दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर काबिज लोगों को वन भूमि पट्टा दिए जाने पर रोक लगा दी है. इसके बाद वन भूमि पर काबिज लोगों को वहां से हटाने की कवायद की जा सकती है. जंगल, पहाड़ और पहाड़ी कोरवा सरगुजा में एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं.
पहाड़ी कोरवा जनजाति सरगुजा के पहाड़ों में कई पीढ़ियों से रहती हैं, इनकी स्थिति सुधारने के लिए सरकार से कई बार इन्हें शहर में बसाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन ये लोग खुद को जंगलों में ही महफूज समझते हैं. ऐसे में इन्हें इनकी जमीन से बेदखल करना इनका जीवन छीनने जैसा होगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वन भूमि पर सियासत के पहलू ऐसे हैं कि पूर्व प्रदेश सरकार ने वन भूमि पर काबिज वनवासियों को उनकी जमीन का पट्टा देने की घोषणा की थी. इसके बाद लगातार इस योजना के दुरुपयोग की बातें भी सामने आती रही हैं. शहरी लोग जमीन के फायदे के लिए इसका दुरुपयोग करते भी देखे जा रहे थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने का फैसला दिया, लेकिन इस आदेश में एक विशेष जनजाति की मुसीबतें बढ़ती दिख रही है, जिसका जीवन और पहचान ही जंगल और पहाड़ों से है.