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रायपुर रेल मंडल का पुराने पेड़ों को बचाने का अनोखा अभियान, काटने के बजाए हो रही शिफ्टिंग

अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत स्टेशन विकसित हो रहे हैं.जिसके तहत रेलवे पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें शिफ्ट कर रहा है.

Trees shifted in railway area
पुराने पेड़ों को बचाने का अनोखा अभियान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 27, 2024, 6:45 PM IST

रायपुर : अमृत भारत स्टेशन के तहत रायपुर रेल मंडल के कई रेलवे स्टेशनों को विकसित किया जा रहा है. विकसित करने के लिए कुछ जगहों पर पेड़ों की कटाई भी की जा रही है. लेकिन रायपुर रेल मंडल के द्वारा प्राचीन और उपयोगी पेड़ों को काटने के बजाय दूसरी जगह पर पुनर्स्थापित करने का काम किया जा रहा है. ताकि पुराने और उपयोगी वृक्षों को जीवित रखा जा सके. आपको बता दें कि वर्षों पुराने वृक्षों को काटना बहुत आसान है, लेकिन उन वृक्षों को फिर से लगाना काफी मुश्किल काम है. रायपुर रेल मंडल के रेलवे स्टेशन को विकसित करने की प्रक्रिया में अब तक बहुपयोगी 22 वृक्षों को पुनर्स्थापित किया गया है. इस काम में एक एनजीओ की भी मदद ली जा रही है.

वृक्षों को बचाना बहुत जरुरी : अमृत भारत स्टेशन के तहत रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण करने की दिशा में काम किया जा रहा है.इसके साथ ही वृक्षों को बचाना भी बहुत जरूरी है. स्टेशन को विकसित करने की दिशा में कुछ स्ट्रक्चर के साथ ही कुछ बिल्डिंग भी बनाए जा रहे हैं. उन जगहों पर प्राचीन और बहुउपयोगी वृक्ष भी हैं. उसे काटने के बजाय उसे पुनर्स्थापित किया जा रहा है. यानी उसे एक स्थान से हटाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है.

Trees shifted in railway area
पेड़ को किया जा रहा पुनर्स्थापित (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

पेड़ काटना आसान लेकिन उसे लगाना बेहद मुश्किल : रायपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अवधेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि कोई भी पुरानी और बहुपयोगी वृक्ष को काटना बहुत आसान है. लेकिन उसे वृक्ष को लगाना मुश्किल और कठिन काम है. क्योंकि यदि 70 साल पुराने पेड़ को काटेंगे तो जितने समय उसने समाज को शुद्ध वातावरण दिया है,वो एक पल में खत्म हो जाएगा. ऐसे में विकल्प के रूप में वृक्षारोपण भी किया जाता है. लेकिन वृक्षारोपण भविष्य में सफल होगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती.

Trees shifted in railway area
एक जगह से दूसरे जगह हो रही शिफ्टिंग (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

वृक्षारोपण के तहत जो नए पौधे लगाए जाएंगे उसमें सालों लग जाएंगे. लेकिन पेड़ काटने पर जो वातावरण में ताजगी मिलती है वो तुरंत बंद हो जाएगी.अमृत भारत स्टेशन के तहत रायपुर स्टेशन का मेजर डेवलपमेंट का काम किया जा रहा है. रायपुर रेलवे स्टेशन का पूरी तरह से कायाकल्प होने वाला है. रेलवे स्टेशन को विकसित करने पर यात्रियों को काफी कुछ सुविधाएं और लाभ मिलेंगे. ऐसे में रायपुर रेल मंडल के पास सबसे बड़ा चैलेंज है प्राचीन और बहु उपयोगी वृक्षों को कैसे बचाया जाए- अवधेश कुमार त्रिवेदी, सीनियर डीसीएम,रायपुर रेल मंडल

Trees shifted in railway area
कई पेड़ हुए पुनर्स्थापित (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
रायपुर रेल मंडल का पुराने पेड़ों को बचाने का अनोखा अभियान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

पुराने वृक्षों को किया जा रहा विस्थापित : रायपुर रेल मंडल में कई प्राचीन वृक्ष हैं. जिनकी उम्र 70 से 80 साल हैं. कई वृक्ष बहुत उपयोगी भी है. ऐसे में विभाग के पास केवल दो ही ऑप्शन है या तो उन्हें काट दिया जाए या उन्हें दूसरी जगह पर विस्थापित कर दिया जाए. रायपुर रेल मंडल ने अब तक बहुउपयोगी और प्राचीन 22 पेड़ों को विस्थापित किया है. इनमें आम, पीपल और नीम जैसे वृक्ष शामिल है.सीनियर डीसीएम के मुताबिक वृक्षों को विस्थापित करना टेक्निकल और कठिन काम है. ऐसे में एक एनजीओ की मदद से यह काम किया जा रहा है. पहले उन वृक्षों की पहचान की जाती है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर विस्थापित किया जाना है. वृक्षों को विस्थापित करने के लिए ट्रांसपोर्ट और रूट प्लानिंग के साथ ही रेकी की जाती है. जिसके बाद ही वृक्षों को विस्थापित करने का काम पूरा किया जाता है.

