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सरगुजा: राष्ट्रपति से दत्तक पुत्रों की गुहार, वन भूमि से बेदखल हुए तो जाएंगे कहां ?

सरगुजा: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के एक समूह ने उनसे ही न्याय की गुहार लगाई है. पहाड़ी कोरवा जनजाति सरगुजा के पहाड़ों में कई पीढ़ियों से रहती हैं, इनकी स्थिति सुधारने के लिए सरकार से कई बार इन्हें शहर में बसाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन ये लोग खुद को जंगलों में ही महफूज समझते हैं. ऐसे में इन्हें इनकी जमीन से बेदखल करना इनका जीवन छीनने जैसा होगा.

पहाड़ी कोरवा
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Published : Apr 2, 2019, 9:47 PM IST

पहाड़ी कोरवा जनजाति
सरगुजा: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के एक समूह ने उनसे ही न्याय की गुहार लगाई है. कई पीढ़ियों से वन, पहाड़ और जंगल में रहने वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संकंट खड़ा हो गया है. लिहाजा उन्होंने कलेक्टर के के जरिए राष्ट्रपति से मदद की गुहार लगाई है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर काबिज लोगों को वन भूमि पट्टा दिए जाने पर रोक लगा दी है. इसके बाद वन भूमि पर काबिज लोगों को वहां से हटाने की कवायद की जा सकती है. जंगल, पहाड़ और पहाड़ी कोरवा सरगुजा में एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं.

पहाड़ी कोरवा जनजाति सरगुजा के पहाड़ों में कई पीढ़ियों से रहती हैं, इनकी स्थिति सुधारने के लिए सरकार से कई बार इन्हें शहर में बसाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन ये लोग खुद को जंगलों में ही महफूज समझते हैं. ऐसे में इन्हें इनकी जमीन से बेदखल करना इनका जीवन छीनने जैसा होगा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वन भूमि पर सियासत के पहलू ऐसे हैं कि पूर्व प्रदेश सरकार ने वन भूमि पर काबिज वनवासियों को उनकी जमीन का पट्टा देने की घोषणा की थी. इसके बाद लगातार इस योजना के दुरुपयोग की बातें भी सामने आती रही हैं. शहरी लोग जमीन के फायदे के लिए इसका दुरुपयोग करते भी देखे जा रहे थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने का फैसला दिया, लेकिन इस आदेश में एक विशेष जनजाति की मुसीबतें बढ़ती दिख रही है, जिसका जीवन और पहचान ही जंगल और पहाड़ों से है.

पहाड़ी कोरवा जनजाति
सरगुजा: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के एक समूह ने उनसे ही न्याय की गुहार लगाई है. कई पीढ़ियों से वन, पहाड़ और जंगल में रहने वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संकंट खड़ा हो गया है. लिहाजा उन्होंने कलेक्टर के के जरिए राष्ट्रपति से मदद की गुहार लगाई है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर काबिज लोगों को वन भूमि पट्टा दिए जाने पर रोक लगा दी है. इसके बाद वन भूमि पर काबिज लोगों को वहां से हटाने की कवायद की जा सकती है. जंगल, पहाड़ और पहाड़ी कोरवा सरगुजा में एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं.

पहाड़ी कोरवा जनजाति सरगुजा के पहाड़ों में कई पीढ़ियों से रहती हैं, इनकी स्थिति सुधारने के लिए सरकार से कई बार इन्हें शहर में बसाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन ये लोग खुद को जंगलों में ही महफूज समझते हैं. ऐसे में इन्हें इनकी जमीन से बेदखल करना इनका जीवन छीनने जैसा होगा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वन भूमि पर सियासत के पहलू ऐसे हैं कि पूर्व प्रदेश सरकार ने वन भूमि पर काबिज वनवासियों को उनकी जमीन का पट्टा देने की घोषणा की थी. इसके बाद लगातार इस योजना के दुरुपयोग की बातें भी सामने आती रही हैं. शहरी लोग जमीन के फायदे के लिए इसका दुरुपयोग करते भी देखे जा रहे थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने का फैसला दिया, लेकिन इस आदेश में एक विशेष जनजाति की मुसीबतें बढ़ती दिख रही है, जिसका जीवन और पहचान ही जंगल और पहाड़ों से है.

