सरगुजा : हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. कोरोना काल में ये दिन और भी खास हो गया है. देशभर की नर्सें इस समय मरीजों की सेवा में जीजान से जुटी हुई हैं. खुद की जान जोखिम में डालकर ये नर्सें मरीजों की दिनरात देखभाल कर रही हैं. कोरोना के खिलाफ इस जंग में नर्सेज़ अहम भूमिका निभा रही हैं. ETV भारत आज आपको एक ऐसी ही नर्स से रू-ब-रू कराने जा रहा है, जो कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए भी समाज और देश के प्रति अपना दायित्व निभा रही हैं. हम बात कर रहे हैं अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ अनीता लकड़ा की, जिन्होंने कई कोरोना संक्रमित महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी कराई है.
अनीता लकड़ा बेहद सरल तरीके से अपने किए हुए कार्यों को बताती हैं. वे फिलहाल कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराने वाली टीम में हैं. ऑपरेशन थियेटर में जब किसी कोरोना संक्रमित महिला का ऑपरेशन कर प्रसव कराया जाता है, तो अनीता ही नर्सिंग के लिए होती हैं. जब ETV भारत अनीता से मिलने पहुंचा, तो वे ऑपरेशन थियेटर के अंदर ड्यूटी पर थीं. कुछ घंटे के इंतजार के बाद उनसे फोन पर सम्पर्क हुआ, लेकिन तब तक वो कोविड वार्ड में जा चुकी थीं. वार्ड से बाहर निकलकर अनीता ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वे कोविड मरीजों की सेवा कर पा रही हैं.
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इस लड़ाई में सभी नर्सों की भूमिका अहम
कोरोना के डर से जहां आज लोग अपने घरों में कैद हो चुके हैं, दोस्त-रिश्तेदार एक-दूसरे से मिलने में परहेज कर रहे हैं, ऐसे दौर में अनीता और उनके जैसी सैकड़ों नर्सें अपना फर्ज निभा रही हैं. ऐसी विषम परिस्थिति में नर्सें इसे सिर्फ ड्यूटी की तरह नहीं, बल्कि देश प्रेम के जज्बे से निभा रही हैं. अनीता और उनके साथ उनका पूरा परिवार इस दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुका है. फिलहाल सभी रिकवर हो चुके हैं. अनीता कहती हैं कि निगेटिव आते ही मैने ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी. पहले थोड़ा डर लगता था, लेकिन अब बिल्कुल नहीं लगता है. ये सभी के लिए एक मौका है खुद को साबित करने का और लोगों की सेवा करने का. अनीता नर्स डे के दिन सभी नर्सों से कहती हैं कि वे भी निडर होकर खुद को सुरक्षित रखकर अपना काम पूरी ईमानदारी से करें, ताकि ये तसल्ली हो कि इस लड़ाई में हमने भी योगदान दिया है.
सैकड़ों नर्सें दिन-रात कर रहीं ड्यूटी
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के गृह जिले सरगुजा में भी अनीता जैसी सैकड़ों नर्सें सेवा दे रही हैं, फिर चाहे वो रेगुलर हों या फिर संविदा कर्मी. हर कोई सिर्फ मानव सेवा के उद्देश्य से काम कर रहा है. सरकार से अपनी मांगें और तमाम वादों को भुलाकर नर्सें अपना फर्ज निभाए जा रही हैं. फिलहाल अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोविड वार्ड में 70 नर्सों की ड्यूटी लगाई गई है. इसके आलवा जिलेभर के अन्य शासकीय कोविड केयर सेंटरों में लगभग कुल 77 नर्सें सीएचओ स्टाफ सेवा दे रही हैं. मेडिकल कॉलेज को छोड़कर स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत लगभग 200 स्टाफ नर्स कोविड सेंटर में तो नहीं, लेकिन प्रसव, वैक्सीनेशन, कोविड जांच जैसे कार्यों में अपनी सेवाएं दे रही हैं. नर्सिंग स्टाफ की कमी को देखते हुए जिले के समस्त नर्सिंग कॉलेजों के थर्ड ईयर और फाइनल ईयर के नर्सिंग स्टूडेंट्स की भी सेवा ली जा रही है. हालांकि अभी नर्सिंग स्टूडेंट्स की ड्यूटी कहीं भी कोविड वार्ड में नहीं लगाई गई है.
क्यों मनाया जाता है नर्स-डे ?
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर साल 12 मई को मनाया जाता है. इस दिन 1820 में फ्लोरेंस नाइटिंगेल जिन्हें दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स माना जाता है, वे पैदा हुई थीं. फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक अंग्रेजी समाज सुधारक, सांख्यिकीविद् और आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक थीं. क्रीमियन युद्ध के दौरान नर्सों के प्रबंधक और प्रशिक्षक के रूप में सेवा करते हुए वह काफी प्रसिद्ध हो गई थीं. नाइटिंगेल और 34 स्वयंसेवकों (नर्सों) की सेवा के चलते क्रीमियन युद्ध में घायल हुए सैनिकों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई थी. नर्सिंग पेशे में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का अधिकांश समय घायलों की देखभाल और सेवा करने में व्यतीत होता था. वह नर्सों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण स्थापित करने वाली पहली महिला थीं. पहला नर्सिंग स्कूल नाइटिंगेल स्कूल ऑफ नर्सिंग का उद्घाटन 1860 में लंदन में हुआ.