बिलासपुरः इस बार दीवाली में मिट्टी के दीये के साथ ही गोबर के दीये (cow dung lamp) बाजारों में उपलब्ध होंगे. इको फ्रेंडली दीये से घर रौशन होंगे. बिलासपुर की स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोबर की दीये तैयार कर रही हैं. इससे वह अपने लिए अतिरिक्त कमाई भी कर रही हैं. स्मार्ट सिटी (smart City) के तहत जहां महिलाओं को सहायता दिया जा रहा है वहीं, समूह वर्मी खाद (vermi compost) तैयार कर खेतों की उर्वरक शक्ति (Fertilizer power of fields) भी बढ़ा रहा है.
दीपावली पर्व पर दीपक जलाने की सदियों से परंपरा (tradition) है. यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है. परंपरा के अनुसार घर के सामने दीपक जलाया जाता है. इसके साथ ही लक्ष्मी पूजा में दीपक का बहुत महत्व होता है. हिंदू परिवार (Hindu family) लक्ष्मी पूजा में दीपक जला कर घर को रोशन करता है. मान्यता है कि घर की साफ-सफाई (cleanliness) के साथ दीपक जलाने और पूजा करने से मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती है. जिससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है. इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हर हिंदू परिवार घरों में दीया जलाता है. दीये की मांग इस समय बाजार में अत्यधिक होती है. यही कारण है कि अब मिट्टी के दीए के साथ की इको-फ्रेंडली दीये भी तैयार किए जा रहे हैं. दीया बनाने अब गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है. गोबर से दीया बनाकर बाजार में बेचने के लिए स्व-सहायता समूह काम कर रहा है. तिफरा मननाडोल की महिला स्व-सहायता समूह (self help group) के सदस्य गोबर और मिट्टी मिला कर दीया तैयार कर रही हैं. स्व-सहायता महिला समिति की महिलाएं गोबर से दीया तैयार कर बाजार में बेचने की तैयारी कर रही हैं.
स्मार्ट सिटी NALM के माध्यम से हो रहा है काम
बिलासपुर स्मार्ट सिटी के एनएएलएम विभाग के माध्यम से काम किया जा रहा है. विभाग इस में स्व-सहायता समूह को केंचुआ मुहैया कराता है. इसके अलावा वर्मी खाद तैयार करने की दिशा में प्रोत्साहन दिया जाता है. विभाग इस पूरे काम की मॉनिटरिंग करता है क्योंकि वर्मी खाद को किसानों को बेचा जाता है. भूपेश सरकार (Bhupesh Sarkar) की महती योजना गोबर खरीदी के साथ ही गोबर के उपयोग के लिए नगर निगम काम करता है. इन योजनाओं के तहत आज महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है, उसके अलावा उन्हें रोजगार के माध्यम से अतिरिक्त कार्य भी दिया जा रहा है. उस अतिरिक्त कार्य में उन्हें लाभ भी मिल रहा है. स्व-सहायता समूह (self help group) की महिलाओं को वर्मी खाद तैयार करने की ट्रेनिंग दी गई है और वह वर्मी खाद तैयार करती.
इसके लिए उन्हें 6000 रुपए प्रति महिलाओं को मानदेय मिलता है. इस समूह में 14 महिलाएं काम कर रही हैं और उन्हें मानदेय तो मिलता ही है, गोबर से दीये बना कर बेचने पर उन्हें अतिरिक्त लाभ भी मिलता है. नगर निगम स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं को इस काम में अतिरिक्त पैसा कमाने का मौका तो मिल ही रहा है. इसके अलावा बाजार में इको फ्रेंडली दिया उपलब्ध होने से पर्यावरण में कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा है.
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पिछले साल भी बनाए गए थे दीये
महिला स्व-सहायता समूह (Women Self Help Groups) की अध्यक्ष ने बताया कि वह गोबर से किस तरह से दीये तैयार करते हैं और उसे बाजार में कैसे बेचते हैं? अध्यक्ष ने बताया कि पिछले वर्ष भी उन्होंने गोबर के दीये तैयार किए थे. वह करीब 5000 दिए तैयार किए थे. जिससे उन्हें 11000 रुपए का फायदा हुआ था और इस बार 11,000 दीये बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसको बेच कर जो मुनाफा होता है, वह महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों में बांटा जाता है. जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलता है और उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है. उन्होंने बताया कि बाजार में उनके बनाए वर्मी खाद की मांग भी बहुत है. वह वर्मी खाद (vermi compost) तैयार करते हैं और डिमांड जितना है, उससे कम ही माल तैयार हो पाता है.
गोठान में गोबर खरीदी केंद्र की स्थापना
गोठान में गोबर खरीदी केंद्र (cow dung shopping center) भी बनाया गया है. यहां आसपास के क्षेत्र से गोबर की खरीदी होती है. गोबर से वर्मी खाद बनाने के लिए बड़ी-बड़ी टंकी तैयार किया गया है. महिलाएं पहले गोबर खरीदती हैं. उसके बाद उसे सूखाती हैं. गोबर के सूखने के बाद उसमें केंचुआ मिलाती हैं. जिसे टंकी में लगभग 15 से 20 दिन तक सूखा कर रखा जाता है. जब केंचुआ मल करता है, तो उसे निकालकर पीसा जाता है. पीटने के बाद वर्मी खाद बन जाता है. वर्मी खाद 10 रुपए किलो से बेचा जाता है. एक बोरी में 10 किलो वर्मी खाद का 300 रुपए मिलता है, जिससे गोबर का डिस्पोज भी हो जाता है.
वर्मी खाद और गोबर दिया एक साथ हो रहा तैयार
स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोबर के दीए के साथ की वर्मी खाद भी तैयार करती हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गोबर खरीदी करने की योजना आज किसानों के साथ ही महिला स्व-सहायता समूह को लाभ पहुंचा रही है. गोठानों में दोनों एक साथ तैयार किया जा रहा है ताकि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सके.