बिलासपुरः मुंगेली में पदस्थ प्रधान आरक्षक (posted head constable) को बिलासपुर रेंज (Bilaspur Range) में आयोजित सहायक उप-निरीक्षक पदोन्नति परीक्षा (Assistant Sub-Inspector Promotion Exam) में भाग लेने पर अयोग्य (ineligible) माना गया था. इस मामले में याचिका पर प्रधान आरक्षक को हाईकोर्ट ने राहत (High court relief to the head constable) देते हुए एक वेतनवृद्धि (pay raise) रोकने की सजा को बड़ी सजा नहीं माना है.
बिलासपुर प्रधान आरक्षक ज्वाला प्रसाद हिंडोले अब सहायक उप-निरीक्षक की पदोन्नति परीक्षा में बैठ सकेगा. हाईकोर्ट ने उसे यह अंतरिम राहत प्रदान (grant interim relief) की है. पुलिस विभाग ने उसे पिछले पांच साल में एक बड़ी सजा होने का हवाला देकर परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित (disqualified) कर दिया था.
प्रकरण में याचिकाकर्ता (petitioner) की ओर से अधिवक्ता अनादि शर्मा ने पैरवी की. कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस विभाग को नोटिस (Notice to State Government and Police Department) जारी कर इस मामले में जवाब-तलब (answer-call) भी किया है. 21 मई 2017 को जिला मुंगेली के लालपुर थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक ज्वाला प्रसाद हिंडोरे पर अपने अफसरों से अभद्र व्यवहार (Indecent behavior) किये जाने का आरोपों के चलते पुलिस अधीक्षक (SP) मुंगेली ने याचिकाकर्ता की सेवा पुस्तिका में निंदा की सजा अंकित करने की कार्रवाई की थी.
बाद में सजा को बढ़ाते हुए पुलिस अधीक्षक मुंगेली ने ‘आगामी एक वेतनवृद्धि एक वर्ष के लिए मात्र, असंचयी प्रभाव से रोकने की सजा’ दी. पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज ने बाद में मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए याचिकाकर्ता (petitioner) पर लागू सजा में ‘दीर्घ शास्ति' शब्द जोड़ दिया था.
अफसर करते रहे अपील को निरस्त
इस संबंध में याचिकाकर्ता ने पुलिस महानिदेशक छ.ग. के समक्ष अपील प्रस्तुत की. लेकिन याचिकाकर्ता की अपील को निरस्त करते हुए पुलिस महानिदेशक छ.ग. ने माना कि पुलिस महानिरीक्षक के द्वारा याचिकाकर्ता को दंडस्वरूप दी गई. सजा ‘दीर्घ शास्ति’ वेतन में एक वेतनवृद्धि के बराबर कमी एक वर्ष के लिए मात्र, असंचयी प्रभाव से' के फैसले को सही ठहराया था. इस दौरान कार्यालय पुलिस अधीक्षक मुंगेली द्वारा प्रधान आरक्षक से सहायक उप-निरीक्षक पदोन्नति परीक्षा के लिए संयुक्त वरीयता क्रम सूची का प्रकाशन किया गया.
जिसमें ज्वाला प्रसाद हिंडोरे को बड़ी सजा होने का हवाला देकर अयोग्य घोषित (disqualified) बताया गया. इसके विरुद्ध श्री हिंडोरे ने हाईकोर्ट (High Court) अधिवक्ता अनादि शर्मा और नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से याचिका दायर की. प्रकरण की सुनवाई (hearing) 20 सितंबर 2021 को न्यायमूर्ति (Justice) पी. सेम कोशी की अदालत (Court) में हुई. याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा यह तर्क दिया गया कि वेतन में एक वेतनवृद्धि के बराबर कमी एक वर्ष के लिए मात्र, असंचयी प्रभाव से रोकने की सजा लघु शास्ति (छोटी सजा) की श्रेणी में आता है.
तदोपरांत श्री शर्मा ने यह भी बताया की छोटी सजा में ‘दीर्घ शास्ति’ शब्द के जुड़ने मात्र से वह बड़ी सजा का प्रकार नहीं ले सकती और उपरोक्त बताई सजा को छोटी सजा के प्रारूप में रहने के कारण उसे बड़ी सजा के बराबर नहीं माना जा सकता. उपरोक्त तर्कों के आधार पर उच्च न्यायालय ने मामले में अपनी राय देते हुए राज्य शासन और पुलिस विभाग को नोटिस (Notice to State Government and Police Department) जारी कर उनका जवाब मांगा है.
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बिलासपुर रेंज में चयन के लिए अफसरों को आदेश
इसके साथ ही याचिकाकर्ता के भविष्य तथा मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सहायक उप-निरीक्षक पदोन्नति परीक्षा में भाग लेने की अनुमति प्रदान करने की अंतरिम राहत दी है. अधिवक्ता अनादी शर्मा द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पी. सेम कोशी की अदालत ने न्यायहित (court justice) में संबंधित विभाग को यह भी आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के सहायक उप-निरीक्षक के पद पर उम्मीदवारी को बिलासपुर रेंज में ही चयन के लिए सोच-विचार करें.
अब शारीरिक दक्षता परीक्षा में बैठने की अनुमति
जिससे याचिकाकर्ता को मुंगेली जिले के लिए आयोजित परीक्षा के छूट जाने की स्थिति में बिलासपुर रेंज के लिए आयोजित हो रही परीक्षा में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सके. उपरोक्त आदेश के तारतम्य में पुलिस विभाग द्वारा हाईकोर्ट के आदेश (High Court orders) के अनुपालन में याचिकाकर्ता श्री हिंडोरे को बिलासपुर रेंज में आयोजित शारीरिक दक्षता परीक्षा (physical efficiency test) में बैठने की अनुमति प्रदान की गई है. उच्च न्यायालय सभी तर्कों और सबूतों के आधार पर मामले में अंतिम आदेश पारित करते समय याचिकाकर्ता की पदोन्नति के सम्बन्ध में भी अपना अंतिम फैसला सुनाएगी.