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ये कैसा अस्पताल, रेफर करने के लिए ही मरीज करते हैं भर्ती

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Published : Jun 13, 2022, 7:30 PM IST

बिलासपुर जिले का संभागीय कोविड अस्पताल एक बार फिर से पुराने रुप में संचालित हो रहा है. लेकिन यहां की असुविधाएं अब नई हो गईं (plight of bilaspur district hospital)हैं.

mismanagement of bilaspur district hospital
बिलासपुर जिला अस्पताल की दुर्दशा

बिलासपुर : कोरोना महामारी की पहले लहर की शुरुआत में ही बिलासपुर के जिला अस्पताल को संभागीय कोविड अस्पताल बना दिया गया (plight of bilaspur district hospital) था. यहां जिला अस्पताल में आने वाले सामान्य मरीजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जिला प्रशासन ने जिला अस्पताल को 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल में शिफ्ट कर दिया था. तब से लेकर अब तक जिला अस्पताल 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल से संचालित किया जा रहा था. इस वर्ष कोरोना महामारी की धीमी गति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने संभागी कोविड अस्पताल को अस्थाई रूप से बंद करते हुए यहां वापस जिला अस्पताल शुरू करने के निर्देश दिए थे. निर्देश के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन ने वापस पुरानी बिल्डिंग से अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया (mismanagement of bilaspur district hospital) है.

बिलासपुर जिला अस्पताल की दुर्दशा

आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच ईलाज : कोरोना की पहली लहर में जिला अस्पताल को संभागीय कोविड अस्पताल बना दिया गया था. अब तीन साल बाद इसे दोबारा जिला अस्पताल बनाया गया है. अस्पताल आधी अधूरी व्यवस्था, जैसे ऑपरेशन थियेटर, एक्सरे जांच, रक्त जांच पैथोलेब, डायलिसिस, इसके अलावा दूसरे जांच मशीन और अन्य जरूरी उपकरणों को दोबारा इंस्टॉल नही किया गया है. जिससे उपचार में कठिनाई हो रही है. मरीजों को दोनों अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं. डॉक्टर को दिखाने जिला अस्पताल जांच करने मात्र शिशु अस्पताल आना जाना पड़ता है. मरीजों को सौ मीटर की दूरी में कई बार चक्कर लगाने पड़ते (plight of bilaspur district hospital) हैं.

जिला अस्पताल बना रैफरल अस्पताल : जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी नहीं होने के बाद भी इसे शुरू कर दिया गया है. अब एक्सीडेंटल या गंभीर बीमारी के मरीज जब इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंचते हैं तो व्यवस्था नहीं होने की दुहाई देते हुए ड्यूटी में तैनात डॉक्टर मरीजों को निजी अस्पताल या फिर सिम्स मेडिकल कॉलेज रेफर कर देते (No facilities in Bilaspur District Hospital) हैं. पिछले कुछ महीनों से जिला अस्पताल में लगातार इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं. जिसका इलाज जिला अस्पताल में किया जा सकता है. लेकिन मेहनत नहीं करनी की वजह से डॉक्टर उन्हें सिम्स मेडिकल कॉलेज रेफर कर देते हैं. अब धीरे-धीरे लोग जिला अस्पताल को रेफरल हॉस्पिटल भी कहने लगे. जिला अस्पताल प्रबंधन सिम्स मेडिकल कॉलेज में रिफर की वजह से मरीजों की भीड़ बढ़ रही है. जिससे दिन पर दिन कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें -बिलासपुर जिला अस्पताल के गेट पर महिला की मौत

अस्पताल का दावा क्या : जिला अस्पताल के सिविल सर्जन से बात करने पर उन्होंने बताया कि ''अस्पताल में किसी प्रकार की समस्या नहीं है. मरीजों की सभी जांच हो रही है. इसके अलावा सभी जांच मशीनें भी जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दी गई (Bilaspur District Hospital claims all is well) है. जब ईटीवी भारत की टीम ने सिविल सर्जन के दिए बयान की जांच की तो उनके बयान पूरी तरह से झूठे साबित हो गए. जिला अस्पताल में अभी भी एक्सरे नहीं हो रहे हैं. डायलिसिस मशीन भी स्थापित नहीं किए गए हैं. इसके अलावा ब्लड के सैंपल लिए जा रहे हैं. लेकिन पैथोलैब अब भी मातृ शिशु अस्पताल में ही संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा ऑपरेशन थिएटर अब भी मातृ शिशु हॉस्पिटल में ही है. जिला अस्पताल की आधी अधूरी व्यवस्था को छिपाने के लिए प्रबंधन मीडिया में झूठ परोस रहा है.

