बिलासपुर : बिलासपुर छत्तीसगढ़ के बस्तर के उमरकोट-जगदलपुर मार्ग पर ओडिशा सीमा से 25 अप्रैल 2022 को तस्करी किए जा रहे पैंगोलिन को जब्त कर रायपुर जंगल सफारी में रखा गया था. जिसे छोड़ने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका की आज सुनवाई के दौरान वन विभाग ने कोर्ट को बताया कि पेंगोलिन को छोड़ दिया गया है. इस पर कोर्ट ने याचिका निराकृत की (Pangolin got his house after High Court's instructions) है.
कब का है मामला : वन विभाग ने जगदलपुर में एक स्वस्थ पेंगोलिन को तस्करी होते हुए 25 अप्रैल को जब्त किया था. जब पैंगोलिन को जब्त किया गया था, तब वह पूर्णत: स्वस्थ पाया गया. उसे तत्काल छोड़ा जाना चाहिए था. परंतु वन परिक्षेत्र अधिकारी करपावंद ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर को पत्र लिखकर बताया कि पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्य प्राणी है. इसे जंगल सफारी रायपुर में रखा जाना चाहिए. इस पर मजिस्ट्रेट ने उसे वनमंडल अधिकारी जगदलपुर के माध्यम से विधि अनुसार जंगल सफारी रायपुर में रखे जाने के लिए आदेशित किया.
बिना अनुमति के जंगल सफारी में छोड़ा : वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बिना वनमंडल अधिकारी जगदलपुर की अनुशंसा के पैंगोलिन को जंगल सफारी लाकर छोड़ दिया. जंगल सफारी प्रबंधन ने पेंगोलिन को बिना प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश के रख (kept without permission in raipur jungle safari) लिया. इस पर रायपुर के नितिन सिंघवी ने पैंगोलिन को छोड़ने की मांग प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से की. उन्होंने कहा कि पैंगोलिन जू में मर जाता है . उसे बिना प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश के बंधक नहीं बनाया जा सकता. क्योंकि पेंगोलिन अनुसूची एक का वन्यप्राणी है, परंतु वन विभाग ने उसे नहीं छोड़ा.
कब लगाई याचिका : पेंगोलिन को जब नहीं छोड़ा जा रहा था तो सिंघवी ने 24 मई को हाइकोर्ट में पैंगोलिन को छोड़ने के लिए जनहित याचिका दायर की. 26 मई को याचिका की सुनवाई समय अभाव में न हो सकी. याचिका की सुनवाई के दौरान सोमवार को वन विभाग ने कोर्ट को बताया कि पैंगोलिन को 28 मई को छोड़ दिया गया है.
बिना कोर्ट के आदेश के ही छोड़ा : सिंघवी ने बताया कि ''जंगल सफारी प्रबंधन बोलता रहा कि पेंगोलिन को जगदलपुर कोर्ट के आदेशानुसार रखा गया है, बिना कोर्ट के आदेश के हम उसे उसे नहीं छोड़ सकते, परन्तु अब उसे छोड़ दिया गया है. अब जंगल सफारी प्रबंधन और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) बताए कि बिना कोर्ट के आदेश के उसे अब क्यों छोड़ दिया गया, पहले क्यों नहीं (Forest Department left even before the order of the High Court) छोड़ा.''