अंम्बिकापुर : आदिवासियों की जल जंगल जमीन की लड़ाई गांव से निकलकर अब शहर की ओर रुख कर चुकी है.आदिवासियों की जल जंगल जमीन को बचाने शहर के लोग भी अब एकजुट होकर प्रशासन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. अंबिकापुर शहर के घड़ी चौक में भी शहर के गणमान्य नागरिकों ने महामाया चौक तक मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया (Protest by forming human chain in Ambikapur)है.
किसलिए हो रहा विरोध : हसदेव अरण्य के जंगल को कोल खनन के लिए काटने की तैयारी की जा रही है. अब तक लगभग 500 से भी अधिक पेड़ों को काटा जा चुका है.जिसको लेकर आदिवासी ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे(Tree felling continues in Hasdeo) हैं.अब विरोध की आवाज शहरों तक पहुंच गई है.यही कारण है कि जल जंगल जमीन बचाने को लेकर शहर के लोगों में भी इसका खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है.
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जंगल काटे जाने का विरोध क्यों : शहर के लोगों की माने तो हसदेव अरण्य के जंगल कट जाने से आदिवासी ग्रामीण अपने गांव से दूसरे जगह विस्थापित हो जाएंगे.वहीं सरगुजा के आदिवासियों की बनी पहचान और संस्कृति भी धीरे-धीरे समाप्त हो (Deforestation in Hasdeo threatens culture) जाएगी.दूसरी ओर पेड़ कटने से भूजल के स्तर भी घटने लगेगा.साथ ही प्राकृतिक में जो व्यवस्थाएं बनी हुई है उसमें बदलाव भी आने लगेगा.इसी को देखते हुए शहर के लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर जिला प्रशासन से हसदेव के जंगल को ना काटने की अपील की है.