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Raipur: हमें हिंदू राष्ट्र नहीं रामराज्य चाहिए, इतिहास जैसा है, वैसा पढ़ाया जाए: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 17 दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंचे हुए हैं. शुक्रवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पत्रकार वार्ता ली. इस दौरान उन्होंने हिंदू राष्ट्र, इतिहास, शोभा यात्रा पर एडवायजरी सहित कई मुद्दों पर बात की.Avimukteshwaranand Saraswati Chhattisgarh

Shankaracharya Avimukteshwarananda Saraswati
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती छत्तीसगढ़ पहुंचे
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Published : Apr 7, 2023, 3:14 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 4:39 PM IST

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

रायपुर: रायपुर में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भारत में हिंदुओं की स्थिति पर सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि "देश में हिंदू खतरे में तब होगा, जब वह हिंदू धर्म का पालन करना छोड़ देगा. हिंदू, धर्म का पालन करना कहां छोड़ रहा है? लेकिन धर्म की शिक्षा उसे नहीं मिल रही है. इसलिए जो स्पष्टता के साथ धर्म पालन करना चाहिए था, वह नहीं कर पा रहा है. इसमें हिंदू का दोष नहीं है. इसमें हमारे देश की सरकारों का दोष है. उन्होंने हमारे देश के स्कूलों से हिंदू धर्म की शिक्षा को अलग कर दिया."

संविधान से 30वां अनुच्छेद हटना चाहिए: अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा "हम हिंदू हैं, तो हमें विद्यालय में धर्म की शिक्षा मिलनी चाहिए. मदरसे में मुसलमान इस्लाम पढ़ा सकता है, कुरान कैसे पढ़ी जाए, यह पढ़ाया जा सकता है. कॉन्वेंट स्कूल में ईसाई प्रेयर कैसे की जाए, यह बता सकता है. तो फिर आचमन कैसे किया जाए, प्राणायाम कैसे किया जाए, आरती कैसे की जाए, ये बातें हिंदू अपने स्कूल में क्यों नहीं बता सकता? क्यों मना किया गया है. क्यों संविधान की धारा में 30वां अनुच्छेद बरकरार है? इस अनुच्छेद में ये बात क्यों कही गई है कि बहुसंख्यक धर्म की शिक्षा विद्यालय में नहीं दे पाएंगे. यह आपत्तिजनक है और यह अनुच्छेद संविधान से हटना चाहिए."

इतिहास में जो कुछ है वह सब पढ़ाना चाहिए: एनसीईआरटी की किताबों से मुगलों का चैप्टर हटाने को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि "इतिहास की दृष्टि से अगर हम इतिहास का अध्ययन कर आ रहे हैं, तो इतिहास में जो कुछ है, वह सब पढ़ाना चाहिए. हम इतिहास पढ़ने चले हैं, लेकिन उसमें सेलेक्टिव पढ़ रहे हैं, तो यह गलत है. हिस्ट्री है, तो सब की बात निकालो, सब के बारे में पढ़ाओ."

यह भी पढ़ें: स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा- भारत में रहना है तो कहना पड़ेगा 'जय श्रीराम', सपा ने दर्ज करायी FIR

हमें हिन्दू राष्ट्र नहीं राम राज्य चाहिए: देश में हिंदू राष्ट्र की उठ रही मांग को लेकर किए गए सवाल पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा "लोग हिंदू राष्ट्र की बात कह रहे हैं. जब तक उसका प्रारूप सामने नहीं आ जाता, तब तक ना ही इसका समर्थन किया जा सकता है और ना ही विरोध कर सकते हैं. जब हमारा देश आजाद हो रहा था, तब लोगों के मन में ये टीस थी कि हमारा एक टुकड़ा इस्लाम हो रहा है. उस समय करपात्री महाराज ने कहा था कि हमें हिंदू राष्ट्र नहीं चाहिए. हिंदू राष्ट्र रावण और कंस के समय भी था, लेकिन उस समय प्रजा दुखी थी. हमें वह राज्य चाहिए, जिसमें प्रजा सुखी हो. ऐसा राज्य एकमात्र राम राज्य है. हम रामराज्य की मांग करते हैं, वही करते रहेंगे."

