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कौन मिटा रहा है रामगिरि पर्वत का अस्तित्व ? - Coal mines are swallowing Ramgiri mountain

छत्तीसगढ़ में कई धरोहर हैं, जिन्हें सहेजना जरुरी है. लेकिन कुछ धरोहरों पर विकास के नाम पर संकट के बादल छा रहे हैं. सरगुजा में स्थित रामगिरि पर्वत इन दिनों बड़े संकट से गुजर रहा ( Surguja existence of Ramgiri mountain in danger) है.

Surguja existence of Ramgiri mountain in danger
कौन मिटा रहा है रामगिरि पर्वत का अस्तित्व
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Published : Jun 16, 2022, 12:57 PM IST

Updated : Jun 16, 2022, 1:46 PM IST

सरगुजा : जितना विशाल पर्वत, उतनी ही विशाल और अद्भुत गाथाओं का संग्रह है रामगिरि पर्वत. इसी पर्वत पर एशिया की सबसे प्राचीन नाट्यशाला है. कई शोध का दावा है कि यक्ष ने इसी पर्वत में बैठकर मेघ पर खत लिखे और अलकापुरी में बैठी प्रेमिका तक भेजे. इसी वर्णन पर महाकाव्य मेघदूतम की रचना हुई. मान्यता ये भी है कि वनवास में भगवान राम ने इस स्थान पर समय बिताया. लेकिन यहां के ग्रामीण अब इस अनमोल धरोहर को लेकर चिंतित हैं. ग्रामीणों को डर है कि कहीं धीरे-धीरे रामगिरि पर्वत अपना अस्तित्व ना खो ( Surguja existence of Ramgiri mountain in danger) दे.


कोल खदान की ब्लास्टिंग से डर : दरअसल उदयपुर के पास ही रामगढ़ है. यहीं स्थित है (Ramgiri mountain in Udaigarh of Surguja) रामगिरि पर्वत. इस पर्वत से कुछ ही दूरी पर ओपन कास्ट कोल खदानें संचालित हैं. ओपन कास्ट माइंस में बारूद से ब्लास्ट कर जमीन से कोयला निकाला जाता है. जब ब्लास्टिंग की जाती है तो आसपास कई किलोमीटर के क्षेत्र में जोरदार कंपन होता है. इस कंपन का प्रभाव रामगिरि पर्वत तक भी पहुंच चुका है.


पर्वत से कुछ ही दूर संचालित है खदान : रामगिरि पर्वत से खदान की दूरी लगभग 10 से 12 किलोमीटर सड़क मार्ग से (Coal mines are swallowing Ramgiri mountain) है. वायुमार्ग से यही दूरी महज 5 किलोमीटर के आसपास है. ग्रामीण बताते हैं कि जब ब्लास्टिंग होती है तो इस क्षेत्र में भी उसका असर दिखता है. रामगिरि पर्वत उनकी आस्था और प्रकृति से जुड़ा है. यह खतरे में नजर आ रहा है. अगर ऐसे ही खदानें खुलती रही तो वो दिन दूर नहीं कि यह पर्वत ढह जाएगा और सरगुजा अपनी विरासत को खो देगा.


भूकंप जैसे झटके : सरकार लगातार रामगढ़ और रामगिरि पर्वत के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम कर रही है. लेकिन शायद इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया. दिन में 4 से 5 बार खदान में ब्लास्टिंग की जाती (Damage to Ramgiri mountain due to blasting in Udaipur) है. ब्लास्टिंग के वक्त आसपास के भू-भाग में भूकंप आने जैसा अनुभव लोग करते हैं. हालांकि यह भूकंप जैसा झटका क्षणिक होता है. महज कुछ सेकेंड कंपन महसूस किया जाता है. धीरे-धीरे ही सही अगर इस तरह के झटके लगातार पर्वत में लगते रहे तो चट्टानों का टूटना भी मुमकिन है.

सरकार को देना चाहिये ध्यान : ग्रामीण बताते हैं कि ''जब खदान में ब्लास्टिंग होती है तो रामगिरि पर्वत में भी कंपन होता है.इस बात को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं. साहित्यकार भी चिंतित हैं. भले ही ब्लास्टिंग की थरथराहट कम ही सही लेकिन धीरे धीरे यह रामगिरि पर्वत के लिये बड़ा खतरा बन सकती है. लिहाजा पुरातत्व विभाग और सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिये.''

ये भी पढ़ें- अंबिकापुर के 'मुकुट' महामाया पहाड़ पर कब्जा, बचाने की मुहिम हुई शुरू

साहित्यकार भी व्यथित : साहित्यिकार भी इस घटना से व्यथित हैं. अम्बिकापुर के साहित्यिकार संतोष दास बताते हैं कि ''रामगिरी पर्वत का इतिहास पुराना है. यहां महाकवि कालिदास ने मेघदूतम जैसी रचना की है. साहित्य के साथ प्राकृतिक और मौसम की दृष्टि से भी रामगढ़ का महत्व है. अगर वहां ब्लास्टिंग की वजह से पर्वत पर संकट आ रहा है तो यह गंभीर विषय है. सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.''



