बिलासपुरः जिले में एंबुलेंस सुविधा पूरी तरह से चरमरा गई है और कबाड़ की स्थिति में सरकारी अस्पताल और मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी कार्यालय (Chief District Medical Officer Office) के पीछे पड़ी है. दुर्घटना पर सड़कों पर पड़े और घरों से गंभीर मरीजों को अस्पताल तक पहुचाने एम्बुलेंस सुविधा शुरू की गई है लेकिन अब यह सुविधा बंद होने की कगार पर पहुंच गई है.
जिला स्वास्थ्य विभाग बिलासपुर (health department bilaspur) काफी सुर्खियों में है. लगातार लापरवाही और लोगों की जान जाने के मामले सामने आने लगे हैं. किसी हॉस्पिटल में इलाज में लापरवाही (negligence in treatment) तो कहीं उगाही की शिकायत मिलती रहती है. अब सुविधा देने के मामले में भी स्वास्थ्य विभाग (health Department) लापरवाही बरतने लगा है. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ना तो ध्यान देता है और ना ही स्वास्थ्य मंत्रालय को इन चीजों की परवाह है.
जिले में एंबुलेंस सुविधा (Ambulance facility in the district) की अगर बात करें तो यह सुविधा पूरी तरह से चरमरा गई है और ठप होने की कगार पर पहुंच गई है. अब ज्यादातर प्राइवेट एंबुलेंस का बोलबाला है और भारी-भरकम किराया लेकर मरीजों को घर से हॉस्पिटल तथा हॉस्पिटल से घर तक पहुंचाया जा रहा है.
डॉ. रमन सिंह के हाथों की गई थी सेवा की शुरूआत
साल 2011 में राज्य में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संजीवनी एक्सप्रेस डायल 102 का शुभारंभ किया. इस एम्बुलेंस सुविधा का उद्देश्य था कि सड़कों पर हुए दुर्घटनाओं में घायल गंभीर राहगीरों और घरों में गंभीर मरीजों को तत्काल ईलाज मुहैय्या कराया जाय. उन्हें अस्पताल तक जल्दी पहुंचाने के लिए सुविधा शुरू किया गया था लेकिन कुछ सालों में ही यह सुविधा दम तोड़ती दिखने लगी है. जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के पीछे जर्जर हो चुकी एम्बुलेंस की हालत देखकर ही पता चलता है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के दावे कितने खोखले साबित हो रहे हैं.
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पैसे देकर मरीजों को पहुंचना पड़ रहा अस्पताल
सड़क हादसों में घायल लोग और घरों से अस्पताल या अस्पताल से घर ले जाने के लिए मरीजों को किराया का एम्बुलेंस या दूसरे साधन से पहुंचना पड़ रहा है. सिम्स अस्पताल के इस तस्वीर को अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको मालूम होगा कि मरीज एम्बुलेंस नहीं मिलने पर कैसे पैसे खर्च कर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इस मामले में मरीज और उनके परिजन कहते हैं कि उनको सुविधा के नाम पर ठगा जा रहा है. एक मरीज के परिजन ने बताया कि उसके भाई की सड़क दुर्घटना हुई थी. जिसमे गंभीर चोटें आई थीं. एम्बुलेंस को फोन भी किया लेकिन एम्बुलेंस समय पर नही पहुंचने पर किराए का एम्बुलेंस लेकर आना पड़ा था. इसी तरह के कई मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
जिले में एंबुलेंस व्यवस्था के साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था भी गंभीर विषय बन गया है. क्योंकि जिस तरह लापरवाही देखी जा रही है, इससे साफ है कि स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय को भी अब आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है.