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2 साल: आज भी अधूरी है वो सड़क, जिसकी सुरक्षा में लगे 25 जवान शहीद हो गए थे

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Published : Apr 24, 2019, 6:03 PM IST

Updated : Apr 24, 2019, 8:21 PM IST

सुकमा के बुर्कापाल में 24 अप्रैल 2017 के दिन ही सड़क सुरक्षा में लगे 25 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए थे. शहादत के 730 दिन गुजर गए लेकिन यहां आज भी उस हमले के कहानी ये अधूरी पड़ी सड़क कहती है, जहां हमने अपने 25 जवानों को खो दिया था.

बुर्कापाल की सड़के

सुकमा : लड़ते रहे हम आखिरी दम तक, स्वीकार नहीं थी हमको हार, निशा हमारी शहादत के ढूंढो एक नहीं मिलेंगे हजार...ये पंक्तियां उन जवानों की शहादत पर लिखी गई हैं, जिन्होंने देश के विकास के लिए गांव में सड़क के लिए अपना जीवन ही दान दे दिया. सुकमा के बुर्कापाल में 24 अप्रैल 2017 के दिन ही सड़क सुरक्षा में लगे 25 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए थे.

वीडियो

24 अप्रैल ही के दिन नक्सलियों ने बस्तर की दूसरी सबसे बड़ी वारदात को अंजाम दिया था. बुर्कापाल नक्सली हमले में सड़क की सुरक्षा में निकले सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के 25 जवान शहीद हुए थे. सड़क आज भी नहीं बन पाई और शहादत के 730 दिन गुजर गए लेकिन यहां आज भी उस हमले के कहानी ये अधूरी पड़ी सड़क कहती है, जहां हमने अपने 25 जवानों को खो दिया था.

बारिश में बंद हो जाएगा दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग
दोरनापाल-जगरगुंडा के बीच 56 किलोमीटर की सड़क पिछले 40 वर्ष से अधूरी पड़ी है. जिले का 80 फीसदी इलाका नक्सलियों के कब्जे में हैं. मूलभूत सुविधाओं को तरसते सैकड़ों गांव आज भी शासन-प्रशासन की पहुंच से दूर हैं. वर्ष 2014 से एलडब्ल्यूई योजना के तहत पुलिस हाउसिंग बोर्ड द्वारा इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन दोरनापाल से पुसवाड़ा तक करीब 22 किमी सड़क बनकर तैयार है. पुसवाड़ा से जगरगुंडा के बीच मिट्टी का काम कर छोड़ दिया गया है. बारिश के दिनों में इस सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है. बारिश हो जाए तो इस रोड से निकलना मुश्किल हो जाता है.


दुगुनी ऊर्जा के साथ काम कर रहे जवान

सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के कमांडेंट प्रवीण कुमार ने बताया कि बुर्कापाल नक्सली हमले के बाद जवानों के मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है. जवान दोगुनी ऊर्जा के साथ काम कर रहे हैं और जल्द ही इलाके में सड़क का काम पूरा करेंगे.

घटना के बाद जेलों में डाले गए ग्रामीण...
नक्सली घटना के बाद बुर्कापाल गांव देश-दुनिया की नजर में आया, लेकिन गांव के हालातों में कोई बदलाव नहीं आया. घटना के बाद गांव के अधिकांश पुरुषों को जेल में डाल दिया गया. वहीं दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर स्थित बुर्कापाल में पीएम आवास, उज्वला योजना और पेंशन योजना से ग्रामीण महरूम हैं. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र को उधारी के भवन में संचालित किया जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गेंदवती गौतम बताती हैं कि गांव में दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, भवन नहीं होने की वजह से केंद्र को मध्यान्ह भोजन कक्ष और सहायिका के आवास में लगाया जा रहा है.

'जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी'
घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. किसी भी तरह इस सड़क का निर्माण होकर रहेगा. आज दो वर्ष बीत गए हैं लेकिन सड़क का निर्माण नहीं हो सका और न ही गांव के हालात बदले हैं.


सुकमा : लड़ते रहे हम आखिरी दम तक, स्वीकार नहीं थी हमको हार, निशा हमारी शहादत के ढूंढो एक नहीं मिलेंगे हजार...ये पंक्तियां उन जवानों की शहादत पर लिखी गई हैं, जिन्होंने देश के विकास के लिए गांव में सड़क के लिए अपना जीवन ही दान दे दिया. सुकमा के बुर्कापाल में 24 अप्रैल 2017 के दिन ही सड़क सुरक्षा में लगे 25 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए थे.

वीडियो

24 अप्रैल ही के दिन नक्सलियों ने बस्तर की दूसरी सबसे बड़ी वारदात को अंजाम दिया था. बुर्कापाल नक्सली हमले में सड़क की सुरक्षा में निकले सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के 25 जवान शहीद हुए थे. सड़क आज भी नहीं बन पाई और शहादत के 730 दिन गुजर गए लेकिन यहां आज भी उस हमले के कहानी ये अधूरी पड़ी सड़क कहती है, जहां हमने अपने 25 जवानों को खो दिया था.

बारिश में बंद हो जाएगा दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग
दोरनापाल-जगरगुंडा के बीच 56 किलोमीटर की सड़क पिछले 40 वर्ष से अधूरी पड़ी है. जिले का 80 फीसदी इलाका नक्सलियों के कब्जे में हैं. मूलभूत सुविधाओं को तरसते सैकड़ों गांव आज भी शासन-प्रशासन की पहुंच से दूर हैं. वर्ष 2014 से एलडब्ल्यूई योजना के तहत पुलिस हाउसिंग बोर्ड द्वारा इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन दोरनापाल से पुसवाड़ा तक करीब 22 किमी सड़क बनकर तैयार है. पुसवाड़ा से जगरगुंडा के बीच मिट्टी का काम कर छोड़ दिया गया है. बारिश के दिनों में इस सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है. बारिश हो जाए तो इस रोड से निकलना मुश्किल हो जाता है.