सरगुजा : जितना विशाल पर्वत, उतनी ही विशाल और अद्भुत गाथाओं का संग्रह है रामगिरि पर्वत. इसी पर्वत पर एशिया की सबसे प्राचीन नाट्यशाला है. कई शोध का दावा है कि यक्ष ने इसी पर्वत में बैठकर मेघ पर खत लिखे और अलकापुरी में बैठी प्रेमिका तक भेजे. इसी वर्णन पर महाकाव्य मेघदूतम की रचना हुई. मान्यता ये भी है कि वनवास में भगवान राम ने इस स्थान पर समय बिताया. लेकिन यहां के ग्रामीण अब इस अनमोल धरोहर को लेकर चिंतित हैं. ग्रामीणों को डर है कि कहीं धीरे-धीरे रामगिरि पर्वत अपना अस्तित्व ना खो ( Surguja existence of Ramgiri mountain in danger) दे.


कोल खदान की ब्लास्टिंग से डर : दरअसल उदयपुर के पास ही रामगढ़ है. यहीं स्थित है (Ramgiri mountain in Udaigarh of Surguja) रामगिरि पर्वत. इस पर्वत से कुछ ही दूरी पर ओपन कास्ट कोल खदानें संचालित हैं. ओपन कास्ट माइंस में बारूद से ब्लास्ट कर जमीन से कोयला निकाला जाता है. जब ब्लास्टिंग की जाती है तो आसपास कई किलोमीटर के क्षेत्र में जोरदार कंपन होता है. इस कंपन का प्रभाव रामगिरि पर्वत तक भी पहुंच चुका है.


पर्वत से कुछ ही दूर संचालित है खदान : रामगिरि पर्वत से खदान की दूरी लगभग 10 से 12 किलोमीटर सड़क मार्ग से (Coal mines are swallowing Ramgiri mountain) है. वायुमार्ग से यही दूरी महज 5 किलोमीटर के आसपास है. ग्रामीण बताते हैं कि जब ब्लास्टिंग होती है तो इस क्षेत्र में भी उसका असर दिखता है. रामगिरि पर्वत उनकी आस्था और प्रकृति से जुड़ा है. यह खतरे में नजर आ रहा है. अगर ऐसे ही खदानें खुलती रही तो वो दिन दूर नहीं कि यह पर्वत ढह जाएगा और सरगुजा अपनी विरासत को खो देगा.


भूकंप जैसे झटके : सरकार लगातार रामगढ़ और रामगिरि पर्वत के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम कर रही है. लेकिन शायद इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया. दिन में 4 से 5 बार खदान में ब्लास्टिंग की जाती (Damage to Ramgiri mountain due to blasting in Udaipur) है. ब्लास्टिंग के वक्त आसपास के भू-भाग में भूकंप आने जैसा अनुभव लोग करते हैं. हालांकि यह भूकंप जैसा झटका क्षणिक होता है. महज कुछ सेकेंड कंपन महसूस किया जाता है. धीरे-धीरे ही सही अगर इस तरह के झटके लगातार पर्वत में लगते रहे तो चट्टानों का टूटना भी मुमकिन है.

सरकार को देना चाहिये ध्यान : ग्रामीण बताते हैं कि ''जब खदान में ब्लास्टिंग होती है तो रामगिरि पर्वत में भी कंपन होता है.इस बात को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं. साहित्यकार भी चिंतित हैं. भले ही ब्लास्टिंग की थरथराहट कम ही सही लेकिन धीरे धीरे यह रामगिरि पर्वत के लिये बड़ा खतरा बन सकती है. लिहाजा पुरातत्व विभाग और सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिये.''

ये भी पढ़ें- अंबिकापुर के 'मुकुट' महामाया पहाड़ पर कब्जा, बचाने की मुहिम हुई शुरू

साहित्यकार भी व्यथित : साहित्यिकार भी इस घटना से व्यथित हैं. अम्बिकापुर के साहित्यिकार संतोष दास बताते हैं कि ''रामगिरी पर्वत का इतिहास पुराना है. यहां महाकवि कालिदास ने मेघदूतम जैसी रचना की है. साहित्य के साथ प्राकृतिक और मौसम की दृष्टि से भी रामगढ़ का महत्व है. अगर वहां ब्लास्टिंग की वजह से पर्वत पर संकट आ रहा है तो यह गंभीर विषय है. सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.''



Last Updated : Jun 16, 2022, 1:46 PM IST

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