हिंदू बहुसंख्यक देश में राम हनुमान की शोभा यात्रा को लेकर एडवायजरी: रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्रा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एडवाइजरी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा " एक तरफ हिंदू राष्ट्र बनाने की बात हो रही है, दूसरी तरफ शोभा यात्रा के लिए एडवायजरी जारी की जा रही है. रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर ऐसी एडवाइजरी 75 साल में कितनी बार जारी की गई है? क्यों ऐसी नौबत आई? देश में क्या बदलाव आया है, जिसके कारण ये परिस्थिति बनी."


राजनीतिक दलों में जाने वाले संत महात्मा हिंदू नहीं: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राजनीतिक दलों में जाने वाले महात्मा और संत को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि "जैसे ही कोई महात्मा, चाहे वह किसी भी संप्रदाय का हो, जब किसी राजनीतिक दल से जुड़ जाता है या राजनीतिक दल का सदस्य हो जाता है, तो वह धार्मिक नहीं रहता. राजनीतिक दल शपथ लेते हैं कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं. हम संन्यासी हैं, हम धर्म की बात कह सकते हैं. जो धर्मनिरपेक्ष हो गया, वह धार्मिक नहीं है."

वोट के लिए समाज को बांटने में लगे राजनेता: छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा के ''आदिवासी हिंदू नहीं हैं'' बयान पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा "आदिवासी सदियों से महादेव की पूजा करते रहे हैं. पीपल, बरगद की पूजा करते रहे हैं. हम भी आदिवासी हैं, हम भी आदिकाल से रह रहे हैं. अगर जंगल में रहते हैं, तो क्या वही आदिवासी है? जो शहर में रहने लग गया, तो क्या वह आदिवासी नहीं रहेगा? दोनों में अंतर नहीं है. बस अंतर यही है कि वह जंगल में रह गए और हम नगर में आकर बस गए. हमारी सब परंपराएं एक जैसी हैं. हमारी सभी मान्यताएं एक जैसी है. राजनीतिज्ञ समाज को बांटो और राज करो की नीति कर रहे हैं. कोई हिंदू और मुसलमान में बांट रहा है, कोई सवर्ण और असवर्ण में बांट रहा है. कोई आदिवासी और नॉन आदिवासी में बांट रहा है. राजनीति के लोग हमारे समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं."

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

रायपुर: रायपुर में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भारत में हिंदुओं की स्थिति पर सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि "देश में हिंदू खतरे में तब होगा, जब वह हिंदू धर्म का पालन करना छोड़ देगा. हिंदू, धर्म का पालन करना कहां छोड़ रहा है? लेकिन धर्म की शिक्षा उसे नहीं मिल रही है. इसलिए जो स्पष्टता के साथ धर्म पालन करना चाहिए था, वह नहीं कर पा रहा है. इसमें हिंदू का दोष नहीं है. इसमें हमारे देश की सरकारों का दोष है. उन्होंने हमारे देश के स्कूलों से हिंदू धर्म की शिक्षा को अलग कर दिया."

संविधान से 30वां अनुच्छेद हटना चाहिए: अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा "हम हिंदू हैं, तो हमें विद्यालय में धर्म की शिक्षा मिलनी चाहिए. मदरसे में मुसलमान इस्लाम पढ़ा सकता है, कुरान कैसे पढ़ी जाए, यह पढ़ाया जा सकता है. कॉन्वेंट स्कूल में ईसाई प्रेयर कैसे की जाए, यह बता सकता है. तो फिर आचमन कैसे किया जाए, प्राणायाम कैसे किया जाए, आरती कैसे की जाए, ये बातें हिंदू अपने स्कूल में क्यों नहीं बता सकता? क्यों मना किया गया है. क्यों संविधान की धारा में 30वां अनुच्छेद बरकरार है? इस अनुच्छेद में ये बात क्यों कही गई है कि बहुसंख्यक धर्म की शिक्षा विद्यालय में नहीं दे पाएंगे. यह आपत्तिजनक है और यह अनुच्छेद संविधान से हटना चाहिए."

