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बस्तर के गांव में पचहत्तर साल बाद पहुंचा प्रशासन, अब एक हफ्ते में जुटेंगी सारी सुविधाएं

बस्तर के कई गांवों ने नक्सली दंश झेला है. जिसके कारण कई गांवों में जरुरी सुविधाएं नहीं पहुंची. लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. ऐसा ही एक प्रयास हुआ है घोर नक्सल प्रभावित गांव चांदामेटा (Chandameta village of Darbha block ) में.

Administrative team reached Chandameta village after seventy five years
बस्तर के गांव में पचहत्तर साल बाद पहुंचा प्रशासन
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Published : May 13, 2022, 1:03 PM IST

Updated : May 13, 2022, 1:16 PM IST

बस्तर : नक्सलवाद का दंश झेल रहे दरभा ब्लॉक के चांदामेटा गांव (Chandameta village of Darbha block ) की तस्वीर अब शायद बदल जाए. आजादी के 75 साल बाद गांव की जमीन पर किसी प्रशासनिक अमले ने जनचौपाल लगाकर लोगों की सुध ली. इस गांव में मूलभूत सुविधाएं क्या होती है, किसी को नहीं मालूम. सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधा सिर्फ गांव के लोगों के लिए कुछ शब्द हैं. लेकिन ये होते कैसे हैं, इस गांव के लोगों को नहीं मालूम. विकास की बातें करने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी अब तक इस गांव पर अपनी कृपा नहीं बरसाई है.

क्यों नहीं पहुंची गांव में सुविधा : चांदामेटा के ग्रामीणों तक शासन की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. नक्सलियों की मौजूदगी की वजह से इस गांव के सैकड़ों ग्रामीण सुविधाओं से महरूम हैं. लेकिन गुरुवार को पहली बार बस्तर कलेक्टर रजत बंसल (Bastar Collector Rajat Bansal ) और जिले के एसपी जितेंद्र सिंह मीणा समेत जिला प्रशासन की पूरी टीम इस घोर नक्सल प्रभावित चांदामेटा गांव पहुंची. यहां जन समस्या निवारण शिविर चौपाल लगाया गया. गांव में पहली बार लगे इस जन चौपाल में चांदामेटा गांव के सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे . बस्तर कलेक्टर को एक-एक कर अपनी समस्या बताई. इस दौरान बस्तर कलेक्टर ने उनकी सभी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया.

ग्रामीणों में दौड़ी खुशी की लहर : घोर नक्सल प्रभावित चांदामेटा गांव में पहली बार प्रशासन की टीम को देखकर स्थानीय ग्रामीणों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. प्रशासन की टीम के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम भी इस जनचौपाल में मौजूद थी. इस दौरान ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और उन्हें दवाईयां भी दी गई.

जनचौपाल में परेशानी का हल : जनचौपाल के दौरान ग्रामीणों ने कलेक्टर को बताया कि किस तरह से उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. गांव में ना बिजली है, ना पानी है और ना ही स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र. ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं पीडीएस दुकान भी गांव में नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को 10 किलोमीटर पैदल चलकर कोलेंग पंचायत से राशन लाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ : कभी बाघिन की वजह से लॉकडाउन हुए थे बस्तर के 25 गांव

एक हफ्ते में समस्या का होगा निराकरण: ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने के बाद कलेक्टर ने ग्रामीणों को पूरी तरह से आश्वस्त किया कि सप्ताह भर के भीतर गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, राशन दुकान, गौठान निर्माण, स्कूल और पेयजल की समस्या दूर की जाएगी. जल्द ही स्वास्थ्य केंद्र भी खोला जाएगा. तीन दिनों के अंदर चांदामेटा के सभी ग्रामीणों के राशन कार्ड, आधार कार्ड बनाए जाएंगे. बुजुर्गों को पेंशन योजना का लाभ दिलाने के लिए प्रशासनिक टीम भी पूरी तरह से ग्रामीणों की मदद करेगी.

बस्तर : नक्सलवाद का दंश झेल रहे दरभा ब्लॉक के चांदामेटा गांव (Chandameta village of Darbha block ) की तस्वीर अब शायद बदल जाए. आजादी के 75 साल बाद गांव की जमीन पर किसी प्रशासनिक अमले ने जनचौपाल लगाकर लोगों की सुध ली. इस गांव में मूलभूत सुविधाएं क्या होती है, किसी को नहीं मालूम. सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधा सिर्फ गांव के लोगों के लिए कुछ शब्द हैं. लेकिन ये होते कैसे हैं, इस गांव के लोगों को नहीं मालूम. विकास की बातें करने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी अब तक इस गांव पर अपनी कृपा नहीं बरसाई है.

क्यों नहीं पहुंची गांव में सुविधा : चांदामेटा के ग्रामीणों तक शासन की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. नक्सलियों की मौजूदगी की वजह से इस गांव के सैकड़ों ग्रामीण सुविधाओं से महरूम हैं. लेकिन गुरुवार को पहली बार बस्तर कलेक्टर रजत बंसल (Bastar Collector Rajat Bansal ) और जिले के एसपी जितेंद्र सिंह मीणा समेत जिला प्रशासन की पूरी टीम इस घोर नक्सल प्रभावित चांदामेटा गांव पहुंची. यहां जन समस्या निवारण शिविर चौपाल लगाया गया. गांव में पहली बार लगे इस जन चौपाल में चांदामेटा गांव के सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे . बस्तर कलेक्टर को एक-एक कर अपनी समस्या बताई. इस दौरान बस्तर कलेक्टर ने उनकी सभी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया.

ग्रामीणों में दौड़ी खुशी की लहर : घोर नक्सल प्रभावित चांदामेटा गांव में पहली बार प्रशासन की टीम को देखकर स्थानीय ग्रामीणों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. प्रशासन की टीम के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम भी इस जनचौपाल में मौजूद थी. इस दौरान ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और उन्हें दवाईयां भी दी गई.

जनचौपाल में परेशानी का हल : जनचौपाल के दौरान ग्रामीणों ने कलेक्टर को बताया कि किस तरह से उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. गांव में ना बिजली है, ना पानी है और ना ही स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र. ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं पीडीएस दुकान भी गांव में नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को 10 किलोमीटर पैदल चलकर कोलेंग पंचायत से राशन लाना पड़ता है.

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एक हफ्ते में समस्या का होगा निराकरण: ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने के बाद कलेक्टर ने ग्रामीणों को पूरी तरह से आश्वस्त किया कि सप्ताह भर के भीतर गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, राशन दुकान, गौठान निर्माण, स्कूल और पेयजल की समस्या दूर की जाएगी. जल्द ही स्वास्थ्य केंद्र भी खोला जाएगा. तीन दिनों के अंदर चांदामेटा के सभी ग्रामीणों के राशन कार्ड, आधार कार्ड बनाए जाएंगे. बुजुर्गों को पेंशन योजना का लाभ दिलाने के लिए प्रशासनिक टीम भी पूरी तरह से ग्रामीणों की मदद करेगी.

Last Updated : May 13, 2022, 1:16 PM IST
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