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रायपुर : अमृत भारत स्टेशन के तहत रायपुर रेल मंडल के कई रेलवे स्टेशनों को विकसित किया जा रहा है. विकसित करने के लिए कुछ जगहों पर पेड़ों की कटाई भी की जा रही है. लेकिन रायपुर रेल मंडल के द्वारा प्राचीन और उपयोगी पेड़ों को काटने के बजाय दूसरी जगह पर पुनर्स्थापित करने का काम किया जा रहा है. ताकि पुराने और उपयोगी वृक्षों को जीवित रखा जा सके. आपको बता दें कि वर्षों पुराने वृक्षों को काटना बहुत आसान है, लेकिन उन वृक्षों को फिर से लगाना काफी मुश्किल काम है. रायपुर रेल मंडल के रेलवे स्टेशन को विकसित करने की प्रक्रिया में अब तक बहुपयोगी 22 वृक्षों को पुनर्स्थापित किया गया है. इस काम में एक एनजीओ की भी मदद ली जा रही है.

वृक्षों को बचाना बहुत जरुरी : अमृत भारत स्टेशन के तहत रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण करने की दिशा में काम किया जा रहा है.इसके साथ ही वृक्षों को बचाना भी बहुत जरूरी है. स्टेशन को विकसित करने की दिशा में कुछ स्ट्रक्चर के साथ ही कुछ बिल्डिंग भी बनाए जा रहे हैं. उन जगहों पर प्राचीन और बहुउपयोगी वृक्ष भी हैं. उसे काटने के बजाय उसे पुनर्स्थापित किया जा रहा है. यानी उसे एक स्थान से हटाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है.

Trees shifted in railway area
पेड़ को किया जा रहा पुनर्स्थापित (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

पेड़ काटना आसान लेकिन उसे लगाना बेहद मुश्किल : रायपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अवधेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि कोई भी पुरानी और बहुपयोगी वृक्ष को काटना बहुत आसान है. लेकिन उसे वृक्ष को लगाना मुश्किल और कठिन काम है. क्योंकि यदि 70 साल पुराने पेड़ को काटेंगे तो जितने समय उसने समाज को शुद्ध वातावरण दिया है,वो एक पल में खत्म हो जाएगा. ऐसे में विकल्प के रूप में वृक्षारोपण भी किया जाता है. लेकिन वृक्षारोपण भविष्य में सफल होगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती.

Trees shifted in railway area
एक जगह से दूसरे जगह हो रही शिफ्टिंग (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

वृक्षारोपण के तहत जो नए पौधे लगाए जाएंगे उसमें सालों लग जाएंगे. लेकिन पेड़ काटने पर जो वातावरण में ताजगी मिलती है वो तुरंत बंद हो जाएगी.अमृत भारत स्टेशन के तहत रायपुर स्टेशन का मेजर डेवलपमेंट का काम किया जा रहा है. रायपुर रेलवे स्टेशन का पूरी तरह से कायाकल्प होने वाला है. रेलवे स्टेशन को विकसित करने पर यात्रियों को काफी कुछ सुविधाएं और लाभ मिलेंगे. ऐसे में रायपुर रेल मंडल के पास सबसे बड़ा चैलेंज है प्राचीन और बहु उपयोगी वृक्षों को कैसे बचाया जाए- अवधेश कुमार त्रिवेदी, सीनियर डीसीएम,रायपुर रेल मंडल

Trees shifted in railway area
कई पेड़ हुए पुनर्स्थापित (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
रायपुर रेल मंडल का पुराने पेड़ों को बचाने का अनोखा अभियान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

पुराने वृक्षों को किया जा रहा विस्थापित : रायपुर रेल मंडल में कई प्राचीन वृक्ष हैं. जिनकी उम्र 70 से 80 साल हैं. कई वृक्ष बहुत उपयोगी भी है. ऐसे में विभाग के पास केवल दो ही ऑप्शन है या तो उन्हें काट दिया जाए या उन्हें दूसरी जगह पर विस्थापित कर दिया जाए. रायपुर रेल मंडल ने अब तक बहुउपयोगी और प्राचीन 22 पेड़ों को विस्थापित किया है. इनमें आम, पीपल और नीम जैसे वृक्ष शामिल है.सीनियर डीसीएम के मुताबिक वृक्षों को विस्थापित करना टेक्निकल और कठिन काम है. ऐसे में एक एनजीओ की मदद से यह काम किया जा रहा है. पहले उन वृक्षों की पहचान की जाती है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर विस्थापित किया जाना है. वृक्षों को विस्थापित करने के लिए ट्रांसपोर्ट और रूट प्लानिंग के साथ ही रेकी की जाती है. जिसके बाद ही वृक्षों को विस्थापित करने का काम पूरा किया जाता है.

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