इतिहास में जो कुछ है वह सब पढ़ाना चाहिए: एनसीईआरटी की किताबों से मुगलों का चैप्टर हटाने को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि "इतिहास की दृष्टि से अगर हम इतिहास का अध्ययन कर आ रहे हैं, तो इतिहास में जो कुछ है, वह सब पढ़ाना चाहिए. हम इतिहास पढ़ने चले हैं, लेकिन उसमें सेलेक्टिव पढ़ रहे हैं, तो यह गलत है. हिस्ट्री है, तो सब की बात निकालो, सब के बारे में पढ़ाओ."

यह भी पढ़ें: स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा- भारत में रहना है तो कहना पड़ेगा 'जय श्रीराम', सपा ने दर्ज करायी FIR

हमें हिन्दू राष्ट्र नहीं राम राज्य चाहिए: देश में हिंदू राष्ट्र की उठ रही मांग को लेकर किए गए सवाल पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा "लोग हिंदू राष्ट्र की बात कह रहे हैं. जब तक उसका प्रारूप सामने नहीं आ जाता, तब तक ना ही इसका समर्थन किया जा सकता है और ना ही विरोध कर सकते हैं. जब हमारा देश आजाद हो रहा था, तब लोगों के मन में ये टीस थी कि हमारा एक टुकड़ा इस्लाम हो रहा है. उस समय करपात्री महाराज ने कहा था कि हमें हिंदू राष्ट्र नहीं चाहिए. हिंदू राष्ट्र रावण और कंस के समय भी था, लेकिन उस समय प्रजा दुखी थी. हमें वह राज्य चाहिए, जिसमें प्रजा सुखी हो. ऐसा राज्य एकमात्र राम राज्य है. हम रामराज्य की मांग करते हैं, वही करते रहेंगे."

हिंदू बहुसंख्यक देश में राम हनुमान की शोभा यात्रा को लेकर एडवायजरी: रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्रा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एडवाइजरी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा " एक तरफ हिंदू राष्ट्र बनाने की बात हो रही है, दूसरी तरफ शोभा यात्रा के लिए एडवायजरी जारी की जा रही है. रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर ऐसी एडवाइजरी 75 साल में कितनी बार जारी की गई है? क्यों ऐसी नौबत आई? देश में क्या बदलाव आया है, जिसके कारण ये परिस्थिति बनी."


राजनीतिक दलों में जाने वाले संत महात्मा हिंदू नहीं: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राजनीतिक दलों में जाने वाले महात्मा और संत को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि "जैसे ही कोई महात्मा, चाहे वह किसी भी संप्रदाय का हो, जब किसी राजनीतिक दल से जुड़ जाता है या राजनीतिक दल का सदस्य हो जाता है, तो वह धार्मिक नहीं रहता. राजनीतिक दल शपथ लेते हैं कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं. हम संन्यासी हैं, हम धर्म की बात कह सकते हैं. जो धर्मनिरपेक्ष हो गया, वह धार्मिक नहीं है."

वोट के लिए समाज को बांटने में लगे राजनेता: छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा के ''आदिवासी हिंदू नहीं हैं'' बयान पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा "आदिवासी सदियों से महादेव की पूजा करते रहे हैं. पीपल, बरगद की पूजा करते रहे हैं. हम भी आदिवासी हैं, हम भी आदिकाल से रह रहे हैं. अगर जंगल में रहते हैं, तो क्या वही आदिवासी है? जो शहर में रहने लग गया, तो क्या वह आदिवासी नहीं रहेगा? दोनों में अंतर नहीं है. बस अंतर यही है कि वह जंगल में रह गए और हम नगर में आकर बस गए. हमारी सब परंपराएं एक जैसी हैं. हमारी सभी मान्यताएं एक जैसी है. राजनीतिज्ञ समाज को बांटो और राज करो की नीति कर रहे हैं. कोई हिंदू और मुसलमान में बांट रहा है, कोई सवर्ण और असवर्ण में बांट रहा है. कोई आदिवासी और नॉन आदिवासी में बांट रहा है. राजनीति के लोग हमारे समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं."

Last Updated : Apr 7, 2023, 4:39 PM IST

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