बिलासपुर : कोरोना महामारी की पहले लहर की शुरुआत में ही बिलासपुर के जिला अस्पताल को संभागीय कोविड अस्पताल बना दिया गया (plight of bilaspur district hospital) था. यहां जिला अस्पताल में आने वाले सामान्य मरीजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जिला प्रशासन ने जिला अस्पताल को 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल में शिफ्ट कर दिया था. तब से लेकर अब तक जिला अस्पताल 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल से संचालित किया जा रहा था. इस वर्ष कोरोना महामारी की धीमी गति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने संभागी कोविड अस्पताल को अस्थाई रूप से बंद करते हुए यहां वापस जिला अस्पताल शुरू करने के निर्देश दिए थे. निर्देश के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन ने वापस पुरानी बिल्डिंग से अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया (mismanagement of bilaspur district hospital) है.

बिलासपुर जिला अस्पताल की दुर्दशा

आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच ईलाज : कोरोना की पहली लहर में जिला अस्पताल को संभागीय कोविड अस्पताल बना दिया गया था. अब तीन साल बाद इसे दोबारा जिला अस्पताल बनाया गया है. अस्पताल आधी अधूरी व्यवस्था, जैसे ऑपरेशन थियेटर, एक्सरे जांच, रक्त जांच पैथोलेब, डायलिसिस, इसके अलावा दूसरे जांच मशीन और अन्य जरूरी उपकरणों को दोबारा इंस्टॉल नही किया गया है. जिससे उपचार में कठिनाई हो रही है. मरीजों को दोनों अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं. डॉक्टर को दिखाने जिला अस्पताल जांच करने मात्र शिशु अस्पताल आना जाना पड़ता है. मरीजों को सौ मीटर की दूरी में कई बार चक्कर लगाने पड़ते (plight of bilaspur district hospital) हैं.

जिला अस्पताल बना रैफरल अस्पताल : जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी नहीं होने के बाद भी इसे शुरू कर दिया गया है. अब एक्सीडेंटल या गंभीर बीमारी के मरीज जब इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंचते हैं तो व्यवस्था नहीं होने की दुहाई देते हुए ड्यूटी में तैनात डॉक्टर मरीजों को निजी अस्पताल या फिर सिम्स मेडिकल कॉलेज रेफर कर देते (No facilities in Bilaspur District Hospital) हैं. पिछले कुछ महीनों से जिला अस्पताल में लगातार इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं. जिसका इलाज जिला अस्पताल में किया जा सकता है. लेकिन मेहनत नहीं करनी की वजह से डॉक्टर उन्हें सिम्स मेडिकल कॉलेज रेफर कर देते हैं. अब धीरे-धीरे लोग जिला अस्पताल को रेफरल हॉस्पिटल भी कहने लगे. जिला अस्पताल प्रबंधन सिम्स मेडिकल कॉलेज में रिफर की वजह से मरीजों की भीड़ बढ़ रही है. जिससे दिन पर दिन कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ रहा है.

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अस्पताल का दावा क्या : जिला अस्पताल के सिविल सर्जन से बात करने पर उन्होंने बताया कि ''अस्पताल में किसी प्रकार की समस्या नहीं है. मरीजों की सभी जांच हो रही है. इसके अलावा सभी जांच मशीनें भी जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दी गई (Bilaspur District Hospital claims all is well) है. जब ईटीवी भारत की टीम ने सिविल सर्जन के दिए बयान की जांच की तो उनके बयान पूरी तरह से झूठे साबित हो गए. जिला अस्पताल में अभी भी एक्सरे नहीं हो रहे हैं. डायलिसिस मशीन भी स्थापित नहीं किए गए हैं. इसके अलावा ब्लड के सैंपल लिए जा रहे हैं. लेकिन पैथोलैब अब भी मातृ शिशु अस्पताल में ही संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा ऑपरेशन थिएटर अब भी मातृ शिशु हॉस्पिटल में ही है. जिला अस्पताल की आधी अधूरी व्यवस्था को छिपाने के लिए प्रबंधन मीडिया में झूठ परोस रहा है.

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