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महात्मा गांधी जयंतीः धमतरी में स्वतंत्रता के महानायक की होती है पूजा, विचारों में आज भी बहती हैं 'सत्य और अहिंसा' की नदियां - mahatma gandhi

धर्म, आस्था और देशभक्ति (Religion, Faith and Patriotism) का संगम (Confluence) देखना है तो धमतरी के सटियारा से बेहतर कोई जगह नहीं है. यह प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का इकलौता गांधी मंदिर (India's Only Gandhi Temple) है जहां पर लोग देवी-देवताओं (Gods And Goddesses) के साथ स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) के 'नायक महात्मा गांधी' (Hero Mahatma Gandhi) की पूजा करते है. गंगरेल बांध की खूबसूरत हंसीन वादियों (Beautiful Laughing Plains) के पीछे बसे सटियारा गांव में 'गांधी' और उनके विचारों' (Gandhi And His Thoughts) की प्रासंगिकता (Relevance) आज भी बरकरार है.

Worship of Gandhi, the hero of freedom in Dhamtari
धमतरी में स्वतंत्रता के महानायक गांधी की पूजा
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Published : Oct 1, 2021, 5:24 PM IST

Updated : Oct 24, 2021, 3:58 PM IST

धमतरीः धर्म, आस्था और देशभक्ति (Religion, Faith And Patriotism) का संगम (Confluence) देखना है तो धमतरी के सटियारा से बेहतर कोई जगह नहीं है. यह प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का इकलौता गांधी मंदिर (India's Only Gandhi Temple) है जहां पर लोग देवी-देवताओं (Gods And Goddesses) के साथ स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) के 'नायक महात्मा गांधी' (Hero mahatma Gandhi) की पूजा करते है.

धमतरी में स्वतंत्रता के महानायक की होती है पूजा

गंगरेल बांध की खूबसूरत हंसीन वादियों (Beautiful Laughing Plains) के पीछे बसे सटियारा गांव में 'गांधी' और उनके विचारों' (Gandhi And His Thoughts) की प्रासंगिकता (Relevance) आज भी बरकरार है. 'महात्मा गांधी' का यह मंदिर (temple of Mahatma Gandhi) धमतरी जिला मुख्यालय से गंगरेल बांध के रास्ते 40 किलोमीटर और सड़क मार्ग (By Road) से करीब 70 किलोमीटर दूर सटियारा गांव में मौजूद है.

भारत माता सेवा समिति के हाथों मंदिर का संचालन

यहां जाने के लिए गंगरेल से नाव या फिर "बोट' का सहारा" (Boat Support) लेना पड़ता है. इसके अलावा सड़क मार्ग से जाने के लिए कांकेर जिले के चारामा से होकर जाना पड़ता है. यहां सटियारा में 'भारत माता सेवा समिति' (Bharat Mata Seva Samiti) द्वारा 'गांधी मंदिर' (Gandhi Mandir) का संचालन (Operation Of Gandhi Mandir) किया जाता है. बताया जाता है कि समिति से जुडे़ लोगों के 'गुरूदेव दुखू ठाकुर' (Gurudev Dukhu Thakur) 'महात्मा गांधी' (Mahatma Gandhi) के 'परमभक्त' (Devout) थे. उन्होंने 'गांधी विचारों' (Gandhi Thoughts) को आगे बढ़ाने के लिए गंगरेल के डूबान में 'गांधी मंदिर' (Gandhi Mandir) की स्थापना किया था.

होती है गुरूदेव और 'गांधी' जी की पूजा

उन्होंने अपने साथ अलग-अलग स्थानों से कई परिवारों को भी जोड़ा और गांधी जी के विचारों को अपना कर काम करने सहित उन्हें आगे बढ़ाने का आह्वान किया. गंगरेल बांध बनने से मंदिर डूब गया. जिसे बाद में नदी किनारे फिर से बनाया गया. तब से ले कर आज तक गुरूदेव और 'गांधी' जी की पूजा की जा रही है. इसके अलावा यहां 'भारत माता' की भी पूजा (Worship Of Mother India) की जाती है. हालांकि इनकी पूजा पद्धति अन्य जगहों से अलग है. 'मंदिर समिति' (Temple Committee) के लोग चावल के आटे का इस्तेमाल करते हैं. वह मानते हैं कि यहां पूजा करने से 'दुख-संताप' (Grief) दूर होते हैं.

