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जानिए, कौन हैं कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष मोतीलाल वोरा

मोतीलाल वोरा को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है, ऐसे में जानते हैं मोतीलाल वोरा का राजनीतिक जीवन परिचय.

कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष मोतीलाल वोरा
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Published : Jul 3, 2019, 5:16 PM IST

रायपुर : राहुल गांधी के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का बाद अब राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग से ताल्लुक रखने वाले मोतीलाल वोरा कौन हैं और कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर जानते हैं.

मोतीलाल वोरा का परिचय
मोतीलाल वोरा बेहद सौम्य छवि के नेता माने जाते हैं. वे अविभाजित मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे, साथ ही केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. लंबे समय तक वे कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे हैं. उनकी गिनती गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में होती है.

अर्जुन सिंह की जगह बनाए गए मुख्यमंत्री
1985 में मोतीलाल वोरा को पहली बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था, राजीव गांधी ने अचानक तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को पंजाब का राज्यपाल नियुक्त कर दिया था, तब उनकी जगह तमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए वोरा को एमपी की कमान सौंपी गई थी. यहां से मोतीलाल वोरा की राजनीति अलग ऊंचाई पर पहुंच गई, जो लगातार बढ़ती चली गई.

वोरा को केन्द्र की राजीव गांधी सरकार में भी बतौर कैबिनेट मंत्री काम करने का मौका मिला. मोतीलाल वोरा 1993 से 1996 के बीच वे उत्तर प्रदेश से राज्यपाल भी रहे. इसके बाद वे राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव भी जीते. 1999 में उन्हें यहां से रमन सिंह के खिलाफ हार का सामना भी करना पड़ा, इसके बाद से वे लगातार राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में मौजूद हैं.

कांग्रेस संगठन में भूमिका
मोतीलाल वोरा शुरू से ही संगठन में संक्रिय नेता रहे हैं, फिर वो मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर उनका काम हो या फिर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में उनकी भूमिका हो. इस बढ़ती उम्र के बाद भी उनकी सक्रियता के सभी कायल हैं. आज भी राष्ट्रीय कांग्रेस में कोई अहम फैसला उनकी मौजूदगी के बिना नहीं होता, इसकी बड़ी वजह गांधी परिवार से उनकी कई दशकों से बनी नजदीकी और बेदाग सियासी सफर है. वोरा उन गिने चुने नेताओं में से हैं जिनके इतने लंबा राजनीतिक जीवन बेदाग हो.

पत्रकार के तौर पर की थी शुरुआत
मोतीलाल वोरा शुरुआत में पत्रकारिता करते थे और इसी से वे गांधीवाद की तरफ झुकते चले गए. महात्मा गांधी को मानने वाले मोतीलाल वोरा सादगी पसंद नेता हैं.

रायपुर : राहुल गांधी के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का बाद अब राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग से ताल्लुक रखने वाले मोतीलाल वोरा कौन हैं और कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर जानते हैं.

मोतीलाल वोरा का परिचय
मोतीलाल वोरा बेहद सौम्य छवि के नेता माने जाते हैं. वे अविभाजित मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे, साथ ही केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. लंबे समय तक वे कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे हैं. उनकी गिनती गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में होती है.

अर्जुन सिंह की जगह बनाए गए मुख्यमंत्री
1985 में मोतीलाल वोरा को पहली बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था, राजीव गांधी ने अचानक तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को पंजाब का राज्यपाल नियुक्त कर दिया था, तब उनकी जगह तमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए वोरा को एमपी की कमान सौंपी गई थी. यहां से मोतीलाल वोरा की राजनीति अलग ऊंचाई पर पहुंच गई, जो लगातार बढ़ती चली गई.

वोरा को केन्द्र की राजीव गांधी सरकार में भी बतौर कैबिनेट मंत्री काम करने का मौका मिला. मोतीलाल वोरा 1993 से 1996 के बीच वे उत्तर प्रदेश से राज्यपाल भी रहे. इसके बाद वे राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव भी जीते. 1999 में उन्हें यहां से रमन सिंह के खिलाफ हार का सामना भी करना पड़ा, इसके बाद से वे लगातार राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में मौजूद हैं.