दुगुनी ऊर्जा के साथ काम कर रहे जवान

सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के कमांडेंट प्रवीण कुमार ने बताया कि बुर्कापाल नक्सली हमले के बाद जवानों के मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है. जवान दोगुनी ऊर्जा के साथ काम कर रहे हैं और जल्द ही इलाके में सड़क का काम पूरा करेंगे.

घटना के बाद जेलों में डाले गए ग्रामीण...
नक्सली घटना के बाद बुर्कापाल गांव देश-दुनिया की नजर में आया, लेकिन गांव के हालातों में कोई बदलाव नहीं आया. घटना के बाद गांव के अधिकांश पुरुषों को जेल में डाल दिया गया. वहीं दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर स्थित बुर्कापाल में पीएम आवास, उज्वला योजना और पेंशन योजना से ग्रामीण महरूम हैं. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र को उधारी के भवन में संचालित किया जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गेंदवती गौतम बताती हैं कि गांव में दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, भवन नहीं होने की वजह से केंद्र को मध्यान्ह भोजन कक्ष और सहायिका के आवास में लगाया जा रहा है.

'जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी'
घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. किसी भी तरह इस सड़क का निर्माण होकर रहेगा. आज दो वर्ष बीत गए हैं लेकिन सड़क का निर्माण नहीं हो सका और न ही गांव के हालात बदले हैं.


Intro:बुर्कापाल नक्सली हॉलमे के दो साल हुए पूरे...

जिस सड़क के लिए जवानों ने दी शहादत, वह आज भी है अधूरी...

सुकमा. लड़ते रहे हम आखिरी दम तक, स्वीकार नही थी हमको हार, निशा हमारे शहादत की ढूंढो एक, मिलेंगे हजार... उक्त पंक्तियां उन जवानों की याद में बनाये गए स्मारक पर लिखी हैं, जिन्होंने सड़क की सुरक्षा में अपने शहादत दी थी।

आज ही के वो मनहूस दिन था जब सड़क की सुरक्षा में निकले सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हुए थे। हम बात कर रहे हैं बुर्कापाल नक्सली हमले की। जिसमे सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के 25 जवान शहीद हो गए थे। 24 अप्रैल 2017 को नक्सलियों ने बस्तर की दूसरी बड़ी घटना को अंजाम दिया था।


जिस सड़क की सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवानों ने अपनी शहादत दी थी वह सड़क आज भी अधूरी है। घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था जवानों की शहादत व्यर्थ नही जाएगी। किसी भी तरह इस सड़क का निर्माण होकर रहेगा। आज दो वर्ष पूरे हो गए है लिकिन सड़क नही बन पाई है। दो वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव के हालात नही बदले है।

गांव के नही बदले हालात... घटना के बाद जेलों में ठूस दिए ग्रामीण...

नक्सली घटना के बाद बुर्कापाल गांव देश-दुनिया की नजर में आया। लेकिन गांव के हालातों में कोई बदलाव नही आया। घटना के बाद गांव के अधिकांश पुरुषों को जेलों में ठूस दिया गया। दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर स्थित बुर्कापाल में पीएम आवास, उज्वला योजना व पेंशन योजना से ग्रामीण महरूम हैं। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र को उधारी के भवन में संचालित किया जा रहा है।आंबा कार्यकर्ता गेंदवती गौतम बताती हैं कि गांव में दो आंगनबाड़ी केंद्र है। भवन नही होने की वजह से केंद्र को मध्यान्ह भोजन कक्ष और सहायिका के आवास में लगाया जा रहा है।

बारिश में बंद हो जाएगा दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग...
दोरनापाल-जगरगुंडा के बीच 56 किमी की सड़क पिछले 40 वर्ष से अधूरी पड़ी है। जिले का 80 फीसदी इलाका नक्सलियों के कब्जे में हैं। मूलभूत सुविधाओं को तरसते सैकड़ों गांव आज भी शासन-प्रशासन की पहुंच से दूर हैं। वर्ष 2014 से एलडब्ल्यूई योजना के तहत पुलिस हाउसिंग बोर्ड द्वारा इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। दोरनापाल से पुसवाड़ा करीब 22 किमी सड़क बनकर तैयार है। पुसवाड़ा से जगरगुंडा के बीच मिट्टी का काम कर छोड़ दिया गया है। बारिश के दिनों में इस सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है। बीती रात हुई बारिश के बाद सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। बड़े वाहन ही नही पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।

दुगुनी ऊर्जा के साथ कर रहे काम- प्रवीण कुमार
सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के कमांडेंट प्रवीण कुमार ने बताया कि बुर्कापाल नक्सली हमले के बाद जवानों के मनोबल पर कोई असर नही पड़ा है। जवान दुगुनी ऊर्जा के साथ काम कर रहे हैं। जल्द ही इलाके में सड़क का काम पूरा करेंगे।

बाइट - ग्रामीण
बाइट 02 - प्रवीण कुमार, सीओ, सीआरपीएफ 74 बटालियन


Body:बुरकपाल नक्सली हमला


Conclusion:बुर्कापाल नक्सली हमला
Last Updated : Apr 24, 2019, 8:21 PM IST
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