भारतीय संस्कृति के खिलाफ है लिव इन रिलेशनशिप: डॉ.किरणमयी

मूलभूत सुविधाओं का टोटा
गांधी मंदिर के नाम से जाने, जाने वाले इस जगह पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव (Lack Of Basic Amenities) है. यहां नाव या फिर पंगडंडी सरीके रास्ते हो कर गुजरना पड़ता है. पहाड़ी और घने जंगल होने की वजह से लोगों को जंगली जानवरों का खतरा (Wild Animal Danger) भी रहता है. यदि रास्ता बन जाता है तो आने-जाने वाले लोगों को आसानी हो सकती है. वहीं यह क्षेत्र पर्यटन से भी जुड़ सकता है. इस गांधी मंदिर में लगभग सभी पर्वों को धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्र में यहां 'मनोकामना ज्योति' भी जलाई जाती है. राष्ट्रीय पर्व 'स्वतंत्रता दिवस' (Independence Day) और 'गणतंत्र दिवस' (Republic Day) पर 'ध्वजारोहण' (Flag Hoisting) कर 'आजादी की खुशियां' (Joys Of Freedom) मनाई जाती हैं.

देवतुल्य माने जाते हैं 'अखबार'

इसके अलावा यहां अखबार की भी पूजा की जाती है. क्योंकि माना जाता है कि इसी अखबार के जरिये लोगों को 'देश की आजादी' (Country's Independence) का संदेश मिला था. तब से ले कर आज दिन तक अखबार भी यहां 'देवतुल्य' (Godlike) माना जाता है. जिला कलेक्टर का कहना है कि पानी से लगा हुआ 'प्राचीन मंदिर' (Ancient Temple) है. 'गांधी जंयती' (Gandhi Jayanti) पर यहां कार्यक्रम आयोजित करने सहित मंदिर क्षेत्र को 'पर्यटन क्षेत्र' (Tourist Area) के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाएगा. बहरहाल यहां के लोग आज भी 'गांधी जी' (Gandhiji) की पूजा के साथ-साथ उनके विचारों को आत्मसात कर रहे हैं. और दूसरों को भी 'गांधीवादी विचारधाराओं' (Gandhian Ideologies) के आत्मसात पर बल दिया जा रहा है.

धमतरीः धर्म, आस्था और देशभक्ति (Religion, Faith And Patriotism) का संगम (Confluence) देखना है तो धमतरी के सटियारा से बेहतर कोई जगह नहीं है. यह प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का इकलौता गांधी मंदिर (India's Only Gandhi Temple) है जहां पर लोग देवी-देवताओं (Gods And Goddesses) के साथ स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) के 'नायक महात्मा गांधी' (Hero mahatma Gandhi) की पूजा करते है.

धमतरी में स्वतंत्रता के महानायक की होती है पूजा

गंगरेल बांध की खूबसूरत हंसीन वादियों (Beautiful Laughing Plains) के पीछे बसे सटियारा गांव में 'गांधी' और उनके विचारों' (Gandhi And His Thoughts) की प्रासंगिकता (Relevance) आज भी बरकरार है. 'महात्मा गांधी' का यह मंदिर (temple of Mahatma Gandhi) धमतरी जिला मुख्यालय से गंगरेल बांध के रास्ते 40 किलोमीटर और सड़क मार्ग (By Road) से करीब 70 किलोमीटर दूर सटियारा गांव में मौजूद है.

