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बिलासपुर में बोनफिक्स के नशे से दो बच्चों की मौत, मचा हड़कंप

बिलासपुर जिले में बोनफिक्स (Bonfix) के नशे में बच्चे असमय अपनी जिंदगी से हाथ धो रहे हैं. दो दिनों में नशे के आदि दो बच्चों के आत्महत्या (suicide) कर लेने से पुलिस अधिकारी (Police officer) भी सकते में आ गए हैं.

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Published : Sep 5, 2021, 4:14 PM IST

Bonfix's intoxication took the lives of two children in two days
बोनफिक्स से दो बच्चों की मौत

बिलासपुरः जिले में एक बार फिर एक बच्चे ने सुसाइड (suicide) कर लिया है. इस बार सरकंडा स्थित चांटीडीह सब्जी मंडी में 12 साल के बच्चे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतक की पहचान कर के स्वजन को सूचना दी है. उनके आने पर आत्महत्या का कारण स्पष्ट होगा. पुलिस के अनुसार बच्चा नशे का आदि था.

बोनफिक्स ने ले ली दो बच्चों की जान

बिलासपुर शहर के शनिचरी बाजार में एक कूड़ेदान के ऊपर लगे बंश में कपड़े का फंदा बनाकर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है बच्चा बोनफिक्स (Bonfix) से नशा का आदि था और घूम घूम कर कचरा से कबाड़ उठाकर बेचने का काम करता था. बच्चे का नाम गोपाल अहिरवार है और शनिचरी बाजार के आसपास रहता था.

एक दिन पहले भी एक नाबालिग (minor) राजा गोड़ नामक के बच्चे ने तेलीपारा के बंद पड़े दालमिल में फांसी लगा ली थी, वह भी बोनफिक्स के नशे का आदि था और दोनों दोस्त थे. आसपास के लोगों का मानना है कि शायद आज गोपाल ने अपने दोस्त के वियोग (disconnection) में फांसी लगाई होगी, हालांकि कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है कि आखिर क्या कारण है कि इतना कम उम्र में बच्चे ने फांसी लगाई है?


काम नहीं आ रहा पुलिस का मुहिम
पिछले कुछ सालों में घुमंतू बच्चो में बोनफिक्स(Bonfix) के नशे का चलन हो गया है. हर घुमंतू बच्चे को कपड़े से मुंह के माध्यम से सांस खींच कर नशा करते देखा जा रहा है. ज्यादातर स्टेशन के प्लेटफार्म (Platform) पर रहने वाले बच्चे इस नशे के आदि हो गए हैं. पिछले दिनों पुलिस मुहिम चलाकर ऐसे बच्चों को ले कर नशा मुक्ति केंद्र (Drug de-addiction center) भेज रही थी लेकिन बाद में उनके पालक उन्हें ले जाते थे या वो खुद भाग जाते थे. ये बच्चे दिन भर घूम कर कचरा, पन्नी, चुनकर बेचकर अपने नशा के शौक को पूरा कर रहे हैं. इनके माता पिता भी मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं और बच्चों पर ध्यान नहीं देत. यही कारण है कि ऐसे बच्चे इस तरह के नशे कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं.

महिला आयोग में डॉक्टर की पिटाई, कर्मचारी ने कमरे में बंद कर डॉक्टर को पीटा

कमाई की लालच में बेचते हैं नशे का सामान
बोनफिक्स का नशा करने वाले बच्चे दिन भर घूम कर कुली कबाड़ी का काम करते हैं और शाम को पैसे मिलने के बाद नशे का सामान खरीद लेते हैं. पिछले कुछ सालों में पुलिस ने बोनफिक्स की बिक्री को लेकर किराना व्यापारियों को समझाइश दी थी. वह इसे बच्चों को ना बेचें. इसके बाद बहुत सारे व्यापारियों ने बोनफिक्स रखना बंद कर दिया था. लेकिन पिछले एक दो सालों मे इस में अधिक कमाई के लालच में कुछ किराना व्यवसाई अधिक कीमत लगाकर बच्चों को बोनफिक्स बेच रहे हैं. जिसकी वजह से बच्चे बोनफिक्स खरीद कर इसका नशा करते हैं.

बिलासपुरः जिले में एक बार फिर एक बच्चे ने सुसाइड (suicide) कर लिया है. इस बार सरकंडा स्थित चांटीडीह सब्जी मंडी में 12 साल के बच्चे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतक की पहचान कर के स्वजन को सूचना दी है. उनके आने पर आत्महत्या का कारण स्पष्ट होगा. पुलिस के अनुसार बच्चा नशे का आदि था.

बोनफिक्स ने ले ली दो बच्चों की जान

बिलासपुर शहर के शनिचरी बाजार में एक कूड़ेदान के ऊपर लगे बंश में कपड़े का फंदा बनाकर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है बच्चा बोनफिक्स (Bonfix) से नशा का आदि था और घूम घूम कर कचरा से कबाड़ उठाकर बेचने का काम करता था. बच्चे का नाम गोपाल अहिरवार है और शनिचरी बाजार के आसपास रहता था.

एक दिन पहले भी एक नाबालिग (minor) राजा गोड़ नामक के बच्चे ने तेलीपारा के बंद पड़े दालमिल में फांसी लगा ली थी, वह भी बोनफिक्स के नशे का आदि था और दोनों दोस्त थे. आसपास के लोगों का मानना है कि शायद आज गोपाल ने अपने दोस्त के वियोग (disconnection) में फांसी लगाई होगी, हालांकि कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है कि आखिर क्या कारण है कि इतना कम उम्र में बच्चे ने फांसी लगाई है?


काम नहीं आ रहा पुलिस का मुहिम
पिछले कुछ सालों में घुमंतू बच्चो में बोनफिक्स(Bonfix) के नशे का चलन हो गया है. हर घुमंतू बच्चे को कपड़े से मुंह के माध्यम से सांस खींच कर नशा करते देखा जा रहा है. ज्यादातर स्टेशन के प्लेटफार्म (Platform) पर रहने वाले बच्चे इस नशे के आदि हो गए हैं. पिछले दिनों पुलिस मुहिम चलाकर ऐसे बच्चों को ले कर नशा मुक्ति केंद्र (Drug de-addiction center) भेज रही थी लेकिन बाद में उनके पालक उन्हें ले जाते थे या वो खुद भाग जाते थे. ये बच्चे दिन भर घूम कर कचरा, पन्नी, चुनकर बेचकर अपने नशा के शौक को पूरा कर रहे हैं. इनके माता पिता भी मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं और बच्चों पर ध्यान नहीं देत. यही कारण है कि ऐसे बच्चे इस तरह के नशे कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं.

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कमाई की लालच में बेचते हैं नशे का सामान
बोनफिक्स का नशा करने वाले बच्चे दिन भर घूम कर कुली कबाड़ी का काम करते हैं और शाम को पैसे मिलने के बाद नशे का सामान खरीद लेते हैं. पिछले कुछ सालों में पुलिस ने बोनफिक्स की बिक्री को लेकर किराना व्यापारियों को समझाइश दी थी. वह इसे बच्चों को ना बेचें. इसके बाद बहुत सारे व्यापारियों ने बोनफिक्स रखना बंद कर दिया था. लेकिन पिछले एक दो सालों मे इस में अधिक कमाई के लालच में कुछ किराना व्यवसाई अधिक कीमत लगाकर बच्चों को बोनफिक्स बेच रहे हैं. जिसकी वजह से बच्चे बोनफिक्स खरीद कर इसका नशा करते हैं.

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