रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में फंसे साढ़े पांच लाख से ज्यादा छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित उनके गृह ग्राम पहुंचाया है. इसके अलावा विभिन्न राज्यों में फंसे तीन लाख से ज्यादा श्रमिकों के लिए रहने, खाने, भोजन आदि की व्यवस्था की गई है.
छत्तीसगढ़ श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विश्वव्यापी कोविड-19 के नियंत्रण के लिए देशभर में लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान देश के 24 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को खाद्यान्न और अन्य राहत पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है. लॉकडाउन के कारण श्रमिकों के रहने की व्यवस्था, भोजन, बच्चों के लिए दूध, दवा जैसी बहुत जरूरी सुविधाएं भी दूभर हो रही थी, ऐसे समय में राज्य सरकार, प्रदेश की जनता और स्वंय-सेवी संस्थाओं ने सराहनीय कार्य करते हुए श्रमिकों को राहत पहुंचाई है.
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श्रमिकों की घर वापसी के बाद उन्हें रोजगार दिलाना मुश्किल काम था, लेकिन राज्य सरकार ने हर संभव प्रयास कर इन श्रमिकों को न सिर्फ मनरेगा के तहत रोजगार दिलाया, बल्कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में श्रमिकों की स्किल मैपिंग कर, उन्हें उनके हुनर के अनुसार सम्मान जनक रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया.
संकट काल में राज्य सरकार ने लिए नीतिगत फैसले
अधिकारियों ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में लगभग 74 हजार मजदूरों को वेतन की बकाया राशि 171 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया. वहीं 107 स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मजदूर जो अन्य राज्यों से लाया गया. साथ ही अन्य प्रदेशों के मजदूरों को भी उनके राज्यों में भेजने की व्यवस्था की गई. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री की पहल पर कोरोना महामारी के दौरान सरकार की सार्वभौम पीडीएस योजना के तहत 57 लाख अन्तयोदय, प्राथमिकता, निराश्रित और निःशक्तजन राशनकार्डधारियों को निःशुल्क चावल का वितरण किया गया. कोरोना त्रासदी में राज्य सरकार के नीतिगत निर्णय और व्यवस्था के कारण प्रदेश आर्थिक मंदी और कोरोना संकट काल में अर्थव्यवस्था को बचाए रखने में सफल रहा.