गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, लगातार बारिश के बाद धान की फसलों को अब बीमारियों ने घेर लिया है. कीटों के प्रभाव से अब धान की फसलों को तनाछेदक,झुलसा,गंगाई और सूखा रोग होने लगे हैं. आंकड़ों की अगर बात करें तो 50 फीसदी से अधिक फसल रोगों से बुरी तरह प्रभावित है. फसलों की इस बीमारी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों के दवा डालने के बाद भी फसलों पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है.
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महीने तक हुई लगातार बारिश के बाद जब किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन धान की फसल पर लगी कीट पतंगों और बीमारी ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया. गौरेला पेंड्रा मरवाही इलाके के किसानों की ज्यादातर धान की फसल बीमारी के प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित हुई है. धान की फसल पर इस समय मुख्य रूप से तना छेदक, झुलसा, गंगाई, और सूखा रोग लगा हुआ है. किसान इसे ठीक करने के लिए लगातार कीटनाशकों और दवाइयों का उपयोग कर रहे हैं पर उन्हें अब तक इसका कोई फायदा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
कीटनाशक के बाद भी नहीं दिख रहा असर
किसान अब यह मानकर चल रहे हैं कि उनका उत्पादन 25 से 50 फीसदी तक कम होगा. रोग लगने के बाद किसान प्राइवेट दुकानों में जाकर उनसे दवा की मांग कर रहे हैं और उसका छिड़काव खेतों में लगातार किया जा रहा है. अब तक कोई भी कृषि विस्तार अधिकारी या कृषि अधिकारी किसानों के खेतों में पहुंचकर उन्हें दवाइयों की जानकारी नहीं दी है. हजारों रुपए के कीटनाशक डालने के बावजूद खेतों में अब तक उसका कोई असर देखने को नहीं मिला है.
कृषि विभाग को नहीं है जानकारी
कृषि विभाग को इसकी जानकारी नहीं है. कृषि विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जिले के तीनों विकासखंडों में 40 फीसदी से अधिक धान की फसल पर तना छेदक ने प्रभाव डाला हुआ है 20 से 25 फीसदी फसल पर गंगई और 20 से 25 फीसदी पर ही सूखा रोग ने प्रभाव डाला हुआ है. वही विभाग का साफ कहना हैं कि उनके पास सरकारी सप्लाई की दवाइयां नहीं हैं. हम सिर्फ दवाइयां बता रहे हैं उसे खरीद कर डालने का काम किसानों का ही है.
फसल पर निर्भर किसान
सबसे कम सिंचित क्षेत्र होने की वजह से पेंड्रा गौरेला मरवाही इलाके के किसान धान की फसल पर ही मुख्य रूप से आश्रित हैं. ऐसे में खेतों में लगी कीट किसानों की कमर तोड़ने वाला है. सरकार को चाहिए कि कृषि विभाग से मिले इन आंकड़ों के आधार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए किसानों को उचित कीटनाशक और सलाह उपलब्ध कराएं ताकि किसान नुकसान से बच सके.