जगदलपुर: झीरम घाटी नक्सल हमले की जांच को लेकर पुलिस विभाग और NIA आमने-सामने आ गए हैं. NIA ने पुलिस को पत्र लिखकर मामले में FIR की कॉपी देने की मांगी थी. साथ ही केस से जुड़ी जानकारी की मांग की थी. लेकिन जब पुलिस ने इस मामले में NIA को कोई जवाब नहीं दिया, जिसके बाद उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. NIA ने कोर्ट में पुलिस जांच के खिलाफ याचिका लगाई, जिस पर पुलिस ने भी कोर्ट में अपना जवाब प्रस्तुत कर अपनी जांच को NIA से अलग बताते हुए जांच जारी रखने की बात कही है. मामले में 16 जुलाई को कोर्ट खुलने के बाद सुनवाई होनी है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि झीरम मामले की जांच को लेकर NIA और पुलिस के बीच विवाद का फैसला जल्द हो सकता है.
25 मई 2013 को झीरम घाटी हमले में 2 दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी नेताओं की हत्या नक्सलियों ने कर दी थी. घटना के 7 साल बीत जाने के बाद भी आरोपियों को सजा दिलाना तो दूर उनकी पतासाजी तक जांच एजेंसियां नहीं कर पाई है. इससे नाराज होकर दिवंगत उदय मुदलियार के परिजनों ने दरभा थाने में FIR दर्ज कराया था. इस FIR की जानकारी जैसे ही NIA को लगी, उन्होंने तुरंत बस्तर SP को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए मामले को NIA को सौंपने को कहा था. जिसपर बस्तर SP ने हामी भरी थी, लेकिन इसके बाद भी बस्तर पुलिस की तरफ से जब मामला NIA को नहीं सौंपा गया तो NIA ने जगदलपुर NIA कोर्ट में याचिका दायर कर दी.
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उलझ गया है मामला
बता दें NIA ने मामले में पुलिस की जांच पर सवाल उठाए थे. याचिका दायर की गई थी, जिस पर पुलिस ने जवाब भी भेज दिया है. जानकारी के मुताबिक पुलिस ने अपने जवाब में अलग जांच के बिंदु भी प्रस्तुत किये हैं. जो NIA जांच से मेल नहीं खाते, इसी के आधार पर पुलिस अपनी जांच अलग से जारी रखने की बात कही है. बस्तर पुलिस किसी भी स्थिति में अपनी FIR और जांच NIA को नहीं सौंपना चाहती है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जो कानून सम्मत होगा वो किया जाएगा. झीरम घाटी हमले की जांच को लेकर गरमाई सियासत दो जांच एजेंसियों के बीच उलझ गई है. इस मामले में भूपेश बघेल सरकार ने SIT गठित की है. जिसे NIA से दस्तावेज का इंतजार है.
पुलिस करना चाहती है जांच
जानकारी के मुताबिक पुलिस ने FIR दर्ज करने के बाद तेजी से मामले से जुड़े लोगों के बयान लेने शुरू कर दिए हैं. ज्यादा से ज्यादा बयान लेने के बाद यदि जांच बिंदु पर पुलिस अपनी रिपोर्ट पुख्ता कर पाती है, तो समानांतर जांच करने की वजह पर अपना पक्ष कोर्ट में पुलिस रख सकेगी.