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धमतरी : तंगहाली में जी रहा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार, आंखों में आंसू लिए लगा रहा नौकरी की गुहार

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार रोजगार की मांग कर रहा है. इस परिवार ने आजादी की लड़ाई में अपनी जमीन त्याग दी और न जाने कितने बलिदान किए फिर भी ये परिवार खाने को मोहताज है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार
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Published : Jul 2, 2019, 8:42 PM IST

धमतरी : सरकार ने स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं, लेकिन इन तमाम योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. धमतरी में एक ऐसा परिवार है, जिसमें दो-दो स्वतंत्रता सेनानी हुए, बावजूद इसके ये परिवार तंगहाली में जीवन गुजार रहा है और अपना हक मांगने के लिए रोते-बिलखते सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार

जब देश आजाद हुआ, तो सरकार स्वतंत्रता दिलाने वाले सेनानियों के लिए कई योजनाएं लेकर आई, जिसमें जमीन, पेंशन, नौकरी या फिर शिक्षण संस्थाओं में रिजर्व सीट सहित पेट्रोल पंप, आसान लोन जैसी तमाम सुविधाएं थीं, ताकि देश के लिए लड़ने वालों को देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मिल सके, लेकिन धमतरी से जो तस्वीरें सामने आई हैं वो हैरान करने वाली हैं.

पिता और बेटी की आंखों से छलके आंसू
धमतरी के नगरी ब्लॉक उमर गांव के रहने वाले जगत राम और पंचम ने गुलामी के दौरान में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया. दोनों ने अपनी जवानी देश की आजादी की जंग में झोंक दी. उनका बेटा पढ़-लिख नहीं पाया और आज मजदूरी कर रहा है.

योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
सेनानियों की चार पोतियां हैं, जिनमें एक दिव्यांग है. सभी पढ़ी-लिखी हैं, लेकिन इस परिवार को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में से एक योजना का भी लाभ नहीं मिल सका है. देश को गुलामी से जिन्होंने निकाला, आज उनका ही परिवार दो वक्त की रोटी और सिर पर छत के लिए तरस रहा है.

दफ्तरों के चक्कर काट रहा परिवार
परिवार के मुखिया अपनी बेटी के साथ हाथ में स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से होने का तमगा और आंखों में आंसू लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं. परिवार की सिर्फ इतनी सी मांग है कि उन्हें कोई नौकरी मिल जाए, ताकि परिवार का पालन-पोषण हो सके, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते दिखे अधिकारी
वहीं मामले में जब जिला प्रशासन के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने टाल-मटोल जवाब देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. ये तो धमतरी जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार की कहानी थी, ऐसी न जाने कितने परिवार होंगे, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

धमतरी : सरकार ने स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं, लेकिन इन तमाम योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. धमतरी में एक ऐसा परिवार है, जिसमें दो-दो स्वतंत्रता सेनानी हुए, बावजूद इसके ये परिवार तंगहाली में जीवन गुजार रहा है और अपना हक मांगने के लिए रोते-बिलखते सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार

जब देश आजाद हुआ, तो सरकार स्वतंत्रता दिलाने वाले सेनानियों के लिए कई योजनाएं लेकर आई, जिसमें जमीन, पेंशन, नौकरी या फिर शिक्षण संस्थाओं में रिजर्व सीट सहित पेट्रोल पंप, आसान लोन जैसी तमाम सुविधाएं थीं, ताकि देश के लिए लड़ने वालों को देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मिल सके, लेकिन धमतरी से जो तस्वीरें सामने आई हैं वो हैरान करने वाली हैं.

पिता और बेटी की आंखों से छलके आंसू
धमतरी के नगरी ब्लॉक उमर गांव के रहने वाले जगत राम और पंचम ने गुलामी के दौरान में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया. दोनों ने अपनी जवानी देश की आजादी की जंग में झोंक दी. उनका बेटा पढ़-लिख नहीं पाया और आज मजदूरी कर रहा है.

योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
सेनानियों की चार पोतियां हैं, जिनमें एक दिव्यांग है. सभी पढ़ी-लिखी हैं, लेकिन इस परिवार को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में से एक योजना का भी लाभ नहीं मिल सका है. देश को गुलामी से जिन्होंने निकाला, आज उनका ही परिवार दो वक्त की रोटी और सिर पर छत के लिए तरस रहा है.

