर में उनका सब कुछ बिखर गया.

Last Updated : Aug 21, 2021, 8:02 PM IST
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