रायपुर: लोकसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल पास हो गया है. बिल के मुताबिक राज्यों की विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी. इसे ऐसे समझते हैं. छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीट है. 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद 90 में से 30 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. यानी 70 सीटों पर ही पुरुष अपनी दावेदारी कर सकेंगे. लोकसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें है. आरक्षण बिल लागू होने के बाद 3 लोकसभा सीटें महिलाओं के कब्जे में चली जाएगी. 8 सीटों पर ही पुरुष उम्मीदवार रहेंगे.
छत्तीसगढ़ विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में महिला विधायकों-सांसदों की संख्या: वर्तमान में प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में 16 सीटों पर महिलाएं काबिज है. इन 16 महिला विधायकों में 13 विधायक कांग्रेस की हैं. भाजपा, बहुजन समाज पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से एक एक महिला विधायक है. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की 90 सीट में से 13 सीटें महिलाओं ने जीतीं. इसके बाद प्रदेश में हुए तीन उपचुनाव में कांग्रेस तीन महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा और तीनों ने जीत हासिल की. बात करें छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों की तो कुल 11 सीटें हैं जिसमें से 3 सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. इन 3 सीटों में से दो भाजपा और एक कांग्रेस के पास है. यदि राज्यसभा सीटों की बात की जाए तो प्रदेश में कुल 5 राज्यसभा सीटें हैं. जिसमें से वर्तमान में 3 सीटों पर महिला सांसदों का कब्जा है. इन 3 सीटों में से 2 पर कांग्रेस और एक पर भाजपा सांसद काबिज है.
पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाताओं की है संख्या: निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी 3 करोड़ 3 लाख 80 हजार है. कुल मतदाताओं की संख्या एक करोड़ 96 लाख 40 हजार 430 मतदाता है, जो आबादी का लगभग 64.65 प्रतिशत है. कुल वोटर्स में पुरुष मतदाताओं की संख्या 98 लाख 6 हजार 906 है, जबकि महिला मतदाता 98 लाख 32 हजार 557 है. थर्ड जेंडर 767 हैं. इन आंकड़ों को देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाताओं की संख्या है. प्रति हजार पुरुष पर 1003 महिला मतदाता हैं.
कांग्रेस बीजेपी महिला उम्मीदवारों की हार जीत के आंकड़े: छत्तीसगढ़ बनने के बाद अब तक 4 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. पहला विधानसभा चुनाव 2003 में हुआ था. इसके बाद साल 2008, 2013 और 2018 में विधानसभा चुनाव हुए हैं. साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से 8 पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिसमें से एक भी महिला उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सकी. भाजपा ने 6 महिला उम्मीदवार को टिकट दिया. इनमे से 4 ने जीत हासिल की. साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने 10-10 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिसमें से कांग्रेस की 5 और बीजेपी की 6 महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. इसके बाद साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 12 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिसमें से 4 ने जीत हासिल की. भाजपा ने 10 महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा, जिसमें से 6 ने जीत हासिल की.
2018 के बाद है 16 महिला विधायक: पिछले विधानसभा चुनाव यानी साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 14 महिलाओं को टिकट दिया था. जिसमें से 1 महिला उम्मीदवार ही जीत सकी. वहीं कांग्रेस ने 13 महिलाओं को मैदान में उतारा था, जिनमें 10 ने जीत हासिल की. इसके अलावा एक महिला उम्मीदवारों ने जोगी कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी से भी जीत हासिल की. इसके बाद प्रदेश में हुए तीन विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने तीन महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा और तीनों ने जीत हासिल की. वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 90 में से 16 महिला विधायक है. जिसमें 13 कांग्रेस, 1 जोगी कांग्रेस, 1 बीजेपी और 1 बहुजन समाजवादी पार्टी की महिला विधायक शामिल है.