दफ्तरों के चक्कर काट रहा परिवार
परिवार के मुखिया अपनी बेटी के साथ हाथ में स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से होने का तमगा और आंखों में आंसू लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं. परिवार की सिर्फ इतनी सी मांग है कि उन्हें कोई नौकरी मिल जाए, ताकि परिवार का पालन-पोषण हो सके, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते दिखे अधिकारी
वहीं मामले में जब जिला प्रशासन के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने टाल-मटोल जवाब देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. ये तो धमतरी जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार की कहानी थी, ऐसी न जाने कितने परिवार होंगे, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

Intro:वैसे तो स्वंतत्रता संग्राम सेनानियो के परिवार के लिए सरकार कई योजनाएं चलाई जा रही है.लेकिन सवाल ये है कि क्या उसका लाभ इन परिवारों को मिल पाता है.धमतरी में एक सेनानी परिवार इन दिनों तंगहाली के दौर से गुजर रहा है.वही अपना हक मांगने के लिए ये परिवार रोते बिलखते सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है.


Body:देश जब आजाद हुआ तब ऐसे सेनानी और उनके परिवारों के लिए सरकार ने कई योजनाएं लाई.जैसे जमीन,पेंशन,नौकरी या फिर शिक्षण संस्थाओं में रिजर्व सीट सहित पेट्रोल पंप,आसान लोन तमाम योजनाएं लाई गई.ताकि देश के लिए लड़ने वालों को देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मिल सके.वही उनके जीवन सहज और सुखी रहे लेकिन धमतरी की यह तस्वीर आपको हैरान कर देगी.

सेनानी परिवार पिता और बेटी जब कलेक्ट्रेट दफ्तर पहुंचे तो उनके आंखों में आंसू थे.रोते बिलखते भरे हुए रुंधे गले से निकलते शब्द उनके दर्द को बयां कर रही थी.पिता और बेटी दोनों उस परिवार से हैं जहां एक नहीं बल्कि दो-दो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे है.गुलामी के दौर में नौजवान जगत राम और पंचम जो कि धमतरी के नगरी ब्लाक उमर गांव के रहने वाले थे.उन्होंने भी अपनी जवानी देश की आजादी के जंग में झोंक दी.उनका बेटा पढ़ लिख नही पाया और आज मजदूरी कर रहा है.

सेनानियो के चार पोतिया है जिनमें एक दिव्यांग है.सभी पढ़ी-लिखी है लेकिन इस परिवार को आज तक उन योजनाओं में से एक योजना का भी लाभ नहीं मिला है जो सेनानी और उनके परिवारों के लिए दिया जाता है.देश को गुलामी से जिन्होंने निकाला आज उनका ही परिवार दो वक्त की रोटी और सर पर छत के लिए तरस रहा है.सरकारी कार्यालयों में अपनी चप्पल घिस रहा है.अधिकारियों के सामने हाथ पैर जोड़कर दुखड़ा रो रहे है.

अंग्रेजों के जमाने दहाड़ मारकर आजादी का नारा बुलंद किया उनके वंशज आज देश में नारा भी नहीं लगा सकते और चिल्ला भी नहीं सकते क्योंकि उनका हक दबाकर रखने वाले अब अंग्रेज नहीं यह तो अपने ही है और अपनों के सामने मजबूरी चिल्लाने और नारा लगाने से रोक लेती है लेकिन आत्मा जब चीख आत्मा में ही घुटकर दम तोड़ दे तब आंखों से आंसू निकलते हैं और गला ऐसा भरता है कि चीख तो क्या आवाज ही रुंध जाती है.




Conclusion:इधर धमतरी जिला प्रशासन का इस मामले में महज 6 सेकेंड का जवाब है जिसका मतलब आश्वासन से ज्यादा नही निकाला जा सकता है बहरहाल ये कहना लाजमी होगा कि अपने वंशजो को बिलखते भटकते देख शहीदों की आत्मा भी दर्द से कराह रही होगी.

बाईट.....प्रभादेवी शेष,सेनानी की पोती
बाईट.....हेमलाल,सेनानी का पुत्र
बाईट.....रजत बंसल,कलेक्टर धमतरी

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
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