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इस रक्षाबंधन भाइयों को मिलेगा मां गंगा, यमुना, महानदी का आशीर्वाद, जानिए क्यों

दुर्ग में इस बार उड़ान नई दिशा संस्था की महिलाएं अनोखी राखी बना रही हैं. इस राखी को पवित्रता को खास ध्यान में रखकर बनाया गया है.

इस बार खास होंगी तीन नदियों की मिट्टी और गोबर-गौ-मूत्र से बनी दुर्ग की राखियां
इस बार खास होंगी तीन नदियों की मिट्टी और गोबर-गौ-मूत्र से बनी दुर्ग की राखियां
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Published : Aug 20, 2021, 5:56 PM IST

Updated : Aug 21, 2021, 10:21 AM IST

दुर्गः रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है. रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर रेशम धागे की डोर बांधकर इस प्रेम को और भी प्रगाढ़ बनाती हैं. दुर्ग जिले में बीते करीब एक माह से उड़ान नई दिशा संस्था की महिलाएं इन दिनों अनोखी राखियां बनाने में जुटी हुई हैं. ये तीन पवित्र स्थानों की मिट्टी से राखी बना रही हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि देश के पवित्र स्थलों की मिट्टी से भाई-बहन के प्यार की पवित्र राखी में इसका उपयोग किया जा रहा है.

इस बार खास होंगी तीन नदियों की मिट्टी और गोबर-गौ-मूत्र से बनी दुर्ग की राखियां


20 हजार से अधिक राखी के पूरे कर रहीं ऑर्डर

इस राखी की डिमांड केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र, ओड़िशा, यूपी और हैदराबाद से भी आ रही है. करीब 20 हजार से अधिक राखी के ऑर्डर उड़ान नई दिशा संस्था की महिलाएं पूरे कर रही हैं. राखी में गंगा, यमुना और महानदी की मिट्टी के अलावा गाय के गोबर, दूध, घी और गौमूत्र से भी राखी बनाई जा रही है. अपने आप में यह राखी प्रवित्रता का प्रतीक साबित होगा. राखी में पूरी तरह छत्तीसगढ़ की संस्कृति की भी झलक दिखाई देगी.

नवाबों के शहर लखनऊ भी पहुंचेगी राखी


भिलाई में बन रही इस राखी की डिमांड नवाबों के शहर लखनऊ से भी आई है. इसके लिए पांच राज्यों ने पहले सैंपल मंगाये थे. उड़ान नई दिशा संस्था लंबे समय से महिलाओं में जागरूकता का प्रयास कर रही है. संस्था की अध्यक्ष निधि चंद्राकर इसे बखूबी निभा भी रही हैं. संस्था को सबसे ज्यादा दिल्ली से 10 हजार राखी के ऑर्डर मिले थे, जो उन्हें भेजी जा चुकी है. निधि ने निर्णय लिया है कि इस राखी को ऑनलाइन भी बेचा जाएगा. राखियों की कीमत 20 से लेकर 100 रुपये तक होगी. इधर, संस्था की कोषाध्यक्ष दीपाली मिश्रा ने बताया कि फैंसी राखी तैयार कर रहे हैं, जिसमें मौली धागा का उपयोग किया जा रहा है. करीब ढाई सौ से भी अधिक महिलाओं का ग्रुप संस्था का है, जो सोशल मीडिया में सक्रिय रहती हैं.

चाइनीज राखियों का होगा बहिष्कार


देश भर में लंबे समय से चाइनीज राखियों का कब्जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ के भिलाई में बन रही पवित्र मिट्टी की राखियां चाइनीज राखियों को मात दे रही हैं. अब लोग चाइनीज राखियों का बहिष्कार भी कर रहे हैं. महिलाओं ने इसके पूर्व गोबर की राखी बनाकर सुर्खियां बटोरी थी. जिसकी प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सराहना कर चुके हैं. अब गंगा, यमुना और महानदी की मिट्टी से बन रही राखियों की डिमांड देशभर से मिलने लगी हैं.

दुर्गः रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है. रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर रेशम धागे की डोर बांधकर इस प्रेम को और भी प्रगाढ़ बनाती हैं. दुर्ग जिले में बीते करीब एक माह से उड़ान नई दिशा संस्था की महिलाएं इन दिनों अनोखी राखियां बनाने में जुटी हुई हैं. ये तीन पवित्र स्थानों की मिट्टी से राखी बना रही हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि देश के पवित्र स्थलों की मिट्टी से भाई-बहन के प्यार की पवित्र राखी में इसका उपयोग किया जा रहा है.

इस बार खास होंगी तीन नदियों की मिट्टी और गोबर-गौ-मूत्र से बनी दुर्ग की राखियां


20 हजार से अधिक राखी के पूरे कर रहीं ऑर्डर

इस राखी की डिमांड केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र, ओड़िशा, यूपी और हैदराबाद से भी आ रही है. करीब 20 हजार से अधिक राखी के ऑर्डर उड़ान नई दिशा संस्था की महिलाएं पूरे कर रही हैं. राखी में गंगा, यमुना और महानदी की मिट्टी के अलावा गाय के गोबर, दूध, घी और गौमूत्र से भी राखी बनाई जा रही है. अपने आप में यह राखी प्रवित्रता का प्रतीक साबित होगा. राखी में पूरी तरह छत्तीसगढ़ की संस्कृति की भी झलक दिखाई देगी.

नवाबों के शहर लखनऊ भी पहुंचेगी राखी


भिलाई में बन रही इस राखी की डिमांड नवाबों के शहर लखनऊ से भी आई है. इसके लिए पांच राज्यों ने पहले सैंपल मंगाये थे. उड़ान नई दिशा संस्था लंबे समय से महिलाओं में जागरूकता का प्रयास कर रही है. संस्था की अध्यक्ष निधि चंद्राकर इसे बखूबी निभा भी रही हैं. संस्था को सबसे ज्यादा दिल्ली से 10 हजार राखी के ऑर्डर मिले थे, जो उन्हें भेजी जा चुकी है. निधि ने निर्णय लिया है कि इस राखी को ऑनलाइन भी बेचा जाएगा. राखियों की कीमत 20 से लेकर 100 रुपये तक होगी. इधर, संस्था की कोषाध्यक्ष दीपाली मिश्रा ने बताया कि फैंसी राखी तैयार कर रहे हैं, जिसमें मौली धागा का उपयोग किया जा रहा है. करीब ढाई सौ से भी अधिक महिलाओं का ग्रुप संस्था का है, जो सोशल मीडिया में सक्रिय रहती हैं.

चाइनीज राखियों का होगा बहिष्कार


देश भर में लंबे समय से चाइनीज राखियों का कब्जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ के भिलाई में बन रही पवित्र मिट्टी की राखियां चाइनीज राखियों को मात दे रही हैं. अब लोग चाइनीज राखियों का बहिष्कार भी कर रहे हैं. महिलाओं ने इसके पूर्व गोबर की राखी बनाकर सुर्खियां बटोरी थी. जिसकी प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सराहना कर चुके हैं. अब गंगा, यमुना और महानदी की मिट्टी से बन रही राखियों की डिमांड देशभर से मिलने लगी हैं.

Last Updated : Aug 21, 2021, 10:21 AM IST
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