Intro:सरगुजा : राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं के एक समूह में अपने पिता स्वरूप राष्ट्रपति से न्याय की गुहार लगाई है, पीढ़ियों से वन, पहाड़ और जंगल मे रहने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति सियासत के फ़ैसलों का शिकार हो रही है, लिहाजा अपने हक की मांग पहाड़ी कोरवाओं ने कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति से की है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन भूमि पर काबिज लोगो को वन भूमि पट्टा दिये जाने पर रोक लगा दी है, जिसके बाद वन भूमि पर काबिज लोगो को वन भूमि से हटाने की कवायद की जा सकती है, लेकिन जंगल, पहाड़ और पहाड़ी कोरवा सरगुजा में एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योकी जंगल के बिना ना पहाड़ी कोरवा रह सकते हैं औऱ शायद जंगलो को भी इस जाति की जरूरत है।

आपको बतादें की पहाड़ी कोरवा जनजाति सरगुजा के पहाड़ों में कई पीढ़ियों से रहती है, इनकी जीवन स्थिति को सुधारने के लिए सरकारों के द्वारा कई बार इन्हें शहर या आबादी में बसाने का प्रयास भी किया गया लेकिन ये जाती खुद को जंगलो में ही महफूज समझती है, ऐसे में इन्हें इनकी जमीन से बेदखल करना इनका जीवन छीनने जैसा होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले और वन भूमि पर सियासत के पहलू ऐसे हैं की पूर्व की प्रदेश सरकार ने वन भूमि पर काबिज लोगो वन वासियों को उनकी जमीन का पट्टा देने की घोषणा की थी, जिसके बाद लगातार इस योजना के दुरुपयोग की बातें भी सामने आती रही हैं, शहरी लोग जमीन के फायदे के लिए इसका दुरुपयोग करते देखे का रहे थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक लगाई, लेकिन इस बीच इस आदेश में एक विशेष जनजाति भी फंसती दिख रही है, जिसका जीवन और पहचान ही जंगल और पहाड़ो से है, फिलहाल फरियाद लेकर आये पहाडी कोरवाओं ने राष्ट्रपति के नाम शिकायत पत्र सरगुजा कलेक्टर कार्यालय में दिया है।

बाइट01- राम साय पहाडी कोरवा

बाइट02 - फुलेश्वरी पहाडी कोरवा (महिला)


Body:सरगुजा : राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं के एक समूह में अपने पिता स्वरूप राष्ट्रपति से न्याय की गुहार लगाई है, पीढ़ियों से वन, पहाड़ और जंगल मे रहने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति सियासत के फ़ैसलों का शिकार हो रही है, लिहाजा अपने हक की मांग पहाड़ी कोरवाओं ने कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति से की है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन भूमि पर काबिज लोगो को वन भूमि पट्टा दिये जाने पर रोक लगा दी है, जिसके बाद वन भूमि पर काबिज लोगो को वन भूमि से हटाने की कवायद की जा सकती है, लेकिन जंगल, पहाड़ और पहाड़ी कोरवा सरगुजा में एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योकी जंगल के बिना ना पहाड़ी कोरवा रह सकते हैं औऱ शायद जंगलो को भी इस जाति की जरूरत है।

आपको बतादें की पहाड़ी कोरवा जनजाति सरगुजा के पहाड़ों में कई पीढ़ियों से रहती है, इनकी जीवन स्थिति को सुधारने के लिए सरकारों के द्वारा कई बार इन्हें शहर या आबादी में बसाने का प्रयास भी किया गया लेकिन ये जाती खुद को जंगलो में ही महफूज समझती है, ऐसे में इन्हें इनकी जमीन से बेदखल करना इनका जीवन छीनने जैसा होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले और वन भूमि पर सियासत के पहलू ऐसे हैं की पूर्व की प्रदेश सरकार ने वन भूमि पर काबिज लोगो वन वासियों को उनकी जमीन का पट्टा देने की घोषणा की थी, जिसके बाद लगातार इस योजना के दुरुपयोग की बातें भी सामने आती रही हैं, शहरी लोग जमीन के फायदे के लिए इसका दुरुपयोग करते देखे का रहे थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक लगाई, लेकिन इस बीच इस आदेश में एक विशेष जनजाति भी फंसती दिख रही है, जिसका जीवन और पहचान ही जंगल और पहाड़ो से है, फिलहाल फरियाद लेकर आये पहाडी कोरवाओं ने राष्ट्रपति के नाम शिकायत पत्र सरगुजा कलेक्टर कार्यालय में दिया है।

बाइट01- राम साय पहाडी कोरवा

बाइट02 - फुलेश्वरी पहाडी कोरवा (महिला)


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