कांग्रेस संगठन में भूमिका
मोतीलाल वोरा शुरू से ही संगठन में संक्रिय नेता रहे हैं, फिर वो मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर उनका काम हो या फिर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में उनकी भूमिका हो. इस बढ़ती उम्र के बाद भी उनकी सक्रियता के सभी कायल हैं. आज भी राष्ट्रीय कांग्रेस में कोई अहम फैसला उनकी मौजूदगी के बिना नहीं होता, इसकी बड़ी वजह गांधी परिवार से उनकी कई दशकों से बनी नजदीकी और बेदाग सियासी सफर है. वोरा उन गिने चुने नेताओं में से हैं जिनके इतने लंबा राजनीतिक जीवन बेदाग हो.

पत्रकार के तौर पर की थी शुरुआत
मोतीलाल वोरा शुरुआत में पत्रकारिता करते थे और इसी से वे गांधीवाद की तरफ झुकते चले गए. महात्मा गांधी को मानने वाले मोतीलाल वोरा सादगी पसंद नेता हैं.

Intro:मोतीलाल वोरा एक परिचय-
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को 90 साल की आयु में कांग्रेस का अंतिरम अध्यक्ष बनाया गया है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग से ताल्लुक रखने वाले मोतीलाल वोरा बेहद सौम्य छवि के नेता माने जाते हैं. वे अविभाजित मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे साथ ही केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. लंबे समय से वे कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं. उनकी गिनती गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में होती है.

अर्जुन सिंह की जगह बनाया गया मुख्यमंत्री
1985 में मोतीलाल वोरा को पहली बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था, राजीव गांधी ने अचानक तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को पंजाब का राज्यपाल नियुक्त कर दिया था तब उनकी जगह तमाम दिग्गजो को दरकिनार करते हुए वोरा को कमान एमपी की कमान सौंपी गई यहां से मोतीलाल वोरा की राजनीति अलग उंचई पहुंच गई जो लगातार बढ़ती चली गई.
फिर उन्हें केन्द्र में राजीव गांधी सरकार में भी बतौर कैबिनेट मंत्री काम करने का मौका मिला. 1993 से 1996 के बीच वे उत्तर प्रदेश से राज्यपाल भी रहे. इसके बाद वे राजनांदगांव से लोकसभा भी चुनाव जीते. 1999 में उन्हें यहां से डॉ रमन सिंह के खिलाफ हार का भी सामना करना पड़ा. इसके बाद से वे लगातार राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में मौजूद हैं.
कांग्रेस संगठन में भूमिका -
मोतीलाल वोरा शुरू से ही संगठन में संक्रिय नेता रहे हैं. फिर वो मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर उनका काम हो या फिर आल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में उनकी भूमिका हो. इस बढ़ती उम्र के बाद भी उनकी सक्रियता के सभी कायल हैं. आज भी राष्ट्रीय कांग्रेस में कोई अहम फैसला उनकी मौजूदगी के बिना नहीं होती. इसकी बड़ी वजह गांधी परिवार से उनकी कई दशकों से बनी नजदीकी और बेदाग सियासी सफर रहा है. वोरा उन गिने चुने नेताओं में से हैं जिनके इतने लंबे राजनैतिक जीवन बेदाग हो.
पत्रकार के तौर पर की थी शुरुआत -
मोती लाल वोरा शुरुआत में पत्रकारिता करते थे और इसी से वे गांधीवाद के तरफ झुकते चले गए.. महात्मा गांधी को मानने वाले मोतीलाल वोरा भी सादगी पसंद नेता हैं.


Body:कांग्रेस संगठन में भूमिका -
मोतीलाल वोरा शुरू से ही संगठन में संक्रिय नेता रहे हैं. फिर वो मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर उनका काम हो या फिर आल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में उनकी भूमिका हो. इस बढ़ती उम्र के बाद भी उनकी सक्रियता के सभी कायल हैं. आज भी राष्ट्रीय कांग्रेस में कोई अहम फैसला उनकी मौजूदगी के बिना नहीं होती. इसकी बड़ी वजह गांधी परिवार से उनकी कई दशकों से बनी नजदीकी और बेदाग सियासी सफर रहा है. वोरा उन गिने चुने नेताओं में से हैं जिनके इतने लंबे राजनैतिक जीवन बेदाग हो.
Conclusion:पत्रकार के तौर पर की थी शुरुआत -
मोती लाल वोरा शुरुआत में पत्रकारिता करते थे और इसी से वे गांधीवाद के तरफ झुकते चले गए.. महात्मा गांधी को मानने वाले मोतीलाल वोरा भी सादगी पसंद नेता हैं.

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