छत्तीसगढ़ में अब तक 40 महिलाएं बन चुकी है विधायक: मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद जब छत्तीसगढ़ बना तो उस दौरान पहले विधानसभा में सिर्फ 6 महिला विधायक थी. दूसरी विधानसभा 2003 में भी 6 महिला विधायक थीं. तीसरी विधानसभा 2008 में 12 और चौथी विधानसभा 2013 में 10 महिला विधायक थी. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 13 महिलाएं जीतकर आई. इसके बाद हुए तीन उप चुनाव में कांग्रेस से जीत हासिल की. जिसके बाद साल 2018 विधानसभा में कुल 16 महिला विधायक हो गई. इस तरह साल 2003 से लेकर अब तक हुए विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में कुल 44 महिला विधायक चुनी गई हैं.
चुनाव में महिलाओं को प्रभावित करने ला रही बिल: महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस महिला विधायक लक्ष्मी ध्रुव का कहना है कि मनमोहन सरकार के दौरान महिला आरक्षण बिल लाना चाहती थी लेकिन भाजपा ने इसका विरोध किया था. यदि उस दौरान हमारी सरकार रिपीट होती तो अब तक यह बिल पास हो जाता. 9 साल तक भाजपा इस बिल को नहीं लाई और अब चुनाव आ रहा है तो महिलाओं को प्रभावित करने के लिए यह बिल पास किया गया. लेकिन लेकिन इसका लाभ साल 2024 के चुनाव में महिलाओं को नहीं मिलेगा, क्योंकि परिसीमन के बाद ही इसका लाभ महिलाओं को मिल सकता है और साल 2026 के पहले यह संभव नहीं है. लक्ष्मी ध्रुव ने कहा कि उसमें एससी एसटी ओबीसी को कितने प्रतिशत दिया जाएगा वह अभी देखना महत्वपूर्ण होगा.
कांग्रेस क्यों नहीं पास कर सकी महिला आरक्षण बिल ?: भाजपा महिला विधायक रंजना साहू ने कहा की महिलाओं को सशक्त और मजबूत करने के लिए भाजपा सरकार ने 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल लाया है. इस बिल के पास होने पर लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को अपनी बात रखने का अच्छा अवसर मिलेगा. कांग्रेस के द्वारा लाए गए बिल पर भाजपा के समर्थन न देने के कांग्रेस के आरोप पर रंजन साहू ने कहा जब उसमें हो सकता कुछ कमियां रही होगी. उसे और अच्छा बनाकर पेश किया जा सकता तो कैसे लोगों का सहयोग नहीं मिलता. आरक्षण बिल की तर्ज पर महिला आरक्षण बिल भी समय सीमा समाप्त होने के बाद भी लागू होने की संभावना पर रंजन साहू ने कहा कि इसे समाप्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि आज देश में आधे से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व महिलाएं कर रही हैं. इसलिए कहीं ना कहीं वे इनकी हकदार हैं, अभी 15 साल के लिए लागू किया गया है यदि अच्छा रहा तो इसे और आगे बढ़ा दिया जाएगा.
महिला आरक्षण का 2027 के पहले नहीं मिल सकेगा लाभ, जनगणना है जरूरी: महिला आरक्षण बिल को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त और रिटायर्ड आईएएस डॉ सुशील त्रिवेदी का कहना है कि साल 2008 में भी संविधान में संशोधन बिल लाया गया था जो 2010 में राज्यसभा में पास हुआ था यह बिल भी उसी के समान है. जिसके तहत एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. लेकिन इसके लिए पहले जनगणना होना जरूरी है. जिसमें लगभग 1 साल का समय लगेगा. उसके बाद बिल इंप्रेशन होगा. अभी तो 2011 और 2021 की ही जनगणना नहीं हुई है.त्रिवेदी ने कहा कि वे 2003 से 2008 के बीच बिल इंप्रेशन कमीशन ऑफ इंडिया के सदस्य रहे हैं. उस समय इस काम के लिए 5 साल का समय लगा था अभी जल्दी भी किया जाएगा तो लगभग 1 साल का समय लगेगा, ऐसे में 2027 के पहले यह संभव नहीं है.