बिलासपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा (chhattisgarh is rice bowl) कहा जाता है. धान के कटोरे से राज्य सरकार ही धान के कटोरे को खाली करने का काम कर रही है. राज्य में अब धान की फसल का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि बीते 2 वर्षों से उत्पादन घटता जा रहा है. बिलासपुर जिले में ही धान उत्पादन के क्षेत्रफल में लगातार कटौती की जा रही है. खरीफ सीजन वर्ष 2021 और 22 में धान उत्पादन के क्षेत्रफल का दायरा 6 हजार 85 हेक्टेयर घटा दिया गया है. इससे यही लग रहा है कि जिले के साथ राज्य में धान का बंपर उत्पादन शासन, प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है. इसीलिए खरीदी की मात्रा निर्धारित करने के साथ ही रकबे में भी कटौती करने का निर्णय शासन ने लिया है.
धान की खेती पर क्यों है संकट : छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है. प्रदेश को पूरे देश मे सबसे ज्यादा धान पैदा करने वाला राज्य माना जाता रहा है. राज्य सरकार अब धान के कटोरा को खाली करने में आमादा हो गई है. राज्य में धान उत्पादन का रकबा साल दर साल कम किया जा रहा (Crisis on paddy cultivation in Chhattisgarh) है.खरीफ सीजन वर्ष 2021 और 22 में धान उत्पादन के क्षेत्रफल का दायरा कम किया गया है. राज्य में 9 लाख हेक्टेयर धान का रकबा कम किया गया है. यदि बिलासपुर जिले की बात करें तो यहां 6 हजार 85 हेक्टेयर रकबा घटा दिया गया है.सरकार धान खरीदी की मात्रा निर्धारित करने के साथ ही रकबे में भी कटौती करने का निर्णय ले रही है. जाहिर है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले राज्य में धान की फसल का अस्तित्व खतरे में है.
धान उत्पादकों को क्यों होगी परेशानी : जिले में उत्पादन पर जोर देने के बजाय रकबा घटाया जा रहा है. बीते 2 वर्षों से शासन प्रशासन खरीफ सीजन में खेती के क्षेत्रफल का दायरा लगातार घटाया जा रहा है. एक तरह से धान की खेती के प्रति किसानों का लगाव कम करने का प्रयास किया जा रहा (Paddy growers upset in Chhattisgarh) है. आंकड़े बताते हैं कि बीते वर्ष से लगातार खरीफ सीजन में फसल के क्षेत्रफल में कटौती की जा रही है. वर्ष 2020 में 1 लाख 76 हजार 1 सौ हेक्टेयर का लक्ष्य मिला था, जबकि वर्ष 2021 में 1 लाख 74 हजार 550 और इस वर्ष यानी 2022 में 1 लाख 69 हजार 250 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है.2 वर्ष में कुल 6 हजार 85 हेक्टेयर रकबा घटा दिया गया है. कृषि की दृष्टि से चिंता का विषय है.
क्यों घटा रही है रकबा सरकार : छत्तीसगढ़ की मिट्टी की तासीर और वातावरण ऐसा है कि किसानों को धान की खेती करने में आसानी होती है. इसमें किसान बड़ी संख्या में परंपरागत धान की खेती करते हैं. धान के अलावा दलहन, तिलहन, ज्वार, मक्का, कोदो, कुटकी, अरहर, मूंग जैसे अन्य फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए वर्ष 2021 में 480 हेक्टेयर की जगह में 2260 हेक्टेयर पिछले साल की तुलना में 1 हजार 78 अधिक क्षेत्रफल में दलहन तिलहन लेने का निर्णय लिया गया है. सरकार इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. सरकार किसानों को धान की बजाय दूसरे फसल लेने के लिए बार-बार अपील करती है. यही कारण है कि सरकार साल दर साल खरीफ फसल में धान का रकबा कम कर रही है.
रकबा घटाने का दूसरा बड़ा कारण : छत्तीसगढ़ में धान की पैदावार बंपर (Paddy production bumper in Chhattisgarh) होती है. राज्य सरकार ने सरकार बनते ही प्रदेश के किसानों से वादा किया था कि उनके ऊपज का एक एक दाना वह खरीदेगी. सरकार इसलिए लक्ष्य से अधिक हो रही खरीदी और बंपर पैदावार से राज्य का खजाना खाली हो रहा है. जिसकी वजह से यह भी एक कारण हो सकता है कि अधिक पैदावार होने की वजह से सरकार को किसानों का धान ज्यादा खरीदना पड़ रहा है. सरकार इसे कम करने के लिए किसानों को परंपरागत फसल उत्पादन के बजाय दूसरे फसल लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. खरीफ फसल का रकबा कम करने के मामले में कृषि अधिकारियों ने दूसरे फसल से किसानों को लाभान्वित करने रकबा कम करने की बात कह रही है.