भारत माता सेवा समिति के हाथों मंदिर का संचालन

यहां जाने के लिए गंगरेल से नाव या फिर "बोट' का सहारा" (Boat Support) लेना पड़ता है. इसके अलावा सड़क मार्ग से जाने के लिए कांकेर जिले के चारामा से होकर जाना पड़ता है. यहां सटियारा में 'भारत माता सेवा समिति' (Bharat Mata Seva Samiti) द्वारा 'गांधी मंदिर' (Gandhi Mandir) का संचालन (Operation Of Gandhi Mandir) किया जाता है. बताया जाता है कि समिति से जुडे़ लोगों के 'गुरूदेव दुखू ठाकुर' (Gurudev Dukhu Thakur) 'महात्मा गांधी' (Mahatma Gandhi) के 'परमभक्त' (Devout) थे. उन्होंने 'गांधी विचारों' (Gandhi Thoughts) को आगे बढ़ाने के लिए गंगरेल के डूबान में 'गांधी मंदिर' (Gandhi Mandir) की स्थापना किया था.

होती है गुरूदेव और 'गांधी' जी की पूजा

उन्होंने अपने साथ अलग-अलग स्थानों से कई परिवारों को भी जोड़ा और गांधी जी के विचारों को अपना कर काम करने सहित उन्हें आगे बढ़ाने का आह्वान किया. गंगरेल बांध बनने से मंदिर डूब गया. जिसे बाद में नदी किनारे फिर से बनाया गया. तब से ले कर आज तक गुरूदेव और 'गांधी' जी की पूजा की जा रही है. इसके अलावा यहां 'भारत माता' की भी पूजा (Worship Of Mother India) की जाती है. हालांकि इनकी पूजा पद्धति अन्य जगहों से अलग है. 'मंदिर समिति' (Temple Committee) के लोग चावल के आटे का इस्तेमाल करते हैं. वह मानते हैं कि यहां पूजा करने से 'दुख-संताप' (Grief) दूर होते हैं.

भारतीय संस्कृति के खिलाफ है लिव इन रिलेशनशिप: डॉ.किरणमयी

मूलभूत सुविधाओं का टोटा
गांधी मंदिर के नाम से जाने, जाने वाले इस जगह पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव (Lack Of Basic Amenities) है. यहां नाव या फिर पंगडंडी सरीके रास्ते हो कर गुजरना पड़ता है. पहाड़ी और घने जंगल होने की वजह से लोगों को जंगली जानवरों का खतरा (Wild Animal Danger) भी रहता है. यदि रास्ता बन जाता है तो आने-जाने वाले लोगों को आसानी हो सकती है. वहीं यह क्षेत्र पर्यटन से भी जुड़ सकता है. इस गांधी मंदिर में लगभग सभी पर्वों को धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्र में यहां 'मनोकामना ज्योति' भी जलाई जाती है. राष्ट्रीय पर्व 'स्वतंत्रता दिवस' (Independence Day) और 'गणतंत्र दिवस' (Republic Day) पर 'ध्वजारोहण' (Flag Hoisting) कर 'आजादी की खुशियां' (Joys Of Freedom) मनाई जाती हैं.

देवतुल्य माने जाते हैं 'अखबार'

इसके अलावा यहां अखबार की भी पूजा की जाती है. क्योंकि माना जाता है कि इसी अखबार के जरिये लोगों को 'देश की आजादी' (Country's Independence) का संदेश मिला था. तब से ले कर आज दिन तक अखबार भी यहां 'देवतुल्य' (Godlike) माना जाता है. जिला कलेक्टर का कहना है कि पानी से लगा हुआ 'प्राचीन मंदिर' (Ancient Temple) है. 'गांधी जंयती' (Gandhi Jayanti) पर यहां कार्यक्रम आयोजित करने सहित मंदिर क्षेत्र को 'पर्यटन क्षेत्र' (Tourist Area) के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाएगा. बहरहाल यहां के लोग आज भी 'गांधी जी' (Gandhiji) की पूजा के साथ-साथ उनके विचारों को आत्मसात कर रहे हैं. और दूसरों को भी 'गांधीवादी विचारधाराओं' (Gandhian Ideologies) के आत्मसात पर बल दिया जा रहा है.

Last Updated : Oct 24, 2021, 3